डुमरी की बाजी किसके हाथ! जयराम की आंधी रोकेंगे सुदेश या फिर से फहरेगा बेबी देवी का परचम
सिल्ली की सियासत में उलझे सुदेश महतो
डुमरी की सियासत में एक और टाइगर की एंट्री हो चुकी है. जिसके निशाने पर लालचंद महतो और जगरनाथ महतो का सियासी किला है.
रांची: झारखंड सूबे में चुनावी संग्राम अपने शबाब की ओर है. हर गुजरते दिन के साथ चुनावी रंग और भी गाढ़ा होता जा रहा है. लेकिन डुमरी को लेकर उलझन की स्थिति बनी हुई है, दरअसल झामुमो की ओर से एक बार फिर से टाइगर जगरनाथ मंत्री की पत्नी और हेमंत कैबिनेट की हिस्सा रही बेबी देवी को एक बार फिर से अखाड़े में उतारने का फैसला किया तो टायगर जयराम ने भी जंगे मैदान में कूदने का एलान कर दिया है, लेकिन आजसू का चेहरा कौन होगा, इसको लेकर अभी तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है, दावा किया जा रहा है कि इस सीट पर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो की भी नजर लगी है, और यदि वह अपने आप को सिल्ली के अखाड़े में कमजोर पाते हैं तो फिर डुमरी के चुनावी जंग में कूदने का फैसला कर सकते हैं
सिल्ली की सियासत में उलझे सुदेश महतो
दरअसल, इस बार सुदेश महतो सिल्ली की सियासत में उलझे नजर आ रहे हैं, जिस तरीके से जयराम महतो ने देवेन्द्रनाथ महतो की तैनाती की है, और झामुमो ने अमित महतो की घर वापसी करवाते हुए एक बार फिर से अखाडे में उतार दिया है, उसके बाद मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है. जिसके बाद सुदेश महतो किसी विकल्प की तलाश में है, उनके बारे में डुमरी से चुनाव लड़ने की चर्चा तेज है, लेकिन मुश्किल यह है कि टाइगर जयराम ने पहले ही डुमरी के अखाड़े में कूदने का एलान कर दिया है.
डुमरी में त्रिकोणीय मुकाबला
यदि बात हम 2019 की करें तो उस वक्त डुमरी में आजसू और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, जिसका लाभ भी जगरनाथ महतो को मिला था. वर्ष 2019 में जगरनाथ महतो के हिस्से 37 फीसदी वोट आया था तो आजसू की यशोदा देवी के हिस्से 19.56 फीसदी वोट आया था, जबकि भाजपा की ओर से बैटिंग करने उतरे प्रदीप साहू के हिस्से 18.93 फीसदी वोट आया था. कुल मिलाकर भाजपा-36013 और आजसू-36,840 को 72 हजार वोट मिला था, जबकि71,128 के साथ जगरनाथ महतो को चौथी बार जीत का परचम फहराने में सफल रहे थे. इस बार दोनों की संयुक्त ताकत साथ होगी, और यहीं से बेबी देवी के सामने मुश्किल खड़ी होती नजर आती है, लेकिन इसमें पेच यह है कि टाइगर जयराम महतो अपनी उम्मीदवारी का एलान कर एक बार फिर से डुमरी में त्रिकोणीय मुकाबला के हालात बना दिये हैं.
डुमरी का सियासी इतिहास
यदि हम बात डुमरी के सियासी इतिहास को समझने की कोशिश करें तो 2014 में 77,984 के साथ जगरनाथ महतो के हिस्से जीत आयी थी तो 45,503 के साथ लालचंद महतो दूसरे स्थान पर रहे थें, जबकि जदयू उम्मीदवार मौलाना मोबिन 16,730 के साथ चौथे स्थान पर रहे थे. इसके पहले वर्ष 2009 में झामुमो की ओर से बैटिंग करते हुए जगरनाथ महतो ने जीत दर्ज की थी, जबकि जदयू के दामोदर प्रसाद महतो को 20,292 के साथ दूसरा स्थान मिला था. जबकि 19,084 के साथ लालचंद महतो तीसरे स्थान पर खिसक गये थे. वर्ष 2005 में दामोदर महतो ने जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा था तथा 16,917 मत लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. दूसरे स्थान पर रहे राजद प्रत्याशी लालचंद महतो ने 23,474 मत प्राप्त किया था. इस चुनाव में पहली बार जीत दर्ज करने वाले झामुमो प्रत्याशी जगरनाथ महतो को 41,784 मत मिले थे.
डुमरी की सियासत में एक और टाइगर की एंट्री
आपको यह भी बता दें कि जगरनाथ महतो को पहले डुमरी को लालचंद महतो का किला माना जाता था, उनके नाम डुमरी से तीन बार जीत दर्ज करने का रिकार्ड है. इस बार के सियासी संग्राम की विशेष बात यह है कि लालचंद महतो और जगरनाथ महतो दोनों की ही मौत हो चुकी है, हालांकि जगरनाथ महतो की ओर से उनकी पत्नी बेबी देवी ने मोर्चा संभाल रखा है, लेकिन इस बीच डुमरी की सियासत में एक और टाइगर की एंट्री हो चुकी है, जिसके निशाने पर लालचंद महतो और जगरनाथ महतो का सियासी किला है.