ट्रेन से मिसाइल: अग्नि‑प्राइम रेल‑लॉन्चर और उसकी ‘लोकेशन‑हाइड’ ताकत, जानें खास बातें

ट्रेन से मिसाइल: अग्नि‑प्राइम रेल‑लॉन्चर और उसकी ‘लोकेशन‑हाइड’ ताकत, जानें खास बातें
अग्नि‑प्राइम रेल‑लॉन्चर (फ़ोटो)

नई दिल्ली: 25 सितंबर 2025 को डीआरडीओ और भारतीय सेना ने ओडिशा के चांदीपुर टेस्ट रेंज से रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर के जरिए अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह भारत के सैन्य तकनीकी इतिहास के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है। पहले यह क्षमता अमेरिका, रूस, चीन जैसे कुछ ही देशों के पास थी, अब भारत भी इस तकनीक को हासिल कर आगे बढ़ गया है।

दुश्मन की नज़रों से बचकर देश के किसी भी हिस्से से मिसाइल दागने की क्षमता देता है।

रेलवे नेटवर्क के कारण इस लॉन्चर की सबसे बड़ी विशेषता है—लोकेशन छुपाना। लॉन्च करने के लिए कोई निश्चित जगह या बेस नहीं चाहिए, बल्कि इसे कहीं भी ट्रैक पर ले जाकर फायर किया जा सकता है। इससे दुश्मन को आखिरी मिनट तक मिसाइल की असल लोकेशन का पता नहीं चल पाता।

अग्नि-प्राइम दो स्टेज वाली, कैनिस्टर में रखने वाली और बेहतरीन नेविगेशन सिस्टम से लैस आधुनिक मिसाइल है। इसकी रेंज 2000 किमी तक है और जरूरत पड़ने पर यह परमाणु सयंत्र के साथ तैनात हो सकती है। यह दुश्मन क्षेत्र में गहराई तक सटीक हमला करने के लिए तैयार है।

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अब तक केवल रूस, चीन और उत्तर कोरिया ही ट्रेनों के माध्यम से मिसाइल लॉन्च कर सकते थे। भारत ने यह परीक्षण कर दिखा दिया कि वह भी अब इस अत्याधुनिक क्लब का हिस्सा बन गया है, जिससे उसके सामने रणनीतिक श्रेष्ठता हासिल हो गई है।

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अग्नि-प्राइम और उसका लॉन्चर पूरी तरह घरेलू तकनीक पर विकसित हुआ है। इससे रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया विजन को नई ऊंचाई मिली है।

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भारत के विशाल रेलवे नेटवर्क (70,000 किमी+) की वजह से दुश्मन के लिए यह पता लगाना लगभग असंभव है कि कौन सी ट्रेन में मिसाइल छुपी है। जरूरत पड़ी तो सुरंग या सुदूर इलाके में ट्रेन खड़ी कर हमला करने की ताकत, भारत के हक में नई रणनीति की शुरुआत है।

मौजूदा वैश्विक चुनौतियों में किसी भी न्यूक्लियर हमले का त्वरित जवाब देने (सकेंड स्ट्राइक) की क्षमता बढ़ने से, भारत की प्रतिरोधक सुरक्षा नीति मजबूत हुई है। भारत अब कहीं से भी अचानक मिसाइल दागकर दुश्मन को चौंका सकता है।

Edited By: Samridh Desk
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