नाइजर से लौटा गणेश करमाली का शव, गांव में पसरा मातम
गांव पहुंचते ही परिजनों का चीत्कार, रो पड़ा हर आंख
नाइजर में मारे गए झारखंड के प्रवासी मजदूर गणेश करमाली का शव 13 दिन बाद बोकारो के कारीपानी गांव पहुंचा. शव पहुंचते ही परिजनों के चीत्कार से गांव में मातम पसर गया. घटना ने प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
बोकारो: गोमिया प्रखंड के कारीपानी गांव निवासी प्रवासी मजदूर गणेश करमाली (39) का शव 13 दिन बाद सोमवार रात नाइजर से गांव पहुंचा. शव के गांव पहुंचते ही परिजनों के चीत्कार से माहौल गमगीन हो गया. अंतिम दर्शन के लिए ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी. पत्नी यशोदा देवी और बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल था.

कारीपानी पहुंचकर प्रवासी मजदूरों के हित में कार्य कर रहे सिकंदर अली ने इसे दुखद बताया और विदेशों में मजदूरों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई. इससे पहले भी गिरिडीह के पांच मजदूरों का अपहरण अप्रैल में नाइजर में हुआ था, जिनका अब तक कुछ पता नहीं चला.
गणेश अपने पीछे मां, पत्नी, दो बेटियों और एक बेटे को छोड़ गए. वे घर के इकलौते कमाऊ सदस्य थे. उनका 10 साल का बेटा पांच वर्ष पूर्व ट्रेन हादसे में मारा गया था. हाल ही में उनकी बेटी की शादी हुई, जिसमें वे शामिल नहीं हो सके.
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
