केंद्र की कोयला कंपनियों पर 42% गरीब आबादी वाले झारखंड का 1.36 लाख करोड़ रुपये बकाया

केंद्र की कोयला कंपनियों पर 42% गरीब आबादी वाले झारखंड का 1.36 लाख करोड़ रुपये बकाया

रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य का कोयला राजस्व का 1.36 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार के पास बकाया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस संबंध में कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी को पत्र लिख कर पैसों के भुगतान की मांग की है। हेमंत सोरेन ने अपने पत्र में लिखा है कि भारत सरकार की कोयला कंपनियों सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड – सीसीएल, भारत कोकिंग कोल लिमिटेड – बीसीसीएल, इस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड – इसीएल के ऊपर राज्य सरकार का करोड़ों रुपये बकाया है।

हेमंत सोरेन ने लिखा है कि राज्य सरकार द्वारा विभिन्न स्तरों से भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के अधिकारियों, नीति आयोग एवं कोयला मंत्री का ध्यान बकाये के भुगतान की ओर आकृष्ट किया गया है, लेकिन अभी तक बकाये की राशि का भुगतान नहीं किया गया है।

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केंद्र को लिखे पत्र में हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड एक खनिज संपदा से धनी राज्य है और राजकोष में 80 प्रतिशत योगदान कोयला का ही होता है। उन्होंने लिखा है राज्य का सामाजिक और आर्थिक विकास इन खनिजों पर ही निर्भर है। हेमंत ने लिखा है कि कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण होने के बाद भारत सरकार की कंपनी कोल इंडिया की सहायक कंपनियों ही प्रमुख रूप से यहां कोयला उत्खनन का काम कर रही हैं, लेकिन वे राजस्व का उचित भुगतान नहीं करती हैं, जिससे परिणाम स्वरूप इन कंपनियों पर राज्य का काफी पैसा बकाया हो गया है।

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हेमंत सोरेन ने लिखा है कि वर्तमान में कोयला कंपनियां रन ऑफ माइन कोल यानी खदानोें से निकाला गया अपरिष्कृत कोयला के आधार पर भुगतान करती हैं बजाय भेजने के लिए तैयार परिष्कृत कोयले के आधार पर। मुख्यमंत्री ने इस व्यवस्था में बदलाव के लिए कुछ नियमों में संशोधन की मांग की है।

मालूम हो नीति आयोग की एक रिपोर्ट के हवाले से यह तथ्य सामने आया है कि झारