पश्चिम बंगाल में स्ट्रीट वेंडर को हटाने की कार्रवाई तत्काल रोकी जाए : जन संगठन
विभिन्न जन संगठनों ने दो सप्ताह तक जमीन पर की फैक्ट फाइंडिंग, स्ट्रीट वेंडर के पुनर्वास की रखी मांग

फैक्ट फाइंडिंग करने वाले जन संगठनों में पश्चिम बंग खेत मजूर समिति, राइट टू फूड, पीयूसीएल, अमरा एक सचेतन प्रयास, एकेएसएसएम जैसे संगठन शामिल हैं।
पश्चिम बंगाल में विभिन्न जन संगठनों ने राज्य के विभिन्न शहरों में दो सप्ताह तक जमीन पर किये गये फैक्ट फाइंडिंग के बाद राज्य सरकार ने मांग की है कि स्ट्रीट वेंडर को हटाने या खाली कराने की कार्रवाई तत्काल रोकी जाये। स्ट्रीट वेंडर अधिनियम की धारा 3 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन किये बिना बेदखली की कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

इन संगठनों ने मांग की है कि प्रत्येक नगरपालिका व नगर निगम में टाउन वेंडिंग कमेटियों का गठन किया जाये, जिनमें केंद्रीय ट्रेड यूनियन से संबंध यूनियनों और अन्य फेरीवाला यूनियनों के प्रतिनिधि शामिल हों। हॉकर्स को टाउन वेंडिंग कमेटियों के बारे में जानकारी दी जाये और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाये।
सभी बेदखल किये गये वेंडर के लिए मुआवजा दिया जाये। साथ ही बिना उचित प्रक्रिया का पालन किये बेदखल किये गये वेंडर्स का पुनर्वास किया जाये। शहरों के सौंदर्यीकरण की आड़ में बेदखली की प्रक्रिया बंद की जानी चाहिए। प्रत्येक नागरिक को काम और आजीविका के अधिकार को मान्यता देने के लिए कानून बनाया जाये।
जन संगठनों ने अपनी जमीनी पड़ताल के आधार पर कहा कि कई जगहों पर स्ट्रीट वेंडर्स को बिना पूर्व सूचना के हटा दिया गाय। सभी क्षेत्रों में लाउडस्पीकर से घोषणा कर स्ट्रीट वेंडर्स को यह धमकी दी गई कि अपनी दुकान खुद ही गिरा लो या नगरपालिका उसे तोड़ देगा। उन्हें हटाने के दौरान उनके पुनर्वास व मुआवजे की व्यवस्था नहीं की गई। स्ट्रीट वेंडर्स का टाउन वेंडर्स कमेटियों की जानकारी नहीं है।
मुख्यमंत्री द्वारा एक महीने तक सभी कार्यवाहियों पर रोक लगाने की घोषणा के बाद भी बुलडोजर रूल जारी रहा। नगरपालिका, पुलिस, प्रशासन एवं सत्ताधारी पार्टी का बेदखली प्रक्रिया को स्पष्ट समर्थन था।