हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का निधन, पाकिस्तान में झुका रहेगा झंडा
श्रीनगर: वरिष्ठ अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का बुधवार को निधन हो गया। उन्होंने रात करीब 10:35 बजे श्रीनगर के हैदरपोरा स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। गिलानी हुर्रियत कांफ्रेंस के कद्दावर नेता थे और लम्बे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। गिलानी के परिवार में दो बेटे और चार बेटियां हैं।
सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Gilani) के निधन के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कई अहतियाती कदम उठाए हैं। कश्मीर के इंस्पेक्टर जनरल विजय कुमार ने बताया कि प्रशासन ने एहतियातन घाटी में सुरक्षा व्यवस्था को सख्त करते हुए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं।
इतना ही नहीं इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान में हम उनकी बाहमत व बेबाक जिद्दोजहद को सलाम पेश करते हैं और उनके अल्फाज़ को अपने दिल व दिमाग में ताज़ा किए हुए हैं कि “हम पाकिस्तानी हैं और पाकिस्तान हमारा है।” इस मौके पर इमरान खान ने कहा कि ‘पाकिस्तान में एक दिन का शोक रहेगा और झंडे को आधा झुका दिया जाएगा।
Deeply saddened to learn of the passing of Kashmiri freedom fighter Syed Ali Geelani who struggled all his life for his people & their right to self determination. He suffered incarceration & torture by the Occupying Indian state but remained resolute.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) September 1, 2021
मुफ्ती ने कहा- गिलानी साहब के इंतकाल की खबर से दुखी हूं। हमारे बीच ज्यादा मुद्दों पर एकराय नहीं थी, लेकिन उनकी त्वरित सोच और अपने भरोसे पर टिके रहने को लेकर उनका सम्मान करती हूं। अल्लाह उन्हें जन्नत में जगह दे। उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करती हूँ।
Saddened by the news of Geelani sahab’s passing away. We may not have agreed on most things but I respect him for his steadfastness & standing by his beliefs. May Allah Ta’aala grant him jannat & condolences to his family & well wishers.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) September 1, 2021
सैयद अली शाह गिलानी का जन्म 29 सितंबर 1929 को हुआ था। उन्होंने कॉलेज तक पढ़ाई लाहौर से की। वह तीन बार सोपोर से विधायक रहे। गिलानी पहले जमात-ए-इस्लामी कश्मीर के सदस्य थे लेकिन बाद में तहरीक-ए-हुर्रियत की स्थापना की। उन्होंने ऑल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है, जो जम्मू और कश्मीर में प्रतिरोध समर्थक दलों का एक समूह है।
गिलानी कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते थे और उसे अलग करने की मांग करते थे। उन्होंने 1990 के दशक में आतंकी हिंसा और अलगाववाद की सियासत करने वाले धड़ों को मिलाकर ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन किया था। इसमें 1987 के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस की खिलाफत करने वाले तमाम गुट शामिल हो गए थे।