महाप्रभु के आभूषण पुरी जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में शिफ्ट, 47 साल बाद होगा पुनर्मूल्यांकन

महाप्रभु के आभूषण पुरी जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में शिफ्ट, 47 साल बाद होगा पुनर्मूल्यांकन
पुरी जगन्नाथ मंदिर (फाइल)

पुरी: जगन्नाथ मंदिर के मुख्य रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के बहुमूल्य रत्न और आभूषण सुरक्षित कर दिए गए हैं। मंदिर प्रशासन ने राज्य सरकार के आदेशों के अनुरूप रत्नों की सुरक्षा के लिए कड़े उपाय किए हैं। रत्नों और आभूषणों का आखिरी मूल्यांकन वर्ष 1978 में किया गया था, जिसकी सूची को आगामी मूल्यांकन के दौरान मिलाया जाएगा।

रत्नों की जाँच और सुरक्षा प्रक्रिया

18 जुलाई 2024 को रत्न भंडार से सभी रत्न निकाल कर अस्थायी स्ट्रॉंग रूम में कठोर सुरक्षा व्यवस्था के तहत सुरक्षित रखा गया था। 24 जुलाई 2024 को सबसे पहले भीतरी रत्न भंडार को खोला गया और उसकी स्थिति की जाँच की गई। इसके बाद 18 जुलाई को अंदर और बाहर दोनों रत्न भंडार की जाँच कर रत्न अस्थायी स्ट्रॉंग रूम में सुरक्षित रखे गए।

मंदिर के मुख्य प्रशासक अरविंद पाधी के अनुसार, 23 जुलाई को सुबह 10:55 बजे से दोपहर 2:55 बजे तक रत्नों को अस्थायी स्ट्रॉंग रूम से मुख्य रत्न भंडार में स्थानांतरित कर दिया गया। इस दौरान जिला कलेक्टर के देखरेख में रत्नभंडार की चाबियां जिला कोषाध्यक्ष के पास जमा की गईं। रत्नों की सुरक्षा के लिए मंदिर के कोनों पर स्थित देवताओं के दर्शन और विशेष पूजा के बाद, हीरे, मोती, सोना-चाँदी और अन्य बहुमूल्य आभूषणों को शिफ्ट किया गया।

मूल्यांकन की प्रक्रिया

मूल्यांकन के लिए नियमानुसार, एक चाबी मंदिर प्रशासन के पास और दूसरी चाबी गजपति महाराज के प्रतिनिधि के पास रहती है। मूल्यांकन के लिए सरकार द्वारा नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की जाएगी। विशेषज्ञ समिति की देखरेख में पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था के बीच रत्नों और आभूषणों की सूची और मूल्यांकन किया जाएगा।

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ऐतिहासिक तथ्य

रत्नों और आभूषणों का अंतिम मूल्यांकन 1978 में हुआ था। इसके बाद पहली बार यह प्रक्रिया की जा रही है। इस बार भी मूल्यांकन के दौरान 1978 की सूची से मिलान किया जाएगा। मंदिर प्रशासन और सुरक्षा बल लगातार व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे हैं ताकि पूरी प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हो सके।

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पुरी जगन्नाथ मंदिर के रत्न और आभूषण बहुमूल्य सांस्कृतिक धरोहर हैं जिनकी सुरक्षा और पारदर्शिता के साथ मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू हो रही है। इससे मंदिर की व्यवस्था में पारदर्शिता और संरक्षण की मिसाल कायम होगी।

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Edited By: Samridh Desk
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