1996 मिड-एयर क्रैश: जब भारतीय आसमान में टूटा था 349 जिंदगियों का सपना, चरखी दादरी की भयंकर टक्कर
जांच में सामने आई वजह, आज भी चरखी दादरी की याद में धड़कता है भारत का दिल
समृद्ध डेस्क: 12 नवंबर 1996 की शाम 6:40 बजे भारतीय आसमान में एक ऐसी दुखद घटना घटी जिसने न केवल देश को हिला दिया बल्कि विमानन इतिहास में सबसे बड़ी हवाई टक्कर का काला अध्याय लिख दिया। हरियाणा के चरखी दादरी के ऊपर दो विमानों की भीषण टक्कर में 349 लोगों की जान चली गई, जो आज तक विश्व की सबसे घातक मिड-एयर कॉलिजन मानी जाती है। इस त्रासदी ने भारतीय विमानन सुरक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर किया और देश की एयर ट्रैफिक कंट्रोल प्रणाली में आमूलचूल बदलाव का रास्ता खोला।
हाइलाइट्स
- 349 जिंदगियां, 14,000 फीट पर 4 सेकंड में खत्म।
- गलत ऊंचाई और संचार की कमी बनी मौत का कारण।
- इस हादसे ने बदल दी भारत की विमानन सुरक्षा

घटना की पूर्ण कहानी
उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन की शुरुआत
12 नवंबर 1996 का दिन दीवाली के बाद का एक सामान्य मंगलवार था। चरखी दादरी और आसपास के गांवों में शांति थी। किसानों की सरसों और कपास की फसलें लहलहा रही थीं। शाम के समय लोग अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त थे, जब अचानक आसमान से आग के गोले गिरते दिखे।
विमानों का परिचय
सऊदी अरेबियन एयरलाइंस फ्लाइट 763 (SV-763)
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विमान: बोइंग 747-168B (पंजीकरण: HZ-AIH)
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मार्ग: दिल्ली से धहरान (सऊदी अरब)
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यात्री: 289 (जिनमें 215 भारतीय, 40 नेपाली शामिल)
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क्रू: 23
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कुल: 312 लोग
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कमांडर: कैप्टन खालिद अल-शुबैली
कजाकिस्तान एयरलाइंस फ्लाइट 1907 (KZ-1907)
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विमान: इल्युशिन IL-76TD (पंजीकरण: UN-76435)
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मार्ग: चिमकेंत (कजाकिस्तान) से दिल्ली
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यात्री: 27 (किर्गिजस्तान के व्यापारी)
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क्रू: 10
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कुल: 37 लोग
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कमांडर: कैप्टन अलेक्जेंडर चेरेपानोव
घटनाक्रम की विस्तृत जांच
एयर ट्रैफिक कंट्रोल की स्थिति
उस समय दिल्ली हवाई अड्डे पर केवल प्राइमरी रडार था, जो केवल विमान की दूरी और दिशा बता सकता था, ऊंचाई नहीं। एयर ट्रैफिक कंट्रोलर V.K. दत्ता को पायलटों के कहे गए ऊंचाई पर भरोसा करना पड़ता था। सिकेंडरी सर्वीलांस रडार (SSR) सिस्टम का ऑर्डर दो सप्ताह पहले ही आया था लेकिन अभी तक पैक भी नहीं खुला था।
विमानों का अंतिम संवाद
शाम 6:38:52 बजे - सऊदी विमान का अंतिम संदेश: "सऊदी सेवन सिक्स थ्री विल मेंटेन वन फोर जीरो" (FL140 बनाए रखेंगे)
