हिरोशिमा परमाणु बमबारी की 80वीं वर्षगांठ: इतिहास के एक दुखद अध्याय की याद
हिरोशिमा का परमाणु हमले के बाद पुनर्निर्माण और विकास कैसे हुआ?
आज, 6 अगस्त, 2025, उस दुखद दिन की 80वीं वर्षगांठ है जब हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया गया था. 1945 में, द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम चरण में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापानी शहर हिरोशिमा पर "लिटिल बॉय" नामक परमाणु बम गिराया. इस हमले ने शहर को तबाह कर दिया और लाखों लोगों की जान ले ली. इस विनाशकारी हमले के तीन दिन बाद, 9 अगस्त को नागासाकी पर एक और परमाणु बम गिराया गया, जिसके बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया और द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ. मालूम हो की हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम को अमेरीका पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डेलानो रूज़वेल्ट के सन्दर्भ में "लिटिल ब्वाय" और नागासाकी के बम को विन्सटन चर्चिल के सन्दर्भ में "फ़ैट मैन" कहा गया.
2 लाख से अधिक लोगों की हुई थी मौत

यह घटना मानव इतिहास की सबसे भयानक घटनाओं में से एक है, जो परमाणु हथियारों की विनाशकारी शक्ति की याद दिलाती है. यह दिन न केवल उन पीड़ितों को याद करने का है, बल्कि शांति और भाईचारे के लिए काम करने की हमारी प्रतिबद्धता को भी दोहराता है. इस दुखद इतिहास के बीच, कई ऐसी कहानियाँ भी हैं जो मानवीय गरिमा और जीवन के प्रति समर्पण की भावना को दर्शाती हैं.
आज का हिरोशिमा: परमाणु हमले के बाद का पुनर्निर्माण और विकास
आज, परमाणु हमले के 80 साल बाद, जापान का हिरोशिमा शहर पूरी तरह से बदल चुका है. कभी तबाह हुआ यह शहर अब एक सुंदर और विकसित शहर के रूप में जाना जाता है, जिसकी आबादी लगभग 12 लाख है. जापान ने इस शहर को दोबारा बसाने के लिए बहुत मेहनत की, जिसका परिणाम आज यहाँ की आधुनिक संरचना और व्यवस्थित विकास में देखा जा सकता है.
यह शहर अपनी आधुनिकता और सुंदरता के साथ-साथ अपने इतिहास को भी संजोए हुए है. यहाँ स्थित हिरोशिमा मेमोरियल और म्यूजियम लोगों को परमाणु हमले की तबाही की याद दिलाते हैं, ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो.
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
