CDS चौहान का अलर्ट: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर 6 बड़ी चुनौतियाँ
सीमा विवाद से लेकर साइबर युद्ध तक—जनरल चौहान ने भारत की सुरक्षा के लिए चेताया।
नई दिल्ली: भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में देश की राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा करते हुए 6 बड़ी चुनौतियों को उजागर किया। इन चुनौतियों में सीमा विवाद, पाकिस्तान की हाइब्रिड रणनीतियाँ, साइबर और अंतरिक्ष सुरक्षा खतरे, ड्रोन हमले, आंतरिक आतंकवाद और चरमपंथी गतिविधियाँ शामिल हैं।
सीमा विवाद और चीन की चुनौती

पाकिस्तान की ‘ब्लीडिंग इंडिया’ रणनीति
पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देना अब भी भारत के लिए गंभीर खतरा है। CDS ने कहा कि पाकिस्तान अब हाइब्रिड युद्ध के नए रूपों में सक्रिय है, जिसमें साइबर हमला, नकली खबर और स्थानीय अस्थिरता फैलाना शामिल है। इस नीति का उद्देश्य भारत को आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर करना है।
साइबर सुरक्षा और तकनीकी खतरे
जनरल चौहान ने साइबर स्पेस को भविष्य का युद्धक्षेत्र बताया। उन्होंने चेताया कि यदि भारत अपने डेटा, कम्युनिकेशन नेटवर्क और सैटेलाइट इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा नहीं करता, तो विरोधी देश और आतंकवादी संगठन इसका फायदा उठा सकते हैं। इसके लिए डिजिटल सुरक्षा, बौद्धिक संपदा की सुरक्षा और कूटनीतिक तैयारियों को मजबूत करना जरूरी है।
अंतरिक्ष सुरक्षा और ड्रोन हमले
अंतरिक्ष में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और ड्रोन हमलों की संभावनाओं ने भारत को नई सुरक्षा चुनौतियों के सामने खड़ा कर दिया है। CDS ने कहा कि भारत को अपने सैटेलाइट, GPS और संवेदनशील डेटा की रक्षा के लिए तत्पर रहना होगा। ड्रोन आधारित आतंकवादी गतिविधियाँ और सीमा पर निगरानी के खतरे लगातार बढ़ रहे हैं।
आंतरिक सुरक्षा और नक्सलवाद
देश की आंतरिक सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। CDS ने नक्सलवादी और चरमपंथी गतिविधियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि इनसे निपटने के लिए पुलिस, अर्धसैनिक बल और स्थानीय प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत है।
सैन्य और नागरिक समन्वय
जनरल चौहान ने यह भी जोर दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सैनिक तैयारियों पर निर्भर नहीं करती, बल्कि नागरिक प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के बीच मजबूत समन्वय भी जरूरी है। उन्होंने रणनीतिक जागरूकता और बेहतर प्रशिक्षण को सुरक्षा के लिए अहम बताया।
भारत की सुरक्षा पर बाहरी और आंतरिक खतरों का दबाव लगातार बढ़ रहा है। CDS के अनुसार, चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर तनाव, साइबर और अंतरिक्ष युद्ध की संभावनाएँ, और आंतरिक चरमपंथी गतिविधियाँ भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती हैं। इन खतरों का सामना करने के लिए देश को सैन्य तैयारियों, तकनीकी क्षमताओं और प्रशासनिक समन्वय को मजबूत करना होगा।
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