मनरेगा : अदालत में सुनवाई टलने पर पीबीकेएमएस ने केंद्र, राज्य व अदालत से पूछा सवाल

मनरेगा : अदालत में सुनवाई टलने पर पीबीकेएमएस ने केंद्र, राज्य व अदालत से पूछा सवाल

कोलकाता : पश्चिम बंग खेत मजदूर समिति ने कलकत्ता हाइकोर्ट में पश्चिम बंगाल के मनरेगा मजूदरों के बकाया भुगतान के मामले की सुनवाई टल जाने पर आपत्ति दर्ज करायी है और कहा है कि क्या सारी कुर्बानियां मजदूर वर्ग के लोगों को ही देनी होगी। पीबीकेएमएस ने कहा है कि अब मामले की सुनवाई दुर्गा पूजा की छुट्टियों के बाद ही हो सकेगा। दरअसल, 18 अक्टूबर को अदालत में यह मामला सुनवाई के लिए आइटम नंबर 43 पर दर्ज था, लेकिन यह सुनवाई के लिए नहीं पहुंच सका। ऐसे में अब मामले की सुनवाई पूजा के अवकाश के बाद हो सकेगी।

इस मामले की आखिरी सुनवाई नौ अक्टूबर को हुई थी। उस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले में श्रमिकों के अधिकारों के उल्लंघन के लिए केंद्र और राज्य सरकार को फटकार लगायी थी। हालांकि समय की कमी के कारण सुनवाई अधूरी रह गयी थी। सुनवाई से मनरेगा श्रमिकों में उम्मीद बंधी थी और अपनी मजदूरी पाने की उम्मीद लगाये हुए थे।

पीबीकेएमएस ने अपने बयान में कहा है कि केंद्र व राज्य सरकार से कानूनी लड़ाई लड़ने की कठिन यात्रा सामाजिक न्याय के सिद्धांत पर बने राष्ट्र की स्थिति के बारे में बहुत कुछ कहती है। पीबीकेएमएस ने मनरेगा की मजदूरीबंदी से लेकर अदालत में सुनवाई तक को लेकर एक सूची जारी की है। पीबीकेएमएस ने कहा है कि यह सूची उन लोगों का प्रतिनिधित्व करती है जो बेगुनाह हैं। ऐसा लगता है कि उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार नहीं है। पीबीकेएमएस ने कहा है कि कुछ दिन पहले तक श्रमिकों की बदहाली के खिलाफ आवाज उठाने वाले नेता अब शरद उत्सव के लिए पंडालों का फीता काटने काटने में व्यस्त हैं।

पीबीकेएमएस ने केंद्र, राज्य व अदालत से इस मामले पर गंभीरता पूर्वक विचार करने का आग्रह किया है कि क्या मनरेगा मजदूर एक शाम का भोजन करने को मजबूर रहेंगे।

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मनरेगा मामले में कब क्या हुआ –

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17 दिसंबर 2021 को केंद्र सरकार ने मजदूरी रोक दी।

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जुलाई 2022 में मनरेगा के तहत काम बंद कर दिया गया।

दिसंबर 2021 से अक्टूबर 2022 के दौरान इस संबंध में केंद्र व राज्य के अधिकारियों के समक्ष व अन्य प्राधिकारियों को ज्ञापन व मांग पत्र सौंपा गया।

नौ मार्च 2022 को केंद्र सरकार द्वारा धारा 27 लागू करने का आदेश पारित किया गया। यह आदेश न तो केंद्र या राज्य सरकार की वेबसाइटों पर प्रकाशित किया गया, न ही नरेगा श्रमिकों को इसकी सूचना दी गई। आदेश में दो बातें कही गईं – पहला, पिछले लंबित भुगतानों को केंद्र द्वारा मंजूरी दे दी जाएगी और दूसरा, मनरेगा अधिनियम को राज्य द्वारा अपने संसाधनों से तब तक लागू किया जाएगा जब तक कि यह आदेश वापस नहीं ले लिया जाता।

नवंबर 2022: पीबीकेएमएस ने अदालत में एक रिट याचिका दायर की।

9 जनवरी 2023: उच्च न्यायालय ने उसी तिथि के आदेश के तहत उक्त याचिका का निपटारा करते हुए पीबीकेएमएस को विभिन्न जिलों के जिला मजिस्ट्रेटों के समक्ष प्रभावित श्रमिकों के विवरण के साथ पिटिशन दाखिल करने की अनुमति दी।

जनवरी 2023 से अप्रैल 2023: पीबीकेएमएस ने इस तरह के आदेश के उचित अनुपालन में पश्चिम बंगाल राज्य के नौ जिला मजिस्ट्रेटों के समक्ष श्रमिकों के विवरण वाले विस्तृत अभ्यावेदन भेजे।

मार्च 2023 से जून 2023: जिला मजिस्ट्रेट, जिला नोडल ऑफिसर ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 9 जनवरी 2023 के आदेश के संदर्भ में सुनवाई की। उन्होंने दावों की वैधता-वास्तविकता को स्वीकार किया, हालांकि उन्होंने केंद्र सरकार के नौ जनवरी को आदेश का हवाला देते हुए भुगतान में अमर्थता जतायी।

मई 2023: पीबीकेएमएस ने लंबित मजदूरी और मनरेगा के तहत काम फिर से शुरू करने का दावा करते हुए फिर से उच्च न्यायालय का रुख किया।

6 जून 2023: मामला पहली बार सुनवाई के लिए आया, न्यायालय ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को कई निर्देश दिए, उनसे निर्देशों के संदर्भ में हलफनामा दायर करने को कहा।

7 जुलाई 2023: केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामों का जवाब दाखिल करने की छूट के साथ मामले को 24 जुलाई 2023 तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

जुलाई 2023 से अक्टूबर 2023: मामला सूचीबद्ध होता रहा,अंततः मामला नौ अक्टूबर 2023 को सुनवाई के लिए आया।
9 अक्टूबर 2023: बहस पूरी नहीं हो सकी। इसलिए कोई आदेश पारित नहीं किया जा सका और मामला 10 अक्टूबर के लिए बढा दिया गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Edited By: Samridh Jharkhand

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