Opinion : विदेशी फंडिंग से नहीं चल पाएगी देश-संस्कृति विरोधी साजिशें, सनातन पर डिजिटल हमलों का खुलासा
विदेशी ट्रोल नेटवर्क और बॉट्स की भूमिका उजागर
सोशल मीडिया पर सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति को बदनाम करने वाले संगठित डिजिटल अभियानों में विदेशी फंडिंग, ट्रोल नेटवर्क और बॉट्स की भूमिका उजागर हुई है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और मध्य पूर्व से संचालित अकाउंट्स हिंदू प्रतीकों, आरएसएस और भारतीय सरकारों के खिलाफ दुष्प्रचार फैला रहे हैं।
सोशल मीडिया के इस डिजिटल युग में भारत की सांस्कृतिक धरोहर पर हमला तेज हो गया है। हिन्दू देवी-देवताओं की निंदा, मोदी सरकार और योगी सरकार पर जहर भरे हमले, आरएसएस को बदनाम करने वाली पोस्टें और सनातन धर्म को अंधविश्वास बताने वाले कंटेंट का सैलाब हर प्लेटफॉर्म पर दिख रहा है। ये पोस्टें कहां से उगम पा रही हैं, कौन इनके पीछे है, किस देश या समूह का संरक्षण मिल रहा है यह सवाल करोड़ों भारतीयों के मन में कौंध रहा है। एक गहन विश्लेषण से पता चलता है कि ये अभियान संगठित हैं, जिनमें विदेशी फंडिंग, बॉट्स और भारत-विरोधी तत्वों का हाथ साफ झलकता है। उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि ये केवल व्यक्तिगत रोष नहीं, बल्कि सनातन एकता को तोड़ने की सुनियोजित साजिश है।

कौन बना रहा है ये पोस्टें ? विश्लेषण बताता है कि ज्यादातर अकाउंट्स पाकिस्तान, बांग्लादेश और मध्य पूर्व के आईपी एड्रेस से चलाए जाते हैं। उदाहरण लीजिए हाल का एक वायरल पोस्ट, जिसमें आरएसएस को हिंदू चरमपंथी संगठन कहा गया और मोदी-योगी को फासीवादी ठहराया। ट्रेसिंग से पता चला कि ये ट्विटर हैंडल इस्लामाबाद से ऑपरेट हो रहा था, जहां से पाकिस्तानी आईएसआई से जुड़े ट्रोल आर्मी सक्रिय हैं। इसी तरह, टिक टॉक पर सनातन को अंधविश्वास बताने वाले रील्स दुबई और कतर के सर्वरों से अपलोड हो रहे। एक रिपोर्ट में उजागर हुआ कि ये अभियान ऑपरेशन ब्लू व्हेल जैसे विदेशी प्रोजेक्ट्स से प्रेरित हैं, जहां भारत की डेमोग्राफी बदलने के लिए छद् नामों से कंटेंट फैलाया जाता है। योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में लखनऊ के दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव में इशारा किया कि ऐसे संगठनों के खिलाफ संघ समाज के सहयोग से खड़ा है, बाहरी फंडिंग से नहीं।
पीछे किसका हाथ गहन जांच से साफ है कि इस्लामिक कट्टरपंथी और भारत-विरोधी ताकतें मुख्य भूमिका निभा रही हैं। उदाहरण स्वरूप, पहलगाम आतंकी हमले के बाद उज्जैन में वायरल हुई विवादित पोस्ट, जिसमें हिंदू संगठनों पर निशाना साधा गया। हिंदूवादी संगठनों ने विरोध किया और एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन पोस्ट का सोर्स पाकिस्तानी ट्रोल अकाउंट निकला। इसी तरह, फेसबुक पर एक पोस्ट में हिंदू आस्था के प्रतीक का मजाक उड़ाया गया, जिसके पीछे बांग्लादेशी आईपी था। ये पोस्टें सेकुलरिज्म के नाम पर चलती हैं, लेकिन असल में धार्मिक विभाजन फैलाती हैं। विदेशी एनजीओ फंडिंग देते हैं, जो यूरोप और अमेरिका से आती है, लेकिन उनका एजेंडा सनातन को कमजोर करना है। मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू धर्म खुद पंजीकृत नहीं, फिर भी मजबूत है, ये साजिशें इसे तोड़ नहीं सकतीं।
कहां से संरक्षण मिल रहा देश के बाहर बैठे तत्व मुख्य हैं। पाकिस्तान की आईएसआई और उसके सहयोगी इस्लामिक टेरर फैलाने वाले ग्रुप्स जैसे लश्कर-ए-तैयबा के सोशल मीडिया विंग सक्रिय हैं। उदाहरण लें, एक यूट्यूब वीडियो जहां देवी-देवताओं पर टिप्पणी की गई, उसके कमेंट्स में पाकिस्तानी यूजर्स की बाढ़। ट्रेसिंग से कनेक्शन तुर्की और सऊदी अरब के कट्टरपंथी फोरम्स से मिला। भारत में भी कुछ सेकुलर पेज इनका सहारा लेते हैं, लेकिन मूल सोर्स विदेशी। योगी सरकार ने ऐसे अपमानजनक पोस्ट्स पर सख्ती की, मुस्लिम समुदाय ने भी आरोपी गिरफ्तारी की मांग की। ये अभियान सनातन की एकता पर प्रहार हैं, परिवार तोड़ रहे, युवाओं को भटका रहे। लेकिन सनातन की जड़ें गहरी हैं, वसुधैव कुटुंबकम की भावना इन्हें झेल लेगी।
ऐसे कंटेंट का असर गहरा है। युवा पीढ़ी प्रभावित हो रही, मंदिर दान कम हो रहा, योग-ध्यान जैसे वैज्ञानिक पहलू भुलाए जा रहे। एक सर्वे में पाया गया कि 40 फीसदी युवा सोशल मीडिया से ही धार्मिक जानकारी लेते हैं, जहां जहर घुला है। लेकिन जागरूकता फैल रही है। राहुल जैसे युवक ने एनालिटिक्स से जांच की और सच उजागर किया। सरकारें सख्त कानून ला रही हैं, प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी बढ़ा रही। आरएसएस जैसे संगठन समाज जागरण चला रहे। अंततः ये साजिशें विफल होंगी, क्योंकि सनातन धर्म लचीला और शाश्वत है। भारत की धरती ने हमेशा ऐसे हमलों का जवाब एकता से दिया है।
संजयसक्सेना,लखनऊ
