Independence day 2025: आज़ादी के 79 साल बाद हम कितनी दूर आ गए ? भारत की विकासगाथा, शिक्षा से तकनीक तक

खेल जगत में भारत का दबदबा और नई सफलताएँ

Independence day 2025: आज़ादी के 79 साल बाद हम कितनी दूर आ गए ? भारत की विकासगाथा, शिक्षा से तकनीक तक
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समृद्ध डेस्क: आज 15 अगस्त 2025 को भारत अपनी स्वतंत्रता के 79 वर्ष पूरे कर रहा है। जब 1947 में अंग्रेजों ने भारत छोड़ा था, तब यह देश टूटा हुआ, गरीब और पिछड़ा हुआ था। साक्षरता दर मात्र 12.2% थी, अर्थव्यवस्था बर्बाद थी, और वैज्ञानिक-तकनीकी क्षेत्र में भारत का कोई स्थान नहीं था। लेकिन आज 78 वर्षों बाद, भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, अंतरिक्ष में मंगल तक पहुंचने वाला देश, और वैश्विक आईटी हब बन गया है। यह रिपोर्ट भारत की इस अविश्वसनीय यात्रा का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करती है।

प्रधानमंत्री नेहरू ने लाल किले से देश को संबोधित किया- 1947 (फाइल फ़ोटो)

शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव

साक्षरता दर में असाधारण वृद्धि

स्वतंत्रता के समय भारत की स्थिति शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत दयनीय थी। 1947 में केवल 12.2% लोग साक्षर थे, जिसमें पुरुष साक्षरता दर 24% और महिला साक्षरता दर मात्र 7.9% थी। ब्रिटिश शासन काल में शिक्षा व्यवस्था मुख्यतः अभिजात वर्ग के लिए थी और आम जनता के लिए शिक्षा की व्यवस्था नहीं थी।

आज़ादी के बाद भारत सरकार ने शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का महत्वपूर्ण स्तंभ माना और इस दिशा में व्यापक सुधार किए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1968 और 1986) और "साक्षर भारत" जैसे अभियानों के माध्यम से निरक्षरता उन्मूलन के प्रयास किए गए।

वर्तमान में भारत की साक्षरता दर 77.7% तक पहुंच गई है, जो स्वतंत्रता के समय से 6 गुना से अधिक वृद्धि दर्शाता है। पुरुष साक्षरता दर 84.7% और महिला साक्षरता दर 70.3% तक पहुंच गई है

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शिक्षण संस्थानों का विस्तार

1947 में भारत में केवल 38 इंजीनियरिंग कॉलेज थे और तकनीकी क्षेत्र में मात्र 3,000 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। आज भारत में 495 राज्य सरकारी विश्वविद्यालय और उनके 46,000 से अधिक संबद्ध संस्थान हैं। IIT, IIM, IISC जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं की स्थापना ने भारत को विश्व स्तर पर एक शिक्षा हब बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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भारत में साक्षरता की प्रगति 1947-2021 (एडिटेड इमेज)

विज्ञान और तकनीक में भारत की महान उपलब्धियां

अंतरिक्ष तकनीक में विश्व नेतृत्व

स्वतंत्रता के समय भारत के पास कोई अंतरिक्ष कार्यक्रम नहीं था। डॉ. विक्रम साराभाई के दूरदर्शी नेतृत्व में 1969 में ISRO की स्थापना हुई। 1975 में भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट अंतरिक्ष में भेजा गया, जिसने भारत की अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत की।

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इसरो द्वारा अंतरिक्ष में रॉकेट प्रक्षेपण और उपग्रह प्रक्षेपण, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है (IS: News18)

भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों में सबसे महत्वपूर्ण मील के पत्थर निम्नलिखित हैं:

चंद्रयान मिशन: 2008 में चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज की, जो एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि थी। 2023 में चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बना।

मंगल ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान): 2013 में लॉन्च किया गया यह मिशन भारत को पहली ही कोशिश में मंगल की कक्षा में पहुंचने वाला पहला देश बनाता है। यह उपलब्धि भारत की तकनीकी क्षमता और लागत-प्रभावी दृष्टिकोण को दर्शाती है।

इसरो के मंगल ऑर्बिटर मिशन का विस्तृत चित्रण, जिसमें अंतरिक्ष की पृष्ठभूमि में अंतरिक्ष यान के घटकों और अभिविन्यासों को दर्शाया गया है (IS: explore.britannica)

सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति

1950 के दशक में टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान में एशिया का पहला स्वदेशी डिजिटल कंप्यूटर 'ट्रैक' बनाया गया। 1968 में जे.आर.डी. टाटा और फकीर चंद कोहली के नेतृत्व में टीसीएस की स्थापना हुई, जिसने भारत के आईटी क्षेत्र की नींव रखी।

1980 में भारत का आईटी निर्यात मात्र $3.5 मिलियन था, जो आज $200 बिलियन से अधिक हो गया है। 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद भारत का आईटी क्षेत्र तेजी से फला-फूला। इन्फोसिस, विप्रो, टीसीएस जैसी कंपनियों ने विश्व स्तर पर भारत की पहचान बनाई

1970 से 2023 तक एशिया की सिलिकॉन वैली में बैंगलोर का रूपांतरण तकनीकी प्रगति और शहरी विकास को दर्शाता है (IS: Youtube)


डिजिटल इंडिया पहल:
 UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) के माध्यम से भारत डिजिटल भुगतान में विश्व अग्रणी बन गया है। 2025 में UPI लेनदेन 16.99 बिलियन तक पहुंच गया। आधार और JAM (जन धन, आधार, मोबाइल) त्रिमूर्ति ने भारत के बैंकिंग क्षेत्र में क्रांति ला दी है

