निर्णायक साबित होगा भारत में हरित ऊर्जा परियोजनाओं पर यूके का 1.2 अरब डॉलर का निवेश
यूनाइटेड किंगडम (यूके) में भारतीय मूल के चांसलर ऋषि सुनक और भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कल यूके और भारत के बीच 11वीं आर्थिक और वित्तीय वार्ता (ईएफडी) में जलवायु परिवर्तन से निपटने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए कदमों की घोषणा की। इनमें हरित परियोजनाओं और रिन्युब्ल एनर्जी में सार्वजनिक और निजी निवेश का 1.2 बिलियन डॉलर का पैकेज और भारत में स्थायी बुनियादी ढांचे में निजी पूंजी जुटाने के लिए क्लाइमेट फाइनेंस लीडरशिप इनिशिएटिव (CFLI) भारत साझेदारी का संयुक्त लॉन्च शामिल है। ये निवेश 2030 तक भारत के 450GW रिन्यूएबल एनर्जी के लक्ष्य का समर्थन करेंगे।
2020 में £18 बिलियन से अधिक के द्विदेशीय व्यापार के साथ यूके-भारत आर्थिक संबंध पहले से ही मज़बूत हैं और ये एक-दूसरे की अर्थव्यवस्थाओं में लगभग आधा मिलियन नौकरियों के लिए ज़िम्मेदार हैं। इस साल की शुरुआत में, यूके और भारतीय प्रधानमंत्रियों ने अगले दशक में अर्थव्यवस्थाओं और लोगों की नजदीकीयां बढ़ाने और दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए यूके-भारत 2030 रोडमैप लॉन्च किया। देशों ने 2030 तक व्यापार को दोगुना करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी निर्धारित किया है, जिसमें एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (मुक्त व्यापार समझौते) पर बातचीत भी शामिल है।
1/5: 🇬🇧 Chancellor @rishisunak and 🇮🇳 Finance Minister @nsitharaman welcomed new agreements at the 11th Economic and Financial Dialogue focussing on tackling #climatechange and boosting #investment. pic.twitter.com/zrF6o8JPiy
— Alex Ellis (@AlexWEllis) September 2, 2021
इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए उल्का केलकर, निदेशक, जलवायु कार्यक्रम WRI ने कहा, “भारत के लो-कार्बन ट्रांजिशन के बड़े पैमाने को अग्रिम पूंजी निवेश की आवश्यकता होगी। इस तरह समर्पित फंडिंग का उपयोग नई ग्रीन ऊर्जा, उद्योग और शहरी बुनियादी ढांचे के निर्माण और कार्बन-गहन परियोजनाओं में लॉक-इन से बचने के लिए किया जा सकता है। इन नई फंडिंग पहलों को उत्सर्जन को कम करने और आजीविका का समर्थन करने की बड़ी क्षमता रखने वाले लेकिन वित्त तक पहुंचने की कम क्षमता रखने वाले विकेन्द्रीकृत ग्रामीण ऊर्जा और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) में निवेश को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। ”
आगे, अखिलेश मगल, प्रमुख- अनुसंधान सलाहकार, GERMI कहते हैं, “पर्याप्त वित्तीय सहायता हमेशा जलवायु कार्रवाई के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता रही है, और जैसे-जैसे भारत स्वच्छ भविष्य की अपनी तलाश में आगे बढ़ रहा है ये और भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है। यह घोषणा COP26 पर रचनात्मक वार्ता के प्रति विश्वास बढ़ाती है। यह देखना बाकी है कि धन कैसे आएगा, किन स्रोतों से और उनका उपयोग कहां किया जाएगा। फिर भी, इस विकास को स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों के लिए कम लागत वाले वित्त के प्रवाह में योगदान देना चाहिए।”
अंत में , क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक, आरती खोसला, ने कहा, “जलवायु कार्रवाई का वित्तपोषण एक दयाहीन मुद्दा रहा है। COP26 से पहले, इस साझेदारी से पवन और सौर सहित सस्टेनेबल बुनियादी ढांचे के लिए और अधिक निजी पूंजी आनी चाहिए। यह बिजली और परिवहन जैसे प्रमुख क्षेत्रों से उत्सर्जन को कम करने की दिशा में एक मल्टिप्लायर प्रभाव पैदा करेगा। अगले कुछ महीनों में होने वाली महत्वपूर्ण बैठकों से पहले यह अच्छी खबर है। यह केवल एक प्रतीकात्मक इशारा नहीं, बल्कि वित्तपोषण के लिए प्रतिबद्धताओं को वास्तविक बनाता है।”