दुनिया के आधे से अधिक देशों में वायु गुणवत्ता का डेटा संकलित नहीं किया जाता, भारत में उसमें शामिल

दुनिया के 10 में नौ लोग प्रदूषित हवा में ले रहे सांस

ओपेन एयर क्वाइलिटी (open aq) डेटा : द ग्लोबल स्टेट आफ प्ले के शीर्षक वाले इस अध्ययन में 212 देशों की जाँच की गई और पाया गया कि 109 यानी 51 प्रतिशत देश ऐसे हैं जहाँ हवा में ज़हर घोलने वाले मुख्य प्रदूषक तत्वों और वायु गुणवत्ता को दर्शाता डेटा नहीं संकलित किया जा रहा। इन 109 देशों में चीन, भारत, रूस, फिलीपींस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसी प्रमुख शक्तियां भी हैं। ओपेन एक्यू ने इन सभी देशों की सूची जारी की है जो कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।
साथ ही, 103 देश ऐसे भी हैं, जहाँ इन बिन्दुओं पर डेटा संकलित किया जा रहा है।
ओपेन एक्यू (open aq) प्रणाली का उपयोग नासा द्वारा किया जाता है और नासा के वैज्ञानिकों द्वारा इस अध्ययन को समर्थन भी मिला है। ओपेन एक्यू की प्रणाली के साथ वायु प्रदूषण पर नासा के उपग्रह डेटा को मिलाकर दुनिया में सभी के लिए वायु गुणवत्ता की जानकारी लाने की क्षमता है।
मुख्य बातें
51 प्रतिशत देश (जहां 1.4 बिलियन लोग रहते हैं) में वायु गुणवत्ता के डेटा के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं करते और देशवासियों को डब्ल्यूएचओ के शब्दों में स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा पर्यावरणीय जोखिम झेलने पर मजबूर करते हैं।
बाहरी वायु प्रदूषण की नज़र से ये देश सबसे बुरे माने जाते हैं क्योंकि इस वजह से हर साल यहाँ 4.2 मिलियन लोगों की मृत्यु होती है। इनमें से 90 प्रतिशत मौतें कम और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।
पाकिस्तान, नाइजीरिया और इथियोपिया जैसे कई प्रमुख देशों में वहां की सरकारें किसी भी प्रकार का वायु प्रदूषण से सम्बंधित डेटा संकलित और सार्वजनिक करती ही नहीं हैं।
कई अन्य प्रमुख वैश्विक शक्तियां, जैसे चीन, भारत, रूस, फिलीपींस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका, पूरी तरह से खुले और पारदर्शी तरीके से डेटा साझा नहीं करती हैं।
हवा की गुणवत्ता पर बेहद कम विदेशी सहायता कार्यक्रम ध्यान देते हैं और दानदाता संस्थाओं द्वारा दिए गए हर 5000 डॉलर में से सिर्फ़ 1 डॉलर हवा की गुणवत्ता के लिए होता है
नासा के अनुसार स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने की दिशा में ओपन डेटा एक छोटा-सा कदम है.