मनरेगा श्रमिकों ने मानवाधिकार आयोग में की शिकायत, अकाली के पास पैसों का अकाल

नयी दिल्ली : मनरेगा श्रमिकों का दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलन 18 दिनों से जारी है। बुधवार को आंदोलन के 17वें दिन इस आंदोलन में इंडिया एग्रीकल्चर रूरल लेबर एसोसिएशन की राधिका और एक्टू दिल्ली की महासचिव महाश्वेता शामिल हुईं। धरने पर बैठे श्रमिकों की मांग है कि एनएमएमएस ऐप को तुरंत वापस लिया जाए और एक साल से अधिक समय से लंबित मजदूरी का भुगतान किया जाए। इस दौरान श्रमिकों की ओर से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में गारंटीयुक्त मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ एक शिकायत दर्ज करायी गयी।

नरेगा संघर्ष मोर्चा ने अपने बयान में कहा है कि मोदी सरकार ने वर्ष 2022-23 के श्रम बजट के तहत पश्चिम बंगाल के नरेगा कार्याें के लिए बजट का आवंटन नहीं किया। इस कारण मजदूरों को काम का भुगतान नहीं हुआ है और उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2021 से 3.4 करोड़ पंजीकृत नरेगा मजदूरों को 2744 करोड़ रुपये मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि केंद्र सरकार ने राज्य में कार्यान्वयन अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर पश्चिम बंगाल सरकार के 7500 करोड़ रुपये की मनरेगा निधि जारी करने पर रोक लगा दी है।
मजदूरी का भुगतान नहीं करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मजदूरों के जीवन और आजीविका के अधिकार का घोर उल्लंघन है। इसके अलावा स्वराज अभियान बनाम भारत संघ के फैसले के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 18 मई 2018 के फैसले के उल्लंघन में काम और मजदूरी से इनकार करना शामिल है।