आरएसएस के मुखपत्र आर्गेनाइजर ने हेमंत सरकार की नयी नियुक्ति नियमावली को बताया तुष्टिकरण करने वाला

आरएसएस के मुखपत्र आर्गेनाइजर ने हेमंत सरकार की नयी नियुक्ति नियमावली को बताया तुष्टिकरण करने वाला

रांची : झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार द्वारा पिछले सप्ताल झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं द्वारा होने वाली नियुक्ति के लिए बनायी गयी नयी नियुक्ति नियमावली पर आरोप-प्रत्यारोप जारी है। भाजपा ने जहां राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का निर्णय लिया है, वहीं आरएसएस के अंग्रेजी मुखपत्र आर्गेनाइजर ने भी एक लेख के जरिए इस पर गंभीर सवाल उठाया है।

आर्गेनाइजर ने जेएसएससी की परीक्षाओं के लिए भाषाओं की सूची में हिंदी व संस्कृत को शामिल नहीं करने और उर्दू को जगह देने पर सवाल उठाया है। आर्गेनाइजर ने लिखा है कि झारखंड में 62 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं और मात्र 5 प्रतिशत उर्दू भाषी लोग हैं, इसके बावजूद हिंदी को शामिल नहीं करना और उर्दू को शामिल करना हेमंत सरकार के धु्रवीकरण की नीति को इंगित करती है। आर्गेनाइजर ने दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत को भी जगह नहीं दिए जाने पर सवाल उठाया है।

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आर्गेनाइजर ने लिखा है कि राज्य सरकार के अनुसार, हिंदी और संस्कृत आदिवासी या क्षेत्रीय भाषा नहीं है, इसलिए उन्हें हटा दिया गया है। लेकिन, उर्दू के भी आदिवासी या क्षेत्रीय भाषा नहीं होने पर भी उसे शामिल किया गया है। आरएसएस के मुखपत्र ने लिखा है कि राज्य में कई जगहों पर मगही, भोजपुरी, अंगिका व मैथिली बोली जाती है उसके बावजूद उसे जगह नहीं दी गयी है।

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आर्गेनाइजर ने लिखा है कि पलामू, गढवा, चतरा, गोड्डा व हजारीबाग में भोजपुरी, मगही व अंगिका जैसी भाषाएं अलग-अलग क्षेत्र में बोली जाती हैं। अखबार के अनुसार, झारखंड सरकार के इस फैसले से राज्य के 30 लाख लोग प्रभावित होंगे।

आर्गेनाइजर ने लिखा है कि पिछली रघुवर सरकार ने 21 मार्च 2018 को कैबिनेट बैठक में बिहार राज्य भाषा (झारखंड संशोधन) अध्यादेश 2018 को मंजूरी दी थी। इससे पहले झारखंड में 12 भाषाओं को दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया जा चुका था, जिसके बाद राज्य सरकार ने मगही, भोजपुरी, मैथिली और अंगिका को दूसरी भाषा घोषित करने पर सहमत हुए।

निर्दलीय विधायक सरयू राय ने भी सोमवार को ट्वीट कर कहा, हेमंत सोरेन सरकार नियुक्ति नियमावली में संशोधन कर इसे राज्य हित में व्यवहारिक बनाए, संशोधन इसलिए कि हिंदी का सम्माजनक संवैधानिक स्थान बरकरार रहे। बेहतर शिक्षा, नियोजन, व्यवसाय आदि के लिए अन्य राज्यों के विद्यालयों में पढ़ने वाले राज्य के विद्यार्थी नियोजन से वंचित नहीं हों।

Edited By: Samridh Jharkhand

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