भारत-रूस रक्षा सौदा: अमेरिका की चेतावनी के बीच डोभाल का मॉस्को दौरा, S-400 और Su-57 पर अहम बातचीत
रक्षा सौदों के साथ-साथ आत्मनिर्भरता पर भी जोर
नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल रूस के दौरे पर हैं। उनकी यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका द्वारा रूस के साथ भारत के तेल और रक्षा सौदों पर टैरिफ लगाने की धमकी दी जा रही है।
ऑपरेशन सिंदूर में S-400 की अहम भूमिका

इन हमलों में S-400 मिसाइल सिस्टम की अहम भूमिका रही। इस रूसी-निर्मित सिस्टम ने हमले को सफल बनाने में महत्वपूर्ण मदद की। इसके अलावा, भारत और रूस के संयुक्त प्रोजेक्ट से बनी ब्रह्मोस मिसाइल ने भी अपनी ताकत दिखाते हुए पाकिस्तानी सेना में हड़कंप मचा दिया।
यह ऑपरेशन पहलगाम में हुए उस आतंकी हमले के जवाब में किया गया था जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी। इस सफल सैन्य कार्रवाई ने भारत-रूस के बीच रणनीतिक रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने का आधार तैयार किया है।
रक्षा सौदों पर अहम बातचीत:
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S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम: रिपोर्ट्स के मुताबिक, डोभाल की यात्रा में भारत द्वारा अतिरिक्त S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने की संभावना पर चर्चा हो सकती है। यह प्रणाली भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और इसे पाकिस्तान के खिलाफ "ऑपरेशन सिंदूर" जैसे सैन्य अभियानों में प्रभावी साबित माना गया है।
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Su-57 फाइटर जेट: भारत पांचवीं पीढ़ी के Su-57 लड़ाकू विमानों की खरीद पर भी विचार कर रहा है। माना जा रहा है कि यह विमान अमेरिका के F-35 फाइटर जेट का एक प्रभावी विकल्प हो सकता है, जिसकी खरीद में भारत को तकनीकी सीमाओं का सामना करना पड़ सकता है।
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रक्षा उपकरणों का रखरखाव (MRO): बातचीत में S-400 मिसाइल सिस्टम के लिए भारत में ही रखरखाव (MRO) की सुविधा स्थापित करने की योजना भी शामिल है।
अमेरिका की धमकियां और भारत का रुख:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने और सैन्य सौदे करने पर भारत पर 25% और फिर अतिरिक्त 25% तक टैरिफ लगाया है। इसके बावजूद, भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम है और रूस के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को प्राथमिकता दे रहा है।
पुतिन से मुलाकात की संभावना: डोभाल की इस यात्रा में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात हो सकती है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों की अहमियत का पता चलता है। यह यात्रा भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा जरूरतों को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
