छात्र समन्वय समिति 31 मार्च को हेमंत सरकार की नीतियों के खिलाफ निकालेगी मशाल जुलूस

छात्र समन्वय समिति 31 मार्च को हेमंत सरकार की नीतियों के खिलाफ  निकालेगी मशाल जुलूस

दुमका : संताल परगना महाविद्यालय, दुमका की छात्र समन्वय सीमित ने मंगलवार को एक प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कहा कि 31 मार्च 2023 को सिदो कान्हू चौक से मशाल जुलूस निकाला जाएगा और पूरे शहर में संवैधानिक तरीके से प्रदर्शन किया जाएगा। मशाल जुलूस संध्या चार बजे से छह बजे के बीच में पूरे शहर में भ्रमण करेगा और इसके जरिये सरकार की गलत नीतियों का विरोध किया जाएगा। मशाल जुलूस के जरिये संताल परगना प्रमंडल के सभी युवाओं, मोटर वाहन यूनियन, चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, बस मालिकों, सभी प्राइवेट स्कूल के संचालकों, सभी गैर सरकारी संगठनों से एक अप्रैल 2023 की सांकेतिक बंदी में शामिल होने की अपील की जाएगी।

छात्र समन्वय समिति ने कहा कि हेमंत सरकार एवं उनकी सहयोगी कांग्रेस के द्वारा बनायी गई कई गलत नीतियों के कारण जनमानस की भावनाओं को ठेस पहुंचा है।

छात्र -छात्राओं ने सवाल उठाया कि क्या झारखंड इसी दिन के लिए बना था कि यहां के युवा रोजगार के लिए दर-दर भटकें। उन्हें अपने ही राज्य में हक-अधिकार के लिए सड़कों पर उतर कर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़े। आज हालात यह है कि छात्रों को अधिकार और न्याय की मांग के क्रम में पुलिस से लाठी खाना पड़ रही है। उन्हें बेवजह झूठे केस का शिकार होना पड़ रहा है। जहां उन्हें रोजगार मिलना चाहिए, वहां केस और पुलिस की लाठी मिल रही है।

छात्र नेता श्यामदेव हेम्ब्रम ने कहा कि झारखंड के हेमंत सरकार को यह बात समझ में आनी चाहिए कि 1951 के बाद केंद्र के विभिन्न सरकारी उपक्रमों में झारखंड में आए विभिन्न राज्यों के लोग एवं अनके परिवार बस गए हैं। सवाल उठता है कि झारखंड के स्थानीय खतियान धारियों का क्या होगा? इस हालात में क्या हेमंत सोरेन ने झारखंड के आदिवासियों और मूल वासियों के साथ धोखा नहीं किया है?

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उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार ने 1932 के आधार पर स्थानीय नीति क्यों नहीं बनायी? 1932 शब्द के साथ अंतिम सर्वे सेटेलमेंट शब्द को क्यों नहीं जोड़ा गया है। क्या झारखंड में बाहर से आए लोगों की जनसंख्या अधिक हो गई है या फिर बाहर के लोगों का झारखंड के राजनीति में प्रभाव बढ़ गया। अगर बाहर के लोगों का झारखंड के राजनीति में प्रभाव है तो क्यों है, यह बात हेमंत सरकार को समझने की जरूरत है।

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राजेंद्र मुर्मू ने कहा कि आज बाहरी लोग जो यहां रोजगार की तलाश में आए, उन्होंने अपना वोटर कार्ड यहां बनवाया और वोट भी देते हैं। उनके पास अपने मूल जगह का भी वोटर कार्ड है तो ऐसे लोगों की पहचान कर सरकार क्यों कार्रवाई नहीं करती है। आज पीजीटी में बहाली के लिए रिक्तियों के विरोध आवेदन मांगा जा रहा है। जिसमें आवेदन में साफ लिखा हुआ है कि पात्रता भारत की नागरिक हो। क्या ऐसे में झारखंड के युवाओं का हक नहीं मारा जा रहा है।

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सरकार को जवाब देना चाहिए कि क्या झारखंड को एक चारागाह बनकर रह गया है? घर और छत तो बन गया, लेकिन इसमें खिड़की और दरवाजा नहीं लगता है। जब जो चाहे आ जाए जब जो चाहे चला जाए। छत्तीसगढ़ का पोर्टल में सरकार को खोल कर देखना चाहिए जिसमें साफ तौर पर लिखा हुआ है कि भारत का नागरीक हो एवं छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासी होना चाहिए। क्या झारखंड में ऐसा नहीं हो सकता है।

छात्र समन्वय समिति, दुमका की मांगें इस प्रकार हैं –

1. खातियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाई जाए। जिसमें 1932 को आधार माना जाये।

2. खातियान के आधार पर नियोजन नीति बनाई जाये।

3. रिक्तियों के विरुद्ध आवदेन में सिर्फ भारत के नागरिक न लिख कर नागरिक एवं झारखंड राज्य का स्थानीय निवासी लिखा जाये।

4. 60ः40 का अनुपात रद्द किया जाये।

5. सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका में सीयूईटी को वापस किया जाये।

Edited By: Samridh Jharkhand

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