‘हो’ समाज की भाषा और संस्कृति के संरक्षण के लिए मोदी सरकार संकल्पित: हिमंत विश्व शरमा

‘हो’ भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए पहल करेगी भारत सरकार

‘हो’ समाज की भाषा और संस्कृति के संरक्षण के लिए मोदी सरकार संकल्पित: हिमंत विश्व शरमा
हिमंता बिश्वा सरमा (फाइल फोटो)

विश्व शरमा ने बताया कि झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में रहने वाले आदिवासी "हो" समाज के परिवारजनों की कई वर्षों से माँग थी कि "हो" भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए. इस संदर्भ में, मैंने आदिवासी "हो" समाज युवा महासभा और अखिल भारतीय हो भाषा एक्शन कमेटी के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी से मुलाकात की.

रांची: असम के मुख्यमंत्री और झारखंड विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी हिमंत विश्व शरमा ने विगत 16 सितंबर को ‘हो’ समाज के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. मिलने वालों में आदिवासी हो समाज युवा महासभा के महासचिव गब्बर सिंह हेंब्रम, पूर्व सांसद गीता कोड़ा सहित अन्य शामिल थे. प्रतिनिधिमंडल ने एक ज्ञापन भी सौंपा.

विश्व शरमा ने बताया कि झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में रहने वाले आदिवासी "हो" समाज के परिवारजनों की कई वर्षों से माँग थी कि "हो" भाषा (वारंग क्षिति लिपि) को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए. इस संदर्भ में, मैंने आदिवासी "हो" समाज युवा महासभा और अखिल भारतीय हो भाषा एक्शन कमेटी के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी से मुलाकात की.

उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने इस प्रतिनिधिमंडल की बात सुनी और आश्वासन दिया कि भारत सरकार उनकी इस माँग पर विचार करेगी. साथ ही यह भी कहा कि मोदी सरकार देश के हर समाज की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि झारखंड में 18 लाख,उड़ीसा में 14 लाख,असम में 7 लाख,छत्तीसगढ़ में 50 हजार जबकि अन्य जगहों पर लगभग 1 लाख लोग हो भाषा बोलते हैं. ‘हो’ भाषा कि अपनी वारंग चिति लिपि है.अपना शब्दकोष है.

उन्होंने कहा कि इतिहास,सामाजिक विज्ञान आदि में हो भाषा में शोध प्रकाशित हुए हैं. इनके साहित्य देवनागरी, उड़िया,बंगाली,रोमन लिपि में भी प्रकाशित हुए हैं. झारखंड राज्य में हो भाषा को प्राथमिक से लेकर विश्व विद्यालय तक पढ़ाई जाती है. कोल्हान,रांची,श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में इसकी पढ़ाई होती है. इस भाषा का प्रयोग आदिवासी और गैर आदिवासी दोनो समुदाय के लोग करते हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड में हो भाषा को द्वितीय राजभाषा में शामिल किया गया है. इस भाषा के आधार पर नियुक्ति भी हुई है. हिमंता विश्व शरमा ने बताया कि ‘हो’ भाषा के विद्वानों को पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है.

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उन्होंने कहा कि भारत सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जनजाति समाज के सर्वांगीण विकास,उनके संस्कृति की सुरक्षा केलिए संकल्पित है. जैसे संथाली और बोडो भाषा को भाजपा सरकार ने 8वीं अनुसूची में शामिल करने केलिए संविधान में 102वीं संशोधन किया था. आने वाले दिनों में ‘हो’ भाषा को भी संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की दिशा में आवश्यक कारवाई करेगी.

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Edited By: Subodh Kumar

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