World Elephant Day 2025: भारत में हाथी संरक्षण, सफलता की कहानी और भविष्य की चुनौतियाँ
प्रोजेक्ट एलीफेंट: क्या हाथियों के लिए सुरक्षित हो पाए हैं गलियारे?
समृद्ध डेस्क: आज 12 अगस्त 2025 को मनाए जा रहे विश्व हाथी दिवस के अवसर पर, भारत अपनी अनमोल प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण में एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है। विश्व की 60 प्रतिशत जंगली एशियाई हाथियों की आबादी का घर होने के कारण भारत का दायित्व और भी बढ़ जाता है। इस वर्ष की थीम "मातृसत्ता और स्मृति" के अनुरूप, भारत सरकार ने तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया है, जिसमें केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में मानव-हाथी संघर्ष के समाधान पर विशेष रूप से चर्चा की जा रही है।

हाइलाइट्स
- 29,964 हाथी और 150 गलियारे… फिर भी मौत का सिलसिला क्यों नहीं रुक रहा?
- मानव-हाथी संघर्ष: आंकड़ों के पीछे छिपी चौंकाने वाली सच्चाई
- तकनीक, परंपरा और राजनीति, किसके हाथ में है गजराज का भविष्य?
भारत में हाथियों की वर्तमान स्थिति
भारत की हाथी संरक्षण की यात्रा अत्यंत उत्साहजनक परिणाम दिखा रही है। 2017 की हाथी जनगणना के अनुसार, देश में लगभग 29,964 हाथी हैं, जो 1992 में प्रोजेक्ट एलीफेंट की शुरुआत के समय 25,000 से काफी बेहतर है। कर्नाटक राज्य में सबसे अधिक 6,395 हाथी हैं, इसके बाद असम में 5,719 और केरल में 3,054 हाथी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा है कि "हाथी हमारी संस्कृति और इतिहास से जुड़े हुए हैं, और यह खुशी की बात है कि पिछले कुछ वर्षों में उनकी संख्या बढ़ रही है।"
प्रोजेक्ट एलीफेंट: संरक्षण की मजबूत नींव
योजना का परिचय
भारत सरकार द्वारा 1992 में शुरू किया गया प्रोजेक्ट एलीफेंट हाथी संरक्षण की आधारशिला है। यह केंद्र प्रायोजित योजना 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की गई है। इसके मुख्य उद्देश्य हैं:
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हाथियों, उनके आवास और गलियारों की सुरक्षा
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मानव-हाथी संघर्ष के मुद्दों का समाधान
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बंदी हाथियों का कल्याण
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अवैध शिकार की रोकथाम
हाथी रिजर्व और गलियारे
वर्तमान में भारत में 33 हाथी रिजर्व हैं, जो लगभग 80,778 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं। 2023 की रिपोर्ट के अनुसार 150 हाथी गलियारे चिह्नित किए गए हैं, जो विभिन्न आवासों को जोड़ने का काम करते हैं। इनमें से सबसे अधिक 26 गलियारे पश्चिम बंगाल में हैं।
मानव-हाथी संघर्ष: चुनौतियां और समाधान
संघर्ष का आंकड़ा
- मानव-हाथी संघर्ष भारत की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों (2019-2023) में 2,853 लोगों की मौत हाथियों के कारण हुई है, जिसमें 2023 में 628 मौतें सबसे अधिक थीं। ओडिशा में सर्वाधिक 624 मौतें हुई हैं, इसके बाद झारखंड में 474 और पश्चिम बंगाल में 436 मौतें दर्ज की गई हैं।
समाधान की पहल
सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए व्यापक रणनीति अपनाई है:
तकनीकी समाधान:
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रेलवे ट्रैक्स पर AI कैमरे लगाए जा रहे हैं
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3,452.4 किमी संवेदनशील रेलवे पटरियों का सर्वेक्षण
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77 उच्च-जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान
प्राकृतिक अवरोध:
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मधुमक्खियों के छत्ते का उपयोग
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तेज मिर्च की खेती
