International Tiger Day: दुनिया के 75% बाघ भारत में, जानिए कहां है सबसे ज्यादा टाइगर
हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है International Tiger Day, जानें भारत कैसे बना दुनिया का टाइगर कैपिटल
हर साल 29 जुलाई को मनाया जाने वाला International Tiger Day न केवल बाघों की घटती संख्या की याद दिलाता है, बल्कि उनके संरक्षण की दिशा में वैश्विक जागरूकता का प्रतीक भी है. 100 साल पहले तक जहां बाघों की संख्या लाखों में थी, वहीं अब पूरी दुनिया में केवल 3890 से 4000 टाइगर ही बचे हैं। इनकी गिरती संख्या के पीछे अवैध शिकार, जंगलों की कटाई और उनके अंगों का अवैध व्यापार मुख्य कारण हैं.

भारत में अब 53 टाइगर रिजर्व हैं, और राज्यों की बात करें तो मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड सबसे आगे हैं. हालांकि, ओडिशा, झारखंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में बाघों की संख्या लगातार घट रही है, जो चिंता का विषय है.
दुनिया में कितने बाघ बचे हैं?
100 साल पहले तक बाघों की संख्या लाखों में थी, लेकिन शिकार, जंगलों की कटाई और अंगों के अवैध व्यापार की वजह से इनकी संख्या घटकर महज 3890-4000 रह गई है। ये आंकड़ा 2022 के ग्लोबल टाइगर सेंसस पर आधारित है.
बड़ी बात: दुनिया के कुल टाइगर का 75% भारत में है, यानी लगभग 3682 बाघ.
कहां-कहां हैं दुनिया में टाइगर?
देश अनुमानित टाइगर
भारत 3682
रूस 500-600
इंडोनेशिया 400
नेपाल 350-400
मलेशिया 150
बांग्लादेश 100-120
थाईलैंड 150
चीन, भूटान, म्यांमार 50-100 या उससे कम
भारत में कहां हैं सबसे ज्यादा टाइगर?
भारत में 53 टाइगर रिजर्व हैं। 2022 की सेंसस के अनुसार, भारत में बाघों की संख्या 2018 में 2967 से बढ़कर 3682 हुई, यानी 24% की वृद्धि.
टॉप टाइगर रिजर्व:
जिम कॉर्बेट (उत्तराखंड) – 260 टाइगर
बांदीपुर (कर्नाटक) – 150 टाइगर
नागरहोल (कर्नाटक) – 141 टाइगर
बांधवगढ़ (मध्य प्रदेश) – 135 टाइगर
कान्हा (मध्य प्रदेश) – 105 टाइगर
काजीरंगा (असम) – 104 टाइगर
सुंदरबन (पश्चिम बंगाल) – 100 टाइगर
राज्यवार:
मध्य प्रदेश – 785 टाइगर (देश में सबसे ज्यादा)
कर्नाटक – लगभग 563
उत्तराखंड – लगभग 560
भारत में टाइगर की सुरक्षा कैसे हो रही है?
1973 में शुरू हुआ "प्रोजेक्ट टाइगर" और NTCA (National Tiger Conservation Authority) टाइगर संरक्षण की रीढ़ हैं।
प्रमुख उपाय:
कैमरा ट्रैप और ड्रोन निगरानी
सख्त गश्ती और शिकार विरोधी अभियान
स्थानीय समुदाय की भागीदारी
टाइगर कंजर्वेशन की बड़ी चुनौतियां
शिकार और अवैध व्यापार: बाघ की खाल और हड्डियों की तस्करी आज भी होती है
जंगलों की कटाई: बाघों का निवास सीमित हो रहा है
प्राकृतिक शिकार की कमी: हिरण, सुअर जैसे जानवरों की घटती संख्या
मानव-वन्यजीव संघर्ष: इंसानों के इलाके में बाघों की घुसपैठ और हमले
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
भारत का मॉडल मिसाल है, लेकिन जंगलों और प्राकृतिक शिकार को बचाना जरूरी है. कुछ राज्यों जैसे मिजोरम, झारखंड में बाघ लगभग खत्म हो चुके है. टाइगर और इंसान के बीच संतुलन और सह-अस्तित्व की जरूरत है.
निष्कर्ष
International Tiger Day सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि अगर आज कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में जंगल का ये राजा सिर्फ किताबों और फिल्मों में रह जाएगा.
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