शाम 6:39:41 बजे - कजाक विमान का अंतिम संदेश: "नाउ लुकिंग 1907" (अब ढूंढ रहे हैं)
शाम 6:40:16 बजे - टक्कर हो गई।
टक्कर का विवरण
दोनों विमान 14,000 फीट की ऊंचाई पर आमने-सामने टकराए। कजाक विमान की पूंछ ने सऊदी बोइंग के बाएं पंख को काट दिया। इस भीषण टक्कर में दोनों विमान तुरंत नियंत्रण खो बैठे और आग के गोले बनकर जमीन पर गिरे।
आंखों देखा हाल और स्थानीय प्रभाव
गांव वालों की गवाही
चरखी दादरी के टीकाना कलां और खेड़ी संसनवाल गांव के लोगों ने बताया कि पहले एक भयंकर आवाज आई जिससे घरों के दरवाजे-खिड़कियां हिल गईं। फिर आसमान में एक विशाल आग का गोला दिखा और दो अलग दिशाओं में आग के गोले गिरते दिखे।
रिटायर्ड सूबेदार महेंद्र सिंह ने कहा, "मैंने एक विशाल गैस के जलने जैसी आग का गोला देखा।" गांव के लोग डर से अपने घरों से बाहर निकले थे।
बचाव अभियान
स्थानीय पुलिस और प्रशासन तुरंत कार्रवाई में उतर गए। लगभग 20,000 लोग घटनास्थल पर इकट्ठा हो गए जिससे राहत कार्यों में बाधा आई। प्रत्यक्षदर्शी दयानंद प्रधान, जो एक वरिष्ठ पत्रकार थे, पहले व्यक्ति थे जो घटनास्थल पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी।
नुकसान का आकलन
मलबा 7 किलोमीटर लंबे और 2 किलोमीटर चौड़े क्षेत्र में फैला था। सऊदी विमान का मलबा धानी गांव (भिवानी जिला) के पास और कजाक विमान का मलबा बिरोहड़ गांव (रोहतक जिला) के पास गिरा था।
न्यायिक जांच और कारण
लाहोती आयोग की स्थापना
केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश चंद्र लाहोती की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित किया। कैप्टन ए.के. वर्मा (एयर इंडिया के निदेशक एयर सेफ्टी) और एयर कमोडोर (सेवानिवृत्त) टी. पन्नू को सहायक नियुक्त किया गया।
मुख्य कारण
आयोग के अनुसार मूल कारण: कजाकिस्तान विमान का अनधिकृत रूप से FL-150 से FL-140 पर उतरना और निर्धारित ऊंचाई बनाए रखने में विफलता।
योगदान करने वाले कारक
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भाषा की समस्या: कजाक पायलट के अंग्रेजी भाषा की अपर्याप्त जानकारी
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खराब क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट: पायलट-इन-कमांड में नेतृत्व की कमी
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संचार की कमी: प्रत्यक्ष पायलट-कंट्रोलर संचार का अभाव (रेडियो ऑपरेटर के माध्यम से संचार)
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लापरवाही: चालक दल का गैर-जिम्मेदाराना रवैया।
तकनीकी विश्लेषण
कजाक विमान की गलती
फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर के अनुसार:
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कजाक विमान FL-150 बनाए रखने का निर्देश था
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लेकिन यह वास्तव में 16,348 फीट पर था जब रेडियो ऑपरेटर ने FL-150 पहुंचने की रिपोर्ट दी
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विमान लगातार नीचे उतर रहा था
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टक्कर से 4 सेकंड पहले रेडियो ऑपरेटर ने चिल्लाकर कहा: "150 पर जाओ, क्योंकि 140 पर..."