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स्ट्रोब लाइट सिस्टम
आधुनिक संरक्षण तकनीक: गज सूचना ऐप और DNA प्रोफाइलिंग
डिजिटल पहचान प्रणाली
भारत सरकार ने हाथियों के लिए एक अत्याधुनिक "गज सूचना ऐप" विकसित किया है, जिसे हाथियों का "आधार कार्ड" भी कहा जा रहा है। इस प्रणाली के तहत:
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देशभर के 2,627 पालतू हाथियों का DNA प्रोफाइल तैयार किया जा रहा है
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अब तक 1,911 पालतू हाथियों का DNA डेटा तैयार हो चुका है
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यह प्रणाली हाथियों की चोरी और अवैध व्यापार को रोकने में सहायक होगी
वैज्ञानिक गिनती पद्धति
2025 में हाथी जनगणना एक नई वैज्ञानिक पद्धति से की जा रही है। इसमें DNA सैंपलिंग, कैमरा ट्रैप और पैरों के निशानों का उपयोग किया जा रहा है। पूर्वोत्तर राज्यों में पहले चरण में 16,500 से अधिक हाथी मल के नमूने एकत्र किए गए हैं।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
भारतीय संस्कृति में हाथी का स्थान अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण है। हाथी को राष्ट्रीय धरोहर पशु का दर्जा प्राप्त है। भगवान गणेश के रूप में हाथी भारतीय जीवन का अभिन्न अंग है, और विभिन्न त्योहारों में हाथियों की सक्रिय भागीदारी होती है।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और भविष्य की योजनाएं
गज यात्रा कार्यक्रम
2017 से शुरू हुई गज यात्रा एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान है, जिसका उद्देश्य 101 महत्वपूर्ण हाथी गलियारों को सुरक्षित करना है। यह कार्यक्रम देशभर में घूमकर हाथी संरक्षण के लिए जनजागृति फैलाता है।
शिक्षा और जागरूकता
इस वर्ष के विश्व हाथी दिवस के अवसर पर 12 लाख छात्र 5,000 स्कूलों से जुड़े हैं, जो एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता कार्यक्रम का हिस्सा हैं। यह पहल भविष्य की पीढ़ी में हाथी संरक्षण की भावना पैदा करने के लिए महत्वपूर्ण है।
विश्व में भारत की अग्रणी भूमिका
भारत न केवल हाथी संरक्षण में बल्कि मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व के मॉडल के रूप में विश्व के लिए एक मिसाल स्थापित कर रहा है। Wildlife Trust of India और International Fund for Animal Welfare (IFAW) जैसी संस्थाओं के साथ सहयोग से भारत ने कई सफल गलियारा संरक्षण परियोजनाएं पूरी की हैं।
कर्नाटक में कनियानपुरा-मोयार गलियारा, उत्तराखंड में चिल्ला-मोतीचूर गलियारा, और केरल में थिरुनेली-कुदारकोटे गलियारा जैसी सफल परियोजनाएं इस दिशा में मील के पत्थर हैं।
क्या हो सकता है निष्कर्ष ?
विश्व हाथी दिवस 2025 भारत के लिए अपनी हाथी संरक्षण नीतियों की सफलता का जश्न मनाने का अवसर है। आधुनिक तकनीक, पारंपरिक ज्ञान, और सामुदायिक सहयोग के मेल से भारत ने हाथी संरक्षण के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किया है। प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में, "हाथी हमारी संस्कृति और इतिहास से जुड़े हुए हैं", और यह बढ़ती संख्या हमारे संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाती है।
भविष्य में मानव-हाथी संघर्ष को कम करना, अधिक गलियारों को सुरक्षित करना, और तकनीकी नवाचार के साथ परंपरागत संरक्षण विधियों को जोड़ना भारत की प्राथमिकता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हाथी केवल एक जानवर नहीं, बल्कि हमारी पारिस्थितिकी और संस्कृति के संरक्षक हैं, जिनकी सुरक्षा हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
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सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
