भारत में सेल्फ-ड्राइविंग कारों का भविष्य: सपना या हकीकत?

सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन की संभावनाएं

भारत में सेल्फ-ड्राइविंग कारों का भविष्य: सपना या हकीकत?
(IS: हिंदुस्तान)

नई दिल्ली: सेल्फ-ड्राइविंग कारों का विचार कभी विज्ञान-फाई फिल्मों का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन आज यह तकनीक वैश्विक स्तर पर हकीकत बन रही है। टेस्ला, वेमो, और अन्य कंपनियां इस क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रही हैं। लेकिन, भारत जैसे देश में, जहां सड़कों पर ट्रैफिक, बुनियादी ढांचे और ड्राइविंग व्यवहार की अपनी अनूठी चुनौतियां हैं, क्या सेल्फ-ड्राइविंग कारें वास्तव में सफल हो पाएंगी? यह सवाल अब सपना और हकीकत के बीच की बहस का केंद्र बन गया है।

वर्तमान स्थिति: क्या भारत तैयार है?

भारत में सेल्फ-ड्राइविंग कारों का विकास अभी शुरुआती चरण में है। सरकार की तरफ से अभी तक ड्राइवरलेस कारों को लेकर कोई स्पष्ट नियामक ढांचा नहीं है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अतीत में यह स्पष्ट किया था कि भारत में ड्राइवरलेस कारों को अनुमति नहीं दी जाएगी, क्योंकि इससे लाखों ड्राइवरों की नौकरियां प्रभावित होंगी। हालांकि, उनका जोर उन्नत चालक सहायता प्रणालियों (ADAS) पर रहा है, जो सुरक्षा को बढ़ाती हैं लेकिन पूरी तरह से स्वायत्त नहीं होतीं।

इसके बावजूद, भारतीय स्टार्टअप्स और कुछ बड़ी वाहन निर्माता कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं। बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप 'माइनस जीरो' ने अपनी सेल्फ-ड्राइविंग कार 'zPod' का प्रदर्शन किया है, जिसमें स्टीयरिंग व्हील भी नहीं है। उन्होंने टाटा नेक्सन जैसी कारों पर भी स्वायत्त ड्राइविंग प्रणाली का परीक्षण किया है, जो भारतीय सड़कों की जटिलताओं को समझने की कोशिश कर रही है।

चुनौतियां: भारतीय सड़कों का अनूठा डीएनए

भारत में सेल्फ-ड्राइविंग कारों को अपनाने में कई बड़ी चुनौतियां हैं:

यह भी पढ़ें Real-Time Translation: गूगल ट्रांसलेट का नया फीचर, हेडफोन बनेंगे स्मार्ट ट्रांसलेटर

  1. अव्यवस्थित ट्रैफिक और बुनियादी ढांचा: भारतीय सड़कें भीड़भाड़ वाली, खराब रखरखाव वाली और अप्रत्याशित होती हैं। यहां पैदल चलने वाले, साइकिल सवार, जानवर और अनियंत्रित ऑटो-रिक्शा जैसे कई तत्व एक साथ होते हैं, जिन्हें सेल्फ-ड्राइविंग कारों के सेंसर को समझना मुश्किल हो सकता है।

    यह भी पढ़ें शिल्पकार हीराबाई झरेका बघेल को राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार, राष्ट्रपति मुर्मु ने किया सम्मानित

  2. मानवीय व्यवहार: भारतीय ड्राइवर अक्सर लेन नियमों का पालन नहीं करते, हॉर्न का अत्यधिक उपयोग करते हैं और अप्रत्याशित तरीके से गाड़ी चलाते हैं। सेल्फ-ड्राइविंग कारों के एल्गोरिदम को इस तरह के व्यवहार को समझना और उसके अनुसार प्रतिक्रिया देना एक बड़ी चुनौती है।

    यह भी पढ़ें वंदे मातरम् के 150 वर्ष: प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में याद किए देशभक्ति के प्रेरक पल

  3. कानूनी और नियामक ढांचा: सेल्फ-ड्राइविंग कारों से जुड़े दुर्घटनाओं की स्थिति में जवाबदेही (liability) तय करना एक जटिल मुद्दा है। क्या दुर्घटना के लिए वाहन निर्माता, सॉफ्टवेयर डेवलपर या कार मालिक जिम्मेदार होगा? इस पर कोई स्पष्ट कानून नहीं है।

  4. उच्च लागत: स्वायत्त ड्राइविंग तकनीक काफी महंगी है। इसे आम जनता के लिए किफायती बनाना एक बड़ी चुनौती है, खासकर जब भारत में अधिकांश लोग बजट सेगमेंट की कारें खरीदना पसंद करते हैं।

भविष्य की संभावनाएं: आशा की किरण

इन चुनौतियों के बावजूद, भारत में सेल्फ-ड्राइविंग कारों के भविष्य को लेकर आशाएं भी हैं:

  1. सड़क सुरक्षा में सुधार: भारत में सड़क दुर्घटनाएं एक गंभीर समस्या हैं, जिसमें मानवीय त्रुटि एक बड़ा कारण है। सेल्फ-ड्राइविंग कारें मानवीय त्रुटियों को खत्म करके सड़क दुर्घटनाओं को कम कर सकती हैं।

  2. कुशल यातायात प्रबंधन: स्वायत्त वाहन एक-दूसरे के साथ संवाद करके ट्रैफिक को सुगम बना सकते हैं, जिससे ट्रैफिक जाम कम होगा और यात्रा का समय बचेगा।

  3. वाणिज्यिक और लॉजिस्टिक्स उपयोग: शुरुआती तौर पर, सेल्फ-ड्राइविंग तकनीक का उपयोग लॉजिस्टिक्स, खनन और लंबी दूरी के ट्रक परिवहन जैसे नियंत्रित वातावरण में किया जा सकता है, जहां बुनियादी ढांचा अपेक्षाकृत बेहतर होता है।

  4. तकनीकी विकास: भारतीय कंपनियां और आईआईटी जैसे शैक्षणिक संस्थान लगातार इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास कर रहे हैं। वे भारतीय सड़कों के लिए विशिष्ट समाधान विकसित कर रहे हैं।


भारत में पूरी तरह से स्वायत्त (लेवल 5) सेल्फ-ड्राइविंग कारों का व्यापक रूप से सड़कों पर दिखना एक दूर का सपना लग सकता है। लेकिन, उन्नत चालक सहायता प्रणालियों (ADAS) के रूप में यह तकनीक पहले से ही भारतीय कारों में प्रवेश कर चुकी है। स्वचालित ब्रेकिंग, लेन-कीपिंग असिस्ट और अडेप्टिव क्रूज कंट्रोल जैसी प्रणालियां भविष्य के स्वायत्त वाहनों की नींव रख रही हैं।

संक्षेप में, भारत में सेल्फ-ड्राइविंग कारों का भविष्य शायद "पूरी तरह से ड्राइवरलेस" होने से पहले "ड्राइवर को सहायता प्रदान करने वाला" होगा। यह एक क्रमिक विकास होगा, जिसमें तकनीक, बुनियादी ढांचे और नियामक ढांचे का तालमेल महत्वपूर्ण होगा। यह एक सपना नहीं है, बल्कि एक लंबी यात्रा है, जो धीरे-धीरे हकीकत में बदल रही है, भले ही इसकी गति अन्य देशों की तुलना में धीमी हो।

Edited By: Samridh Desk
Samridh Desk Picture

समृद्ध डेस्क (Samridh Desk), समृद्ध झारखंड का आधिकारिक संपादकीय विभाग है — जो निष्पक्ष, पारदर्शी और सामाजिक जागरूक पत्रकारिता के लिए समर्पित है। हम अनुभवी संपादकों, रिपोर्टरों, डिजिटल संवाददाताओं और कंटेंट राइटर्स की टीम हैं, जो सत्य और जिम्मेदारी की भावना से समाज के मुद्दों को सामने लाने का कार्य करती है।

समृद्ध डेस्क के नाम से प्रकाशित हर लेख हमारी निष्ठा, ईमानदारी और सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रतीक है।
हम हर खबर को तथ्यों, निष्पक्षता और जनहित के दृष्टिकोण से प्रस्तुत करते हैं — ताकि पाठकों को केवल सूचना नहीं, बल्कि सच्चाई का पूरा चित्र मिले।

Latest News

भारत में शुरू हुई CNAP सर्विस: अब हर कॉल पर दिखेगा कॉल करने वाले का असली नाम भारत में शुरू हुई CNAP सर्विस: अब हर कॉल पर दिखेगा कॉल करने वाले का असली नाम
बाबूलाल मरांडी के साथ दिखा CCTV फुटेज, कांग्रेस नेता बोले, कोई लेनदेन नहीं हुआ
रांची से निकलता है पत्रकारिता में सफलता का रास्ता, राष्ट्रीय संस्थानों तक पहुंचती झारखंड की कलम
Jharkhand Waterfalls: झारखंड के प्रमुख वाटरफॉल, नाम, स्थान और पूरी जानकारी
अवेंजर वॉरियर्स को हराकर डिवाइन स्ट्राइकर्स ने जीता रोमांचक फाइनल
Giridih News : नकली विदेशी शराब तैयार करने की फैक्ट्री का उद्भेदन, भारी मात्रा में नकली शराब जब्त, तीन गिरफ्तार
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी फिर गिरफ्तार, हिरासत से पहले मारपीट के आरोप
सेक्रेड हार्ट स्कूल में लोकतंत्र की जीवंत तस्वीर, तृतीय यूथ पार्लियामेंट का सफल आयोजन
पीरटांड के पाण्डेयडीह में आपस में टकराई तीन गाड़ियां, एक महिला की मौत
भालूबासा में 21 वर्षीय युवक ने नशे से परेशान होकर की आत्महत्या, परिवार में मातम
WhatsApp ने नए फीचर्स किए लॉन्च, मिस्ड कॉल मैसेज से AI स्टेटस तक बड़ा अपडेट
डालमिया भारत ग्रुप ने मनाया सेवा दिवस, सतत विकास और समाज सेवा पर रहा फोकस