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खेल जगत में भारत की बढ़ती साख

ऐतिहासिक उपलब्धियां

भारत का खेल इतिहास गौरवशाली रहा है। 1928 में पहला ओलंपिक हॉकी स्वर्ण पदक जीतने के बाद से भारत ने विभिन्न खेलों में उल्लेखनीय प्रगति की है।

हॉकी में प्रभुत्व: भारत ने 1928-1980 के दौरान 8 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते, जिससे हॉकी में भारत का दबदबा स्थापित हुआ। 1948 में स्वतंत्र भारत का पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक लंदन में ब्रिटेन को हराकर जीता गया।

क्रिकेट की सफलता: 1983 में कपिल देव के नेतृत्व में विश्व कप जीतना भारतीय क्रिकेट का स्वर्णिम अध्याय था। यह जीत ने भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। हाल ही में 2024 T20 विश्व कप जीतकर भारत ने 11 साल बाद ICC ट्रॉफी हासिल की।

व्यक्तिगत उत्कृष्टता

विश्वनाथन आनंद: 2000 में विश्व शतरंज चैंपियन बनने के बाद आनंद ने 5 बार यह खिताब जीता। उनकी सफलता ने भारत में शतरंज की नींव मजबूत की।

अभिनव बिंद्रा: 2008 बीजिंग ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीतकर व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय बने।

नीरज चोपड़ा: 2021 टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतकर ट्रैक एंड फील्ड में भारत का पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक दिलाया।

डी गुकेश: 18 साल की उम्र में विश्व शतरंज चैंपियन बनकर सबसे कम उम्र के चैंपियन का रिकॉर्ड बनाया।

पैरालंपिक में अभूतपूर्व सफलता

2024 पैरिस पैरालंपिक में भारत ने 29 पदक (7 स्वर्ण, 9 रजत, 13 कांस्य) जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। यह उपलब्धि भारत की बढ़ती खेल संस्कृति और दिव्यांग खिलाड़ियों के प्रति सरकार की बेहतर नीतियों को दर्शाती है।


आर्थिक क्षेत्र में भारत का शानदार प्रदर्शन

GDP में अभूतपूर्व वृद्धि

1947 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद विश्व के कुल GDP का मात्र 4% था। प्रति व्यक्ति आय केवल ₹250 प्रति वर्ष थी। आज भारत $4.19 ट्रिलियन की GDP के साथ विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। प्रति व्यक्ति आय ₹2 लाख के करीब पहुंच गई है।

भारत की आर्थिक प्रगति 1947-2025 (एडिटेड इमेज)
संरचनात्मक बदलाव

1947 में भारत मुख्यतः कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था थी। आज सेवा क्षेत्र GDP में 50% से अधिक योगदान देता है, विनिर्माण क्षेत्र लगभग 28% और कृषि का योगदान 13% के आसपास है। यह संरचनात्मक परिवर्तन भारत की आर्थिक प्रगति का स्पष्ट संकेत है।

वैश्विक व्यापार में भूमिका

1947 में भारत खाद्यान्न की कमी से जूझ रहा था। 1950 में कुल अनाज उत्पादन मात्र 50 मिलियन टन था, जो 2023 में बढ़कर 325 मिलियन टन हो गया है। आज भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक, दूध का सबसे बड़ा उत्पादक, और "विश्व की फार्मेसी" के रूप में जाना जाता है।

वित्तीय समावेश

JAM त्रिमूर्ति (जन धन, आधार, मोबाइल) ने भारत के बैंकिंग क्षेत्र में क्रांति ला दी है। UPI के माध्यम से भारत वास्तविक समय में डिजिटल भुगतान में विश्व अग्रणी बन गया है। 2024 में UPI ने 172 बिलियन लेनदेन प्रसंस्करण किए, जो वीज़ा के वैश्विक वॉल्यूम से 5 गुना अधिक है।


चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं

बनी हुई समस्याएं

साक्षरता में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद, भारत में अभी भी 25% से अधिक लोग निरक्षर हैं। लिंग असमानता भी एक गंभीर चुनौती है - पुरुष और महिला साक्षरता दर के बीच 14% का अंतर है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता और बुनियादी ढांचे की कमी चिंताजनक है।

स्वास्थ्य सेवा, पर्यावरण संरक्षण, और आय असमानता जैसी समस्याएं अभी भी व्यापक स्तर पर मौजूद हैं। COVID-19 महामारी ने मौजूदा असमानताओं को और भी गहरा कर दिया है।

भविष्य की रणनीति

सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत अगले दशक में 100% साक्षरता का लक्ष्य रखा है। डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं के माध्यम से तकनीकी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में IndiaAI Mission के तहत ₹10,300 करोड़ का निवेश किया जा रहा है। 18,693 GPUs के साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा AI कंप्यूट इन्फ्रास्ट्रक्चर होगा।

निष्कर्ष

भारत की 78 साल की स्वतंत्रता यात्रा अविश्वसनीय परिवर्तन की कहानी है। साक्षरता दर में 6 गुना वृद्धि, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना, मंगल तक पहुंचना, और आईटी क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व - ये सभी उपलब्धियां भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति, नवाचार क्षमता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

1947 में जो देश "टूटा, भिखारी और पिछड़ा" था, वह आज विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। विज्ञान, तकनीक, खेल, शिक्षा और अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में भारत ने न केवल स्वयं का कायाकल्प किया है बल्कि विश्व समुदाय के लिए एक प्रेरणास्रोत भी बना है। अगले 25 वर्षों में भारत के विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य इस निरंतर प्रगति यात्रा का अगला पड़ाव है।

Edited By: Sujit Sinha
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सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।

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