लेह हिंसा: सोनम वांगचुक के पाकिस्तान कनेक्शन पर लद्दाख DGP का दावा: "हमारे पास रिकॉर्ड मौजूद", देखें वीडियो
नई दिल्ली: लद्दाख में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर पुलिस और प्रशासन ने प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। लद्दाख डीजीपी एसडी सिंह जम्वाल ने आरोप लगाया कि वांगचुक का पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के साथ संपर्क था और उन्होंने पाकिस्तान तथा बांग्लादेश की यात्रा भी की थी। इन आरोपों की जांच चल रही है और वांगचुक पर 24 सितंबर को लेह में हिंसा भड़काने का भी आरोप है। वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार कर राजस्थान के जोधपुर जेल में भेजा गया है.
मुख्य तथ्य और आरोप
- डीजीपी जम्वाल के अनुसार पुलिस ने हाल ही में एक पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी को पकड़ा था जो वांगचुक के संपर्क में था, और भारत से पाकिस्तान रिपोर्ट भेज रहा था। वांगचुक ने पाकिस्तान के डॉन मीडिया के एक कार्यक्रम में भी भाग लिया, और बांग्लादेश की यात्रा पर भी सवाल उठाए गए हैं.

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24 सितंबर 2025 को लेह में राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़की। प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों और स्थानीय भाजपा कार्यालय को आग के हवाले कर दिया। इसमें चार लोगों की मौत और लगभग 80 लोग घायल हुए.
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पुलिस का आरोप है कि वांगचुक ने “भड़काऊ भाषण” दिए, जिसमें अरब स्प्रिंग, नेपाल और बांग्लादेश के अशांत आंदोलनों का ज़िक्र था.
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जांच में वांगचुक की विदेशी फंडिंग और FCRA उल्लंघन के संभावित मामलों पर भी पड़ताल जारी है। उनके एनजीओ SECMOL का विदेशी फंडिंग रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है.
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कर्फ्यू लगा दिया गया है, इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और पुलिस ने दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें कुछ “मुख्य साजिशकर्ता” भी शामिल हैं.
डीजीपी लद्दाख का बयान
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प्रशासन और पुलिस का पक्ष
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लद्दाख प्रशासन का कहना है कि वांगचुक ने बार-बार “उकसाने वाले भाषण” दिए जिनसे हिंसा भड़की और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित हुई.
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पुलिस के मुताबिक, वांगचुक ने केंद्र सरकार और लद्दाख प्रतिनिधिमंडल के बीच चल रही वार्ता को पटरी से उतारने की कोशिश की.
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डीजीपी का कहना है कि जांच जारी है एवं किसी ऐसे विदेशी षड्यंत्र की भी संभावना से इनकार नहीं किया गया है, जिसमें नेपाली नागरिक भी मजदूर के रूप में शामिल हो सकते हैं.
सोनम वांगचुक की प्रतिक्रिया
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वांगचुक और उनके समर्थकों का कहना है कि सरकार जनता की मांगों पर विचार करने के बजाय उन्हें बलि का बकरा बना रही है। उनका कहना है कि उन्होंने कभी किसी विदेशी स्रोत से अवैध फंडिंग नहीं ली और हमेशा शांतिपूर्ण आंदोलन का समर्थन किया है.
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