बिजली उत्पादन में झारखण्ड बनेगा आत्मनिर्भर, पतरातू में जल्द शुरू होगा बिजली उत्पादन 

पतरातू प्लांट 800 मेगावाट यूनिट व्यावसायिक उत्पादन के लिए तैयार

बिजली उत्पादन में झारखण्ड बनेगा आत्मनिर्भर, पतरातू में जल्द शुरू होगा बिजली उत्पादन 
पतरातू थर्मल पावर स्टेशन

झारखंड को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। PVUNL की पहली यूनिट पूरी तरह से तैयार है और इसके दो सफल ट्रायल हो चुके हैं। तीसरा और अंतिम ट्रायल 6 अगस्त को प्रस्तावित है ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर भी लगभग पूरा हो चुका है.

रांची: झारखंड के लिए बिजली क्षेत्र में एक बड़ी खुशखबरी है। पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (PVUNL), जो NTPC और JBVNL का एक संयुक्त उपक्रम है, अपने 800 मेगावाट की पहली यूनिट से बिजली उत्पादन शुरू करने की अंतिम तैयारी में है। उम्मीद है कि 15 अगस्त के बाद किसी भी दिन व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो जाएगा।

यह परियोजना झारखंड को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। PVUNL की पहली यूनिट पूरी तरह से तैयार है और इसके दो सफल ट्रायल हो चुके हैं। तीसरा और अंतिम ट्रायल 6 अगस्त को प्रस्तावित है ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर भी लगभग पूरा हो चुका है. पतरातू से कटिया ग्रिड तक 400 केवी की डबल सर्किट ट्रांसमिशन लाइन को रविवार को बिना लोड के सफलतापूर्वक चार्ज कर लिया गया है. सर्किट-1 को 5:40 बजे और सर्किट-2 को 5:42 बजे चार्ज किया गया. इस 6.6 किलोमीटर लंबी लाइन की कुल लागत 64.51 करोड़ है. 

PVUNL के पहले चरण में तीन यूनिटों में से पहली 800 मेगावाट यूनिट पूरी तरह तैयार है। दो सफल ट्रायल रन के बाद, तीसरा और अंतिम ट्रायल छह अगस्त को प्रस्तावित है। इस यूनिट से उत्पादित बिजली का 85% (लगभग 680 मेगावाट) झारखंड को और 15% केंद्र को मिलेगा। परियोजना की कुल क्षमता 4000 मेगावाट है, जिसमें से 3200-3500 मेगावाट झारखंड को मिलने की संभावना है। यह राज्य की पीक आवर में 3200 मेगावाट की मांग को पूरा करने में सहायक होगा

दूसरे राज्यों को भी बिजली बेचेगा झारखंड

पतरातू प्लांट की शुरुआत झारखंड की बिजली आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि होगी। वर्तमान में राज्य को पीक आवर में 3200 मेगावाट बिजली की जरूरत है। इस परियोजना से न केवल बिजली की कमी दूर होगी, बल्कि औद्योगिक और घरेलू मांग को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। इस परियोजना के शुरू होने से न केवल झारखंड की बिजली की कमी दूर होगी, बल्कि भविष्य में राज्य अतिरिक्त बिजली दूसरे राज्यों को भी बेच सकेगा। यह राज्य की आर्थिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।

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Edited By: Sujit Sinha
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सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।

'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।

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