Dumka news: संताल आदिवासियों ने धूमधाम से मनाया सकरात पर्व
यह बुराई पर अच्छाई की जीत पर मनाये जाने वाला पर्व है
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दुमका: दिसोम मारंग बुरु युग जाहेर अखड़ा और सरी धर्म अखड़ा दुवारा संताल आदिवासियों का “सकरात पर्व” बहुत धूमधाम और हर्षोउल्लास के साथ दुमका प्रखंड के दुंदिया और धतिकबोना गांव में मनाया गया. यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत पर मनाये जाने वाला पर्व है.
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जो इसपर निशाना लगाने में सफल होते है उसे सम्मानित किया जाता है. बेझातुंज के बाद तीर-धनुष को लेकर कई अन्य प्रतियोगिता भी ग्रामीण करते है. उसके बाद केला या अंडी के पेड़ के टुकड़े को पांच बराबर हिस्सों में काटा जाता है, उसके बाद उस सभी टुकड़े को हल्का बीच में काटा जाता है और एल नुमा बनाया जाता है.फिर इन टुकड़ो को लोग नाचते-गाते हुए गांव के “लेखा होड़”(गांव का व्यवस्था चलाने वाले लोग) के घर ले जाते है एक टुकड़ा मंझी थान में दूसरा टुकड़ा गुडित के घर के छप्पर में, तीसरा टुकड़ा जोग मंझी के घर के छप्पर में, चौथा टुकड़ा प्राणिक के घर के छप्पर में और पांचवा टुकड़ा नायकी के घर के छप्पर में रखा जाता है. ये सभी गांव के “लेखा होड़”(गांव को चलाने वाले लोग होते है) होते है. उसके बाद सभी ग्रामीण नाचते-गाते है और भोजन का आनन्द लेते है.
इस पावन अवसर में प्रदीप मुर्मू, कारण हंसदा, नंदलाल सोरेन,सुनील मरांडी, सोरेंदार मरांडी, सुरेश टुडू, सुनातन किस्कू, धुरणा राय, रमेश हांसदा, बबलू मुर्मू , साइमन टुडू, सोम हांसदा, माने टुडू, सुलेमान मुर्मू, सुनील टुडू, सुजीत मुर्मू, सुमित हांसदा, पलटन किस्कू, रंजीत टुडू, राजीव मरांडी, बालेश्वर हासंदा शामिल थे।