सऊदी विमान की स्थिति
सऊदी बोइंग 747 ने अपनी निर्धारित ऊंचाई FL-140 को पूरी तरह से बनाए रखा था। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में टक्कर से पहले अरबी में अंतिम शब्द रिकॉर्ड हुए: "अस्तगफिरुल्लाह, अशहदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह" (अल्लाह की माफी, मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के अलावा कोई उपासना के योग्य नहीं)
दुर्घटना के बाद के सुधार
तत्काल बदलाव
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TCAS अनिवार्यता: भारत में उड़ने वाले सभी विमानों के लिए ट्रैफिक कॉलिजन अवॉयडेंस सिस्टम अनिवार्य
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सिकेंडरी रडार: दिल्ली में SSR सिस्टम की स्थापना
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अलग एयर कॉरिडोर: आने और जाने वाले विमानों के लिए अलग-अलग रास्ते
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अंग्रेजी दक्षता: पायलटों के लिए अंग्रेजी भाषा की अनिवार्य योग्यता
दीर्घकालिक प्रभाव
इस दुर्घटना ने दुनिया भर में TCAS सिस्टम को अनिवार्य बनाने में योगदान दिया। भारत में इसके बाद से कोई हवाई टक्कर नहीं हुई है।
व्यापक सामाजिक प्रभाव
पीड़ित परिवारों की स्थिति
सबसे अधिक प्रभावित भारतीय परिवार थे जिनके 215 सदस्य सऊदी अरब में काम करने जा रहे थे। नेपाली समुदाय के 40 लोग भी शामिल थे। कई परिवारों के एकमात्र कमाने वाले सदस्य की मृत्यु हो गई थी।
स्थानीय समुदाय पर प्रभाव
चरखी दादरी के आसपास के गांवों में आज भी उस दिन की यादें ताजा हैं। खेतों में गिरे मलबे और शवों का दृश्य स्थानीय लोगों के दिलों में आज भी डर बैठा है।
स्मारक की योजना
2021 में चरखी दादरी जिला प्रशासन ने 349 पीड़ितों की याद में एक स्मारक बनाने की योजना बनाई है। इसमें सभी पीड़ितों के नाम और जानकारी होगी। इस परियोजना में सऊदी अरब और कजाकिस्तान के दूतावासों की भागीदारी की योजना है।
न्यायिक सुधार और सिफारिशें
लाहोती आयोग की 15 सिफारिशें
आयोग ने विमानन सुरक्षा में सुधार के लिए 15 महत्वपूर्ण सिफारिशें दीं:
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भाषा दक्षता: अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए अंग्रेजी में प्रवीणता अनिवार्य
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CRM प्रशिक्षण: क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट को प्रशिक्षण का अनिवार्य हिस्सा बनाना
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प्रत्यक्ष संचार: टर्मिनल क्षेत्रों में पायलट-कंट्रोलर प्रत्यक्ष संचार अनिवार्य
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तकनीकी सुधार: ACAS, altitude alert और acquisition systems अनिवार्य
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ATC संगठनात्मक सुधार: DGCA में ATC तत्व की स्थापना
सरकारी कार्रवाई
भारत सरकार ने इन सभी सिफारिशों को व्यापक रूप से स्वीकार किया और लागू करने की दिशा में कदम उठाए। परिणामस्वरूप भारतीय विमानन सुरक्षा में significate सुधार हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव और शिक्षा
विश्वव्यापी बदलाव
इस दुर्घटना ने ICAO (International Civil Aviation Organization) को भी प्रभावित किया। विमानन सुरक्षा के अंतर्राष्ट्रीय मानकों में कई बदलाव इस दुर्घटना के कारण आए।
प्रशिक्षण सामग्री
यह घटना आज भी विमानन अकादमियों में केस स्टडी के रूप में पढ़ाई जाती है। National Geographic के Mayday (Air Crash Investigation) सीरीज में इस पर "Sight Unseen" नाम से एक एपिसोड भी बनाया गया है।
निष्कर्ष
चरखी दादरी की हवाई टक्कर भारतीय विमानन इतिहास का सबसे काला दिन था, लेकिन इसने भविष्य की दुर्घटनाओं को रोकने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 349 निर्दोष जीवों की कीमत पर मिली इस शिक्षा ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया की विमानन सुरक्षा को मजबूत बनाया है।
आज 28 साल बाद भी यह दुर्घटना हमें याद दिलाती है कि विमानन सुरक्षा में कोई भी लापरवाही कितनी घातक हो सकती है। उचित प्रशिक्षण, तकनीकी सुधार और बेहतर संचार व्यवस्था से इस तरह की त्रासदियों को रोका जा सकता है।
उन 349 आत्माओं की याद में जिन्होंने अपनी जान गंवाई, हमारा कर्तव्य है कि हम इस दुर्घटना से मिली सीख को हमेशा याद रखें और विमानन सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।
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सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
