नरेगा संघर्ष मोर्चा ने ग्रामीण विकास मंत्रालय से मनरेगा का आवंटन बढाने व पश्चिम बंगाल में काम शुरू करवाने की रखी मांग

केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव ने मांगों पर पहल करने का दिया आश्वासन 

नरेगा संघर्ष मोर्चा ने ग्रामीण विकास मंत्रालय से मनरेगा का आवंटन बढाने व पश्चिम बंगाल में काम शुरू करवाने की  रखी मांग

नरेगा संघर्ष मोर्चा ने केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव को सात बिंदुओं वाला मांग पत्र सौंपा है और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से अपने मुद्दों पर बैठक करने की इच्छा प्रकट की।

 


नई दिल्ली : देश के कई राज्यों के विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने सोमवार, पांच अगस्त को केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव शैलेश कुमार सिंह से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा और मजदूर हित में इन मांगों पर त्वरित कार्रवाई की मांग की। नरेगा संघर्ष मोर्चा ने कहा है कि उसकी सात बिंदुओं वाले मांग पर केंद्र सरकार के अधिकारी ने आवश्यक कदम उठाने का आश्वानसन दिया है।

नरेगा संघर्ष मोर्चा ने अपने बयान में कहा है कि हमारे लगातार प्रयासों के बावजूद, हम केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के साथ बैठक करने में असमर्थ रहे। लोकसभा में दिए गए जवाब में केंद्रीय मंत्री ने 2023 में जंतर-मंतर पर मनरेगा श्रमिकों के अनिश्चितकालीन धरने के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया। इसलिए हम अपनी मांगों पर चर्चा करने और इन मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई की मांग करने के लिए केंद्रीय मंत्री के साथ तत्काल बैठक का अनुरोध करते हैं। 

नरेगा संघर्ष मोर्चा ने कहा है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय को कार्यान्वयन में बदलाव लाने से पहले सभी प्रमुख नरेगा श्रमिक संघों, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श करना चाहिए और बैठक के मिनट्स और निर्णयों को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना चाहिए।

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नरेगा संघर्ष मोर्चा ने मंत्रालय के अधिकारी को सौंपे ज्ञापन में कहा है कि सभी लंबित मजदूरी का तुरंत भुगतान किया जाएं। देरी के मुआवजे की गणना श्रमिक के खाते में जमा की गई वास्तविक तारीख के आधार पर की जानी चाहिए, न कि राज्य से प्राप्त फंड ट्रांसफर ऑर्डर की तारीख के आधार पर। ट्रेड यूनियनों, नागरिक समाज संगठनों और श्रमिकों को मांग आवेदन जमा करने के लिए ऑनलाइन पहुँच सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। इसके अलावा, इसे हर पखवाड़े जॉब कार्ड को अपडेट करना भी सुनिश्चित करना चाहिए।

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मोर्चा ने अपने मांग पत्र में कहा है कि प्रत्येक कार्य की मांग के लिए ई-रसीद और प्रत्येक कार्य के बाद पे-स्लिप जारी करने का प्रावधान किया जाना चाहिए। हम एक मजबूत नरेगा शिकायत निवारण पोर्टल की मांग करते हैं जो ई-रसीद तैयार करे और समयबद्ध निवारण सुनिश्चित करे। पारदर्शिता और आसान पहुँच के लिए जॉब कार्ड को हटाने से संबंधित डेटा पर एक अलग टैब होना चाहिए। मास्टर सर्कुलर 2021-22 के अनुसार किसी भी जॉब कार्ड को हटाने से पहले ग्राम सभाओं की सख्ती से बैठक होनी चाहिए। हटाए गए जॉब कार्ड का विवरण पंचायतों में ऐसे हटाने के कारणों के साथ प्रकाशित किया जाना चाहिए और आपत्तियाँ उठाने के लिए उचित समय भी प्रदान किया जाना चाहिए।

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मोर्चा ने अपने मांग पत्र में कहा है कि कानून के तहत अनिवार्य भ्रष्टाचार विरोधी तंत्र को पूरी तरह से कमजोर किया गया है। सामाजिक अंकेक्षण इकाइयों को अंकेक्षण करने के लिए पर्याप्त और समय पर धनराशि नहीं दी जा रही है। सामाजिक अंकेक्षण के लिए धनराशि कार्यान्वयन एजेंसी के बजाय सीधे सामाजिक अंकेक्षण इकाइयों को जारी की जानी चाहिए। सामाजिक अंकेक्षण इकाइयों की स्वतंत्रता को सरकारी आदेशों के माध्यम से समझौता किया जा रहा है, जो जिला स्तर पर कार्यान्वयन एजेंसी को एसएयू कर्मियों पर अधिकार प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए बिहार में, डीआरपी डीडीसी को रिपोर्ट करते हैं। यह आदेश डीडीसी को डीआरपी की उपस्थिति प्रस्तुतियों को नियंत्रित करने की अनुमति देता है, जिसका उपयोग डीआरपी के वेतन को रोकने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जाता हैै।

मनरेगा अधिनियम की धारा 27 के तहत केंद्र सरकार को निधियों की रिहाई को रोकने, गैर-अनुपालन के लिए श्रमिकों को दंडित करने के लिए मनमाने अधिकार दिए गए हैं। नौकरशाहों और पंचायत नेताओं के भ्रष्टाचार के कारण वास्तविक श्रमिकों को वेतन से वंचित किया गया है, जो दण्डित नहीं होते हैं। केंद्र और राज्य सरकार के बीच किसी भी मतभेद को श्रमिकों के काम करने के अधिकार और वेतन को नुकसान पहुँचाए बिना हल किया जाना चाहिए। पश्चिम बंगाल में नरेगा कार्य को तत्काल पुनः आरंभ किया जाना चाहिए।

NAREGA
केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव को मांग पत्र सौंपता नरेगा संघर्ष मोर्चा का प्रतिनिधिमंडल। इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

 वित्त वर्ष 24-25 में नरेगा के लिए आवंटित बजट सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.26 प्रतिशत है। बजट आवंटन को संशोधित करके सकल घरेलू उत्पाद के कम से कम 0.35 प्रतिशत के पूर्व-कोविड स्तर पर लाया जाना चाहिए। पर्याप्त बजट आवंटन और रिलीज मनरेगा के लिए कानूनी अनिवार्यताएं हैं, ताकि मांग के अनुसार बढ़ी हुई मजदूरी पर रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। मोर्चा ने यह भी कहा है कि भारत सरकार यह सुनिश्चित करे कि पेसा क्षेत्रों में ग्राम सभा कार्यान्वयन एजेंसी हो न कि वन विभाग।

Edited By: Rahul Singh

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