झारखंड इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी : पांच साल में 10 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन जोड़ने का लक्ष्य

झारखंड इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी : पांच साल में 10 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन जोड़ने का लक्ष्य

रांची : झारखंड सरकार ने अक्टूबर 2022 में राज्य के लिए पहली बार इलेक्ट्रिक वेहकिल पॉलिसी घोषित की है। इससे पहले इसी साल राज्य सरकार ने सौर ऊर्जा नीति की घोषणा की थी, जो पांच साल बाद दूसरी घोषणा है। राज्य सरकार ने सात अक्टूबर 2022 इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी और उस तारीख से यह नीति अगले पांच सालों के लिए प्रभावी है।

18 पन्नों की इस पॉलिसी में कहा गया है कि भारत सक्रिय रूप से सतत विकास के लिए लागत प्रभावी और व्यवहार्य समाधान तलाश रहा है। भारतीय इवी बाजार अब भी अपने आरंभिक चरण में है, जिसकी कुल वाहन बिक्री में एक प्रतिशत से कम हिस्सेदारी है। हालांकि, आने वाले सालों में इसकी बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है और 2030 तक सालाना दो अंकों की विकास दर हासिल हो सकती है। इवी एक आशाजनक विकल्प है, जो प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव को कम कर सकता है।

पॉलिसी में कहा गया है कि झारखंड जीवाष्म ईंधन आधारित परिवहन की जगह विद्युत आधारित परिवहन को बढाना देने के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करेगा। इस क्षेत्र में आपूर्ति पक्ष की अपेक्षाओं और मांग पक्ष की ओर से इस अपनाने के अनुकूलन की कोशिश यह नीति करेगी।

झारखंड इलेक्ट्रिक वेहकिल पॉलिसी 2022 में कहा गया है कि इसका उद्देश्य राज्य में आधारभूत संरचना तैयार कर इलेक्ट्रिक वेहकिल मैन्युफेक्चरिंग यूनिट की स्थापना के लिए अनुकूल माहौल बनाना है। सरकार ने अपने इस लक्ष्य पर जोर देते हुए टाटा समूह द्वारा राज्य में स्थापित किए गए देश के एक प्रमुख व बड़ी वेहकिल मैन्युफेक्चरिंग यूनिट का जिक्र किया है।

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पांच साल में 10 प्रतिशत का लक्ष्य

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इस पॉलिसी में यह संकल्प व्यक्त किया गया है कि पूर्वी भारत में झारखंड को एक प्रमुख वाहन मैन्युफेकचरिंग स्थल के रूप में विकसित करना है। राज्य में कार्बन न्यूट्रल ट्रांसपोर्ट सिस्टम तैयार करने के लिए इवी को तेजी से अपनाना, विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख मौजूदा बुनियादी ढांचे के गैप को पहचानना और उसका समाधान ढूंढना, उद्योग जगत और आकादमिक के बीच साझेदारी के साथ इवी के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करना, कुल वाहन पंजीकरण में 2027 तक 10 प्रतिशत इवी वाहनों का लक्ष्य हासिल करना जिसमें, दुपहिया की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत, तिपहिया की 20 प्रतिशत और चौपहिया की 10 प्रतिशत होगी। तीन किमी के फासले पर एक चार्जिंग स्टेशन की स्थापना करना और सभी राष्ट्रीय राजमार्गाें एवं राज्य राजमार्गाें पर 25 किमी की दूरी पर दोनों ओर चार्जिंग स्टेशन की स्थापना करना शामिल है। इसके साथ ही 15 वर्ष पुराने सरकारी व लीज पर चालने वाले वाहनों को बदलना शामिल है।

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इवी पॉलिसी में इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जो प्रमुख रणनीति निर्धारित की गयी है, उसमें इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण की स्थापना के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण करना, पूंजी निवेश को प्रोत्साहन देना, प्रौद्योगिकी उन्नयन को बढावा देना, वित्तीय सहायता-अनुदान और रियायतें, बाजार विकास और निर्यात संवर्धन, औद्योगिक सुविधा और सिंगल विंडो क्लीयरेंस जैसी सुविधाएं शामिल हैं।

संभावित सेक्टरों की पहचान

इस पॉलिसी में संभावित सेक्टरों की पहचान की गयी है, इसमें इवी ऑटोमोबाइल्स, इलेक्ट्रिक टेक्नोलॉजी वाली बसें, इलेक्ट्रिक इवी, प्लग हाइब्रिड एवं स्ट्रांग हाइब्रिड वाले चार पहिया वाहन शामिल हैं। इलेक्ट्रिक तीन पहिया रजिस्टर्ड सहित, इलेक्ट्रिक दो पहिया, फेम दो के तहत कार्याें का विस्तार, टियर – 1, टियर – 2 और टियर – 3 इलेक्ट्रिक कांपोनेंट निर्माण इकाइयां, इवी एंसलिरी यूनिट, इवी बैटरी निर्माण, इवी के लिए चार्जिंग स्टेशन, बैटरी स्वीपिंग स्टेशन व अन्य सुविधाओं का विस्तार शामिल है। सरकारी कंपनी, राज्य और केंद्र के नियंत्रण वाली कंपनियां, साझा वेंचर।

इवी पॉलिसी में कहा गया है कि झारखंड सरकार का उद्योग विभाग इस काम के लिए नोडल एजेंसी की भूमिका में होगा और उस पर इसके क्रियान्वयन की जिम्मेवारी होगी। इस नीति के तहत प्रोत्साहनों को झारखंड औद्योगिक निवेश संवर्द्धन पॉलिसी, 2021 के तहत क्रियान्वित किया जाएगा।

इस नीति के तहत प्रोत्साहन के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों को झारखंड सरकार के उद्योग विभाग विभाग के सिंगल विंडो क्लियरेंस पोर्टल पर आवेदन करना होगा। उद्योग विभाग आवेदन करने वाले निवेशकों को मदद करेगा, जियाडा यानी झारखंड इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट ऑथोरिटी भूमि रजिस्ट्रेशन, परिवर्तन, लाइसेंस व एनओसी जैसे कार्याें को देखेगा।

इवी पॉलिसी में एमएसएमइ यूनिट को मिलने वाली कंपरीहेंसिव प्रोजेक्ट सब्सिडी (सीपीआइएस) की भी चर्चा की गयी है। एमएसएमइ के फिक्स्ड कैपिटल इन्वेस्टमेंट के आधार पर 30 प्रतिशत तक की सब्सिडी का प्रावधान होगा, गैर एमएसएमइ यूनिट भी अलग-अलग श्रेणियों के तहत सब्सिडी के पात्र होंगे। इसमें एक महत्वपूर्ण श्रेणी है कि पर्यावरण हितैषी पॉवर जेनरेशन इक्यूपमेंट का निर्माण।

सूक्ष्म यानी माइक्रो यूनिट को दो करोड़, लघु को सात करोड़, मध्यम को 15 करोड़, गैर एमएसएमइ को 30 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है।

इवी को प्रोत्साहन देने के लिए रोड टैक्स में भी आकर्षक प्रावधान किए गए हैं। राज्य में विनिर्माण करने वाली इकाइयों के लिए पहली 10 हजार खरीद पर 100 प्रतिशत राहत, 10, 001 से 15,000 तक खरीदार पर 75 प्रतिशत, 15000 से के बाद की खरीद पर 25 प्रतिशत छूट दी जाएगी। वहीं, राज्य से बाहर के विनिर्माण पर एक ही स्तर पर 25 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। वाहन रजिस्ट्रेशन शुल्क में इसी श्रेणी में और इतनी ही छूट दी जाएगी।

इवी पॉलिसी में कहा गया है कि मुख्य सचिव की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय इंपावर्ड कमेटी का गठन किया जाएगा जो इसके कार्याें व प्रगति की समीक्षा करेगी। उच्च स्तरीय इंटर डिपार्टमेंटल रिव्यू कमेटी के अनुमोदन से इसे लागू करने के लिए अलग से एक गाइडलाइन जारी की जाएगी। पॉलिसी के नियमित मॉनिटरिंग के लिए उद्योग निदेशक की अध्यक्षता में एक सब कमेटी बनायी जाएगी।

Edited By: Samridh Jharkhand

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