नीरज सिंह हत्याकांड में पूर्व विधायक संजीव सिंह सहित सभी आरोपी बरी, तो हत्यारा कौन, अनुसंधान सवालों के घेरे में
कोर्ट को फैसला सुनाने में 8 साल 6 महीने का लगा समय
रांची: धनबाद के बहुचर्चित पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड का फैसला आ गया। कोर्ट को फैसला सुनाने में 8 साल 6 महीने का समय लगा। कोर्ट ने इस मामले में पूर्व विधायक संजीव सिंह सहित सभी 10 आरोपियों को ठोस सबूत के अभाव में बरी कर दिया। इस फैसले ने एक गंभीर सवाल भी खड़ा कर दिया है। कोर्ट के फैसले से यह साबित हो गया कि हत्याकांड में संजीव सिंह और अन्य आरोपियों की कोई भूमिका नहीं थी। बावजूद सभी आरोपी लंबे समय तक जेल की सजा काटते रहे। आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है। संजीव सिंह तो गंभीर रूप से बीमार भी हैं। लंबे समय से उनका इलाज चल रहा है। जब सभी आरोपी बरी कर दिए गए तो यह सवाल उठता है कि हत्या किसने की। यह बड़ा सवाल है। नीरज सिंह सहित चार लोगों की हत्या तो हुई थी। तो हत्यारे कौन थे। क्या पुलिस अंधेरे में तीर मारती रही।

इस हत्याकांड ने केवल धनबाद बल्कि पूरे झारखंड को झकझोर कर रख दिया था। इसके तार बिहार और यूपी तक जुड़े। यूपी से शूटरों की गिरफ्तारी हुई। जांच के लिए गठित एसआईटी ने काफी सबूत जुटाए। गवाहों को खड़ा किया। कोर्ट में लंबी सुनवाई हुई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। सभी आरोपी बरी हो गए। यह पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल है।
नीरज सिंह हत्याकांड को राजनीतिक प्रतिद्वंदिता और वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा माना गया। जांच की केंद्र बिंदु भी यही थी।
हत्याकांड सिंह मेंशन और रघुकुल की लड़ाई बन गई। दो परिवार आपस में खून के प्यास हो गए। खून का रिश्ता तारतार हो गया। नीरज सिंह की हत्या के बाद उनकी पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह कांग्रेस के टिकट पर झरिया से विधायक चुनी गईं। तब इनको सहानुभूति का लाभ मिला। आरोपी संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव हार गईं। जनता ने हत्याकांड के लिए संजीव सिंह को दोषी मानते हुए रागिनी सिंह को चुनाव में हरा दिया।
24 के विधानसभा चुनाव में रागिनी सिंह को जनता ने विधायक चुना। पूर्णिमा नीरज सिंह को हार का सामना करना पड़ा। क्योंकि संजीव सिंह की बीमारी और लंबे समय तक जेल में रहने के कारण इस बार सहानुभूति का लाभ रागिनी सिंह को मिला।
राजनीतिक लड़ाई अपनी जगह। लेकिन आखिर नीरज सिंह का हत्यारा कौन है। पुलिस को अब इसका जवाब देना पड़ेगा। इस केस में गवाही सहित कई प्रक्रिया उस वक्त पूरी हुई जब पूर्णिमा विधायक थीं। वह भी सत्ताधारी दल की। सत्ता की पहुंच और हनक से सब लोग वाकिफ हैं।
जल्द ही इस फैसले को नीरज सिंह का परिवार ऊपरी अदालत में चुनौती देगा। अब हाई कोर्ट का फैसला क्या आता है यह देखना होगा। फैसले से जहां सिंह मेंशन में खुशी है वहीं रघुकुल में सन्नाटा पसरा हुआ है। इस मामले में धनबाद की राजनीति भी गर्म हो गई है
