ई-ऑफिस सिस्टम को सौ फीसदी बनाये त्रुटिहीन: अलका तिवारी
सरकारी दफ्तर बनेंगे ई-ऑफिस
राज्य सरकार के चार विभाग कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा, वित्त विभाग, आईटी एवं ई-गवर्नेंस विभाग तथा उच्च शिक्षा विभाग में ई-ऑफिस सिस्टम की प्रक्रिया शुरू है
रांची: झारखंड सरकार अपना पूरा काम डिजिटल तरीके से करने की ओर कदम बढ़ा रही है. सरकार का आइटी डिपार्टमेंट इसके एक्शन प्लान पर काम शुरू कर चुका है. इसके सफल क्रियान्वयन को लेकर राज्य सरकार के तमाम विभागों के प्रमुखों संग मुख्य सचिव अलका तिवारी ने सोमवार को गहन मंथन किया. उन्होंने आइटी डिपार्टमेंट को ई-ऑफिस सिस्टम को सौ फीसदी त्रुटिहीन बनाने का निर्देश दिया. इस व्यवस्था को जनवरी 2026 के पहले पूर्ण करने को कहा. उन्होंने प्रजेंटेशन के माध्यम से इसे लागू करने का तरीका बताने वाले रेलटेल, एनआइसी और जैपआइटी के तकनीकी विशेषज्ञों को निर्देश दिया कि वे टाइमलाइन बनाकर इसे क्रियान्वित करें. उन्होंने कहा कि सरकारी फाइलें काफी संवेदनशील होती हैं, इसलिए सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि फाइलें साइबर फ्रॉड की शिकार नहीं बनें. तकनीकी व्यवस्था सुगम हो, ताकि अनावश्यक देरी नहीं हो. कार्यालय के बाहर दूसरी जगह से भी ई-ऑफिस के जरिये कार्य करने की सहुलियत हो. उन्होंने निर्देश दिया कि इसके लिए सर्वप्रथम सभी पुरानी फाइलों को स्कैन कर उनका पीडीएफ फाइल अपलोड करें. ऐसा नहीं हो कि फिजिकल फाइल पढ़कर डिजिटल निर्णय लेने की नौबत आये. मुख्य सचिव ई-ऑफिस लाइट के क्रियान्वयन को लेकर सोमवार को उसकी प्रगति की समीक्षा कर रही थीं.
चार विभागों में ई-ऑफिस शुरू

ई-ऑफिस सिस्टम के लाभ
ई-ऑफिस सिस्टम लागू होने के बाद एक क्लिक पर फाइलें सामने होंगी. उनका भौतिक रख-रखाव नहीं करना पड़ेगा. सभी फाइलें एक जगह संरक्षित और सुरक्षित रहेंगी. एक फाइल की कई-कई बार फोटोकॉपी आदि से बचाव होगा. आग, बाढ़, कीड़े, चूहों और फंगस से बचाने की जद्दोजहद से मुक्ति मिलेगी. फाइलों पर निर्णय लेने की गति बढ़ेगी. यह पारदर्शी होगा, इस कारण भ्रष्टाचार की गुंजाइश नहीं होगी. फाइलें रेड टैपिंग से मुक्त होंगी. विभागों की कार्यकुशलता बढ़ेगी. पेपरलेस काम होने से यह पर्यावरण हितैषी भी होगा.
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
