रजस्वला होने से नारी शुद्ध होती है और वेग के साथ बहने से गंगा शुद्ध होती है : गोंविदाचार्य

रजस्वला होने से नारी शुद्ध होती है और वेग के साथ बहने से गंगा शुद्ध होती है : गोंविदाचार्य

हरदोई : राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन की गंगा संवाद यात्रा का शुक्रवार को 24वां दिन है। गंगा संवाद यात्रा ने 150 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी कर ली है। यात्रा कानपुर के विठुर में 30 नम्वंबर को समाप्त होगी। आज यात्रा सुबह 10 बजे देहलिया गाँव से शुरू हुई। यात्रा वेसो गाँव, वेडिजोर गाँव, टिकारी गाँव, इस्माइलपुर गाँव, दयालपुर गाँव, कीर्तिया गाँव, जोधन पूर्वा गांव, पल्लिया गाँव पहुँची। गंगा संवाद यात्रा का स्वागत वेडीजोर गाँव में हिमालय जी, ग्राम प्रधान यतीस कुमार सिंह, आचार्य बृजेश कुमार द्विवेदी, जितेंद्र, सुरेश प्रताप सिंह ने फूल-मालाओं से स्वागत किया।

भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव विख्यात विचारक केएन गोविन्दाचार्य ने ग्रामीणों से संवाद करते हुए कहा कि परम पावन गंगा जी की अविरल धारा के लिए सरकार से संवाद और संघर्ष स्वतंत्रता से पहले ही प्रारंभ हो गया था। महामना मालवीय जी ने 1905 में हरिद्वार में गंगा महासभा की स्थापना कर दी थी। गंगा जी की अविरलता के लिए उन्होंने अभियान चलाया और 1916 के अंत में अंग्रेज सरकार ने झुकते हुए समझौता किया। स्वतंत्रता के पश्चात गंगा जी पर दोहरे संकट पड़ गए। बढ़ती आबादी वाले गाँव, शहरों के नालों के कारण गंगा जी में प्रदूषण बढ़ता चला गया।

दूसरी तरफ जल विद्युत के लालच में हिमालय में गंगा जी की एक-एक कर सभी धारा पर धीरे-धीरे बांध बनाते चले गए। परिणामस्वरूप गंगा जी में स्वाभाविक जल प्रवाह घटता चला गया। इन दोनों के परिणामस्वरूप कानपुर से आगे गंगा जी की जल की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई। 2008 में गंगासागर से गंगोत्री तक की यात्रा का आयोजन हुआ, जिसने एक बार फिर से गंगा जी की विषम परिस्थितियों की ओर सरकार का और समाज का ध्यान आकर्षित किया, उसमें हमारी सहभागिता रही। उसके बाद कुछ लोगों के प्रयत्न और सहयोग से केंद्र सरकार द्वारा 2009 में गंगा जी को राष्ट्रीय नदी घोषित कराने में सफलता मिली, आशा थी कि गंगा जी की स्थिति में बदलाव आएगा पर वह होता दिखाई नहीं दिया।

संस्कृत साहित्य में सुभाषित है, रजस्वला होने से नारी शुद्ध होती है और वेग के साथ बहने से नदी शुद्ध होती है। अविरल गंगा निर्मल गंगा के लिए दो बातें बोलना आवश्यक है। गंगा जी के प्रवाह में 17 प्रतिशत पानी हमेशा बना रहे और गंगा जी के प्रवाह को कभी भी खंडित न किया जाए। वर्षाकाल में प्राप्त अतिरिक्त जल का उपयोग सिंचाई और विद्युत के लिए किया जा सकता है। आज तक हिंदू समाज की सरकार से मांग अब भी बनी हुई है। अविरल गंगा निर्मल गंगा संकल्प को साकार करने के लिए शीघ्र कदम उठाया जाए, अविरल गंगा निर्मल गंगा के संकल्प को पूर्ण करने की बुद्धि और शक्ति गंगा माता हम सबको दे, यही प्रार्थना है। गंगा संवाद यात्रा के सह यात्री जीवकांत झा दिल्ली, साध्वी रेणुका जी गंगोत्री मठ, संजय शर्मा, कृष्णवीर सिंह फिरोजाबाद, मंटू तिवारी दिल्ली, निरंजना देवी गुजरात, ललिता देवी, विभा झा, निधि झा, सागर पाठक झांसी, तरुण कुमार हरियाणा, गिरधारी विहार, श्रीराम लोधी टीकमगढ़, रिंकू नामदेव मध्य प्रदेश, उज्ज्वल झा, दिल्ली, भूपेंद्र तेवतिया बुलंदशहर, ऋषभ झांसी, मोहन सिंह नेपाल, राजू झा पटना, ललित झा बिहार आदि पद यात्रा कर रहे हैं।

Edited By: Samridh Jharkhand

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