अवैध लेन-देन करने वाले जीएसटी-नोटबंदी को बता रहे गलत : महेश
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रांची: भाजपा के राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने कहा है कि जीएसटी व नोटबंदी को वही लोग गलत बता रहे हैं, जो पैसे का लेनदेन अवैध तरीके से किया करते हैं। कहा कि जिन लोगों को लोकवित्त की परवाह है व साफ-सुथरे तरीके से कारोबार करते हैं उन्हें पता है कि देश को नोटबंदी से भी लाभ हुआ है।
पोद्दार ने कहा कि उद्यमी व व्यापारी वर्ग ने इन दोनों आर्थिक सुधारों को हाथों हाथ लिया है। इस मसले पर देश भर में कहीं से भी नाराजगी के स्वर नहीं उठ रहे हैं। श्री पोद्दार ने कहा कि जीएसटी और नोटबंदी का विरोध वही लोग कर रहे हैं जिन्होंने कौड़ी के भाव अपने चहेतों को स्पेक्ट्रम देकर अरबों रुपये के राजस्व का नुकसान किया।
जबकि मोदी सरकार को 2015 में स्पेक्ट्रम्स की नीलामी से 1.10 लाख करोड़ रूपये से ज्यादा राजस्व प्राप्त हुआ और 2016 में स्पेक्ट्रम्स की नीलामी से 66,000 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। इसका उपयोग देश के विकास में किया जा रहा है।
जहां तक जीएसटी का सवाल है, नयी कर प्रणाली होने की वजह से शुरुआती दिनों में कुछ तकनीकी दिक्कतें जरुर सामने आयीं पर अब पूरा व्यापारी वर्ग भी खुश है और उपभोक्ता भी जीएसटी काउंसिल की पिछली कई बैठकों में जन सामान्य को राहत देने वाले कई निर्णय लिए गए। इम्पैक्ट ये है कि आजादी के बाद से अब तक देश में लगभग 66 लाख व्यवसाय ही पंजीकृत हुए थे। लेकिन जीएसटी लागू होने के मात्र एक साल के भीतर 48 लाख नए व्यवसाय पंजीकृत हो गए।
जीएसटी के तहत एक साल में लगभग 350 करोड़ बिल प्रोसेस किए गए और 11 करोड़ रिटर्न फाइल हुए हैं। यह दिखाता है कि लोगों ने जीएसटी को खुले दिल से स्वीकार किया है। जहां तक नोटबंदी का सवाल है, अंधविरोध करनेवाले ये समझने की कोशिश नहीं करते कि बैंकिंग सिस्टम से बाहर मौजूद करंसी को अमान्य करना ही नोटबंदी का एकमात्र लक्ष्य नहीं था। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का एक बड़ा उद्देश्य भारत को गैर कर अनुपालन समाज से कर अनुपालन में बदलना था।
इसका लक्ष्य अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाना और कालेधन पर प्रहार भी था। अभी भी 18 लाख जमाकर्ताओं की जांच चल रही है। इनमें से बहुतों से टैक्स और पेनल्टी वसूल की जा रही है। बैंकों में जमा कैश का मतलब यह नहीं है कि सारा पैसा सफेद ही है। टैक्स कलेक्शन में वृद्धि का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मार्च 2014 में 3.8 करोड़ टैक्स रिटर्न फाइल हुए। 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 6.86 करोड़ हो गया। पिछले दो सालों में इनकम टैक्स में 19 और 25 फीसदी की वृद्धि हुई है।
Edited By: Samridh Jharkhand