मौत का जिंदा ज़हर: असम में मरे हुए सांपों के काटने से खुला रोंगटे खड़े कर देने वाला सच, जानें इस बारे में सबकुछ
मरे सांप का डंक भी ले सकता है जान!
गुहावती: शिवसागर और कामरूप जिलों के ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों एवं शोधकर्ताओं ने तीन अलग-अलग मामलों में मरे हुए सांप मोनोक्लेड कोबरा (Naja kaouthia) और ब्लैक करैत के काटने और उससे होने वाली गंभीर विषाक्तता और मृत्यु का पहली बार वैज्ञानिक दस्तावेजीकरण किया है। यह खोज मेडिकल साहित्य में ऐतिहासिक मानी जा रही है और सांप की मृत्यु के बाद भी उसके डंक के घातक प्रभाव की आशंका को मजबूत करती है।
घटनाओं का विवरण
- पहला मामला:

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एक व्यक्ति को ताजे मरे हुए मोनोक्लेड कोबरा के सिर ने काट लिया जबकि वह सांप को फेंक रहे थे।
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उस व्यक्ति को तेज दर्द, उल्टी हुई, और इलाज के लिए 20 शीशियां एंटीवेनम और अन्य दवाएं दी गईं।
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उसका घाव गंभीर रूप से बिगड़ गया था, लेकिन इलाज के बाद कई हफ्तों में ठीक हो गया।
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दूसरा मामला:
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एक किसान को ट्रैक्टर से कुचल कर मरे मोनोक्लेड कोबरा ने पैर में काट लिया।
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साइटोटॉक्सिक लक्षण गंभीर हो गए, उन्हें भी 20 शीशियां एंटीवेनम, एंटीबायोटिक्स और घाव की देखभाल के साथ 25 दिनों में ठीक किया गया।
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तीसरा मामला (ब्लैक करैत):
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कामरूप जिले में एक व्यक्ति को तीन घंटे पहले मरे ब्लैक करैत के सिर ने काट लिया।
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शुरुआत में दर्द कम था, लेकिन बाद में न्यूरोटॉक्सिक लक्षण (– पलकों का गिरना, निगलने में दिक्कत, पूरी बॉडी में लकवा) दिखे।
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उन्हें 43 घंटे तक वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ी, लेकिन छह दिन बाद वे पूर्ण स्वस्थ हो गए।
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वैज्ञानिक महत्व व चेतावनी
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शोधकर्ताओं का कहना है कि डेड या कटे हुए सांपों में भी वैनम ग्लैंड्स और पेशियों के रिफ्लेक्स रेस्पोंस के कारण जानलेवा जहर बाहर निकल सकता है। खासकर कोबरा और करैत जैसे फ्रंट-फैंग प्रजातियों में यह खतरा अधिक है।
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मरे सांप के काटने पर भी प्रतिक्रिया और उपचार जीवित सांप के बराबर करना ज़रूरी है—जैसे पर्याप्त एंटीवेनम, चिकित्सा सहायता और सपोर्टिव केयर।
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डॉक्टरों ने लोगों को सलाह दी है कि किसी भी मृत या कटे हुए सांप को कभी भी न छुएं, विशेष तौर पर सिर के क्षेत्र में, क्योंकि इससे घातक विषाक्तता हो सकती है।
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