पितृ पक्ष और नवरात्रि 2025: अश्विन माह के प्रमुख पर्व, पूजा विधि और तिथियां, डालें एक नजर
संस्कार और पूजा के समय पितृ पक्ष के नियम
समृद्ध डेस्क: हिन्दू धर्म में प्रत्येक मास को अनेक पर्वों और अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। अश्विन माह का प्रारंभ इस वर्ष 8 सितंबर 2025, सोमवार से हुआ है। यह माह दो भागों में विभक्त है—पितृ पक्ष और शारदीय नवरात्रि जिन्हें अत्यंत धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।
पितृ पक्ष: पूर्वजों का स्मरण

विशेष बिंदु:
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पितृ पक्ष काल में शुभ कार्य, मांगलिक कार्य व नवीन शुरुआत से बचा जाता है।
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इस समय को शांति, साधना, तप और पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर माना गया है।
शारदीय नवरात्रि: शक्ति की आराधना
पितृ पक्ष के बाद, अश्विन माह का दूसरा महत्वपूर्ण पर्व शारदीय नवरात्रि है। इसकी शुरुआत 22 सितंबर 2025, सोमवार से हो रही है और 3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार तक चलेगी। इस अवधि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की भक्ति व पूजा का विशेष महत्व है।
प्रमुख आयोजन:
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घट स्थापना से नवरात्रि आरंभ होती है।
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सोम एवं बुधवार—दुर्गाष्टमी और महानवमी व्रत मनाए जाते हैं।
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गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025 को विजयदशमी (दशहरा) और मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के लिए उत्सव मनाया जाएगा।
तारीख दिन पर्व/त्योहार 8 सितंबर 2025 सोमवार श्राद्ध 10 सितंबर 2025 बुधवार संकष्टी चतुर्थी 17 सितंबर 2025 बुधवार विश्वकर्मा पूजा, श्री अन्नफलाष्मी 19 सितंबर 2025 शुक्रवार मासिक शिवरात्रि 21 सितंबर 2025 रविवार पितृ पक्ष समाप्त, सूर्य ग्रहण 22 सितंबर 2025 सोमवार शारदीय नवरात्रि प्रारंभ 25 सितंबर 2025 गुरुवार विनायक चतुर्थी 30 सितंबर 2025 मंगलवार दुर्गाष्टमी पूजा 1 अक्टूबर 2025 बुधवार महानवमी पूजा 2 अक्टूबर 2025 गुरुवार दशहरा, मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन 3 अक्टूबर 2025 शुक्रवार पापांकुशा एकादशी 4 अक्टूबर 2025 शनिवार शनि प्रदोष व्रत 6 अक्टूबर 2025 सोमवार शरद पूर्णिमा व्रत 7 अक्टूबर 2025 मंगलवार वाल्मीकि जयंती
धार्मिक परंपरा और ज्योतिष दृष्टि
अश्विन माह में पितृ पक्ष के दौरान श्रद्धा और नवरात्रि के समय साधना एवं शक्ति की आराधना विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पितरों की पूजा और माता दुर्गा की आराधना करने से पारिवारिक सुख-शांति, शक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है।
अश्विन माह का प्रत्येक दिन धार्मिक ऊर्जा, साधना और संस्कार से भरा होता है। पितृ पक्ष और नवरात्रि के महत्वपूर्ण अवसरों का लाभ लेने के लिए पर्वों की तिथियों पर ध्यान रखते हुए श्रद्धापूर्वक सभी पूजा-अनुष्ठानों का पालन करें।
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