संघ की पसंद का होगा भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष, मोदी ने मतभेदों पर लगाया विराम, सीपी राधाकृष्णन के चयन से मिले कई संकेत
संघ चाहता है मजबूत पृष्ठभूमि और निर्णय क्षमता वाला अध्यक्ष
उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन की उम्मीदवारी से भाजपा और आरएसएस के बीच बढ़ी दूरी अब खत्म होती दिख रही है। माना जा रहा है कि भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष संघ की पसंद से तय होगा, जिस पर प्रधानमंत्री मोदी की सहमति भी होगी। राधाकृष्णन का चयन संकेत देता है कि भाजपा अब भरोसेमंद कैडर नेताओं पर ही दांव लगाएगी। बिहार चुनाव से पहले नए अध्यक्ष का ऐलान संभव है।
उपराष्ट्रपति पद के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद यह साफ हो गया कि भारतीय जनता पार्टी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष आरएसएस की पसंद का होगा। क्योंकि सीपी राधाकृष्णन आरएसएस की पसंद हैं। राधाकृष्णन खुद लंबे समय तक आरएसएस और जनसंघ से जुड़े रहे। तमिलनाडु के जमीनी नेता हैं और ओबीसी समुदाय से आते हैं।

सूत्रों के अनुसार संघ चाहता है कि भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष ऐसा हो जिसकी पृष्ठभूमि मजबूत हो, खुद निर्णय लेने में सक्षम हो और जिसका गहरा रिश्ता संघ से हो और संगठन में काम कर चुका हो। वह रबर स्टांप की तरह न रहे।
15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने संघ की भरपूर प्रशंसा की। कामकाज की सराहना की। इसके बाद से यह कयास लगाया जा रहा है कि भाजपा और संघ में जो दूरी बढ़ी थी वह अब वह खत्म हो गई है। मतभेद दूर हो गए हैं। क्योंकि जब मोदी ने ही संघ के कामकाज की प्रशंसा की तो फिर अब आगे कुछ कहने की जरूरत नहीं है। संघ की भी नाराजगी दूर हो गई है। राधाकृष्णन के चयन से इसके संकेत मिले हैं।
इससे यह भी साफ हो गया है कि अगला अध्यक्ष संघ की सहमति से ही बनेगा। संभव है इस महीने के अंत तक या सितंबर में भाजपा के नए अध्यक्ष पर फैसला हो जाए। क्योंकि अक्टूबर नवंबर में बिहार में विधानसभा का चुनाव भी होना है।
उपराष्ट्रपति दक्षिण भारत से चुने जाने के बाद भाजपा का अगला अध्यक्ष उत्तर भारत से ही होगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर कई नामों की चर्चा है। लेकिन अध्यक्ष कौन बनेगा यह कहना मुश्किल है।
क्योंकि मोदी अपने हर फैसले से चौंकाते रहे हैं। जिन नाम की चर्चा होती है उससे अलग मोदी फैसला लेते हैं। उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन का नाम कहीं चर्चा में नहीं था। इस तरह के कई फैसले अब तक मोदी ले चुके हैं। हालांकि इतना तय है कि अध्यक्ष संघ की पसंद का तो होगा लेकिन उस पर मोदी की सहमति भी जरूर होगी। बिहार चुनाव में संघ अपनी पूरी ताकत लगाएगी। बिहार चुनाव भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है।
उपराष्ट्रपति के लिए सीपी राधाकृष्णन के चयन से यह भी साफ हो गया कि भाजपा अब महत्वपूर्ण पदों पर अपने कैडर और भरोसेमंद नेता को ही बैठाएगी। नए लोगों को अब अवसर नहीं मिलेगा। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और अब स्वर्गीय हो चुके सतपाल मलिक से धोखा खा चुकी है। इन दोनों नेताओं को भाजपा ने बहुत आगे बढ़ाया लेकिन ये दोनों दूसरे दलों से भाजपा में आए थे, इसलिए भाजपा की रीति और नीति पर टिके नहीं रह सके। इससे भाजपा ने बड़ी सीख मिली है।
