ओबीसी आरक्षण खत्म करने की झामुमो ने की साजिश: आजसू
ओबीसी मुद्दे पर झामुमो के आरोप में आजसू का पलटवार
आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव एवं पूर्व विधायक डॉ लंबोदर महतो तथा वरिष्ठ नेता एवं झारखंड आंदोलनकारी प्रवीण प्रभाकर ने आज प्रेस कांफ्रेंस को संयुक्त रूप से संबोधित करते हुए कहा कि झामुमो का आजसू पर आरोप झूठ का पुलिंदा है
रांची: आजसू ने आरोप लगाया है कि झामुमो पिछड़ा वर्ग विरोधी है. झामुमो ने पंचायत और नगर निकाय चुनावों में ओबीसी का आरक्षण खत्म करने की साजिश रची थी, जिसे आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने विफल कर दिया तो झामुमो बौखला गया है और बेबुनियाद आरोप लगा रहा है. सुदेश महतो ने ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए हमेशा संघर्ष किया है, जबकि हेमंत सरकार की ओबीसी विरोधी साजिश के कारण पंचायत और नगर निकाय का चुनाव कई वर्षों से नहीं हो पा रहा है.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मार्च 2022 में भी स्पष्ट रूप से कहा था कि ओबीसी आरक्षण की बाध्यता नहीं है जिसका आजसू ने विरोध किया था.
प्रभाकर ने कहा कि झारखंड बनने के बाद सुदेश महतो और आजसू के प्रयास से राजग सरकार ने 2001 में ही ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की पहल की थी, जिसे कोर्ट ने निरस्त कर दिया था. 2021 में भी सुदेश महतो ने इस विषय पर विधानसभा में गैर सरकारी संकल्प प्रस्ताव लाया था.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में विशेष परिस्थितियों में 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण पर सहमति जताई है. तमिलनाडु में 69%, पूर्वोत्तर में 80% और छत्तीसगढ़ में 58% आरक्षण लागू है. इसलिए झारखंड में भी कानून बनाकर 50% से ज्यादा आरक्षण सीमा किया जाए ताकि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सके.
आगे कहा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने हमेशा ओबीसी, दलित, आदिवासी सबों को अधिकार देने के लिए संघर्ष किया. लेकिन हेमंत सरकार ट्रिपल टेस्ट की सिर्फ खानापूर्ति कर रही है. एक वर्ष से पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष का पद खाली है. ऐसे में ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट की वैधानिकता संदेह के दायरे में होगी. ट्रिपल टेस्ट में भी अनावश्यक देर की जा रही है.
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