द्वितीय विश्व युद्ध में ही बन गया था AI, दुश्मनों का सीक्रेट कोड किया था क्रैक, एलन ट्यूरिंग का ऐतिहासिक योगदान

द्वितीय विश्व युद्ध में ही बन गया था AI, दुश्मनों का सीक्रेट कोड किया था क्रैक, एलन ट्यूरिंग का ऐतिहासिक योगदान
(Ai Generated)

समृद्ध डेस्क: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की नींव रखी गई, जब ब्रिटिश गणितज्ञ एलन ट्यूरिंग ने जर्मन सेना के सीक्रेट एनिग्मा कोड को तोड़ कर इतिहास बदल दिया। यह उपलब्धि आज के आधुनिक AI और कंप्यूटर विज्ञान के विकास की आधारशिला मानी जाती है।

एनिग्मा मशीन का रहस्य और चुनौती

द्वितीय विश्व युद्ध के समय जर्मन सेना ने ‘एनिग्मा’ नाम की सिफर मशीन के जरिए अपने सारे सैन्य संदेश कोड कर दिए। इस मशीन में हर अक्षर दबाने पर अलग कोड बनता था, और हर 24 घंटे में कोडिंग सिस्टम बदल जाता था। एनिग्मा की सेटिंग्स अरबों-खरबों संभावनाएं उत्पन्न करती थीं, जिससे दुश्मन देश सालों कोशिश करने के बावजूद सही संदेश नहीं पढ़ सकते थे।

एलन ट्यूरिंग की ‘बम’ मशीन और कोड ब्रेकिंग

एलन ट्यूरिंग ब्रिटेन के प्रतिभाशाली गणितज्ञ और कोड ब्रेकर थे। उन्होंने पोलिश ब्लेटचले पार्क टीम के पूर्व कार्य को आगे बढ़ाते हुए ‘बम’ नामक मशीन का निर्माण किया। यह मशीन एक समय में लाखों कोड की जांच कर सकती थी और एनिग्मा के जटिल पैटर्न को पहचान सकती थी। 1943 तक उनकी मशीन हर मिनट दो संदेश डिकोड करने लगी थी और युद्ध का समीकरण बदल गया।

ट्यूरिंग का ऐतिहासिक योगदान व AI की नींव

एलन ट्यूरिंग की मशीन ने युद्ध को दो साल छोटा कर दिया और नाजियों को भारी नुकसान पहुंचाया। उनकी खोज के बाद, 1956 में एक सम्मेलन के दौरान पहली बार “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस” (AI) शब्द सामने आया। ट्यूरिंग का विचार था कि मशीन भी सोच सकती है, नियमों पर आधारित निर्णय ले सकती है—यही आज के AI का मूलमंत्र है।

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आज का AI: मिनटों में कोड ब्रेक

ट्यूरिंग की बम मशीन की तुलना में आधुनिक AI और सुपरकंप्यूटर्स अल्ट्राफास्ट हैं। ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर माइकल वूल्ड्रिज के अनुसार, ऐसे AI अब मिनटों में सीक्रेट कोड क्रैक कर सकते हैं। चैटजीपीटी जैसे आधुनिक तकनीकी मॉडल, ट्यूरिंग के सिद्धांत का ही आधुनिक स्वरूप हैं।

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द्वितीय विश्व युद्ध के कठिन समय में, एलन ट्यूरिंग ने एनिग्मा कोड क्रैक कर तकनीक की दुनिया को एक नया मोड़ दिया। उनकी “सोचने वाली मशीन” पहली बार AI की अवधारणा के रूप में सामने आई। यहीं से आज के सुपरफास्ट, सेल्फ-लर्निंग AI का मार्ग प्रशस्त हुआ।

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Edited By: Samridh Desk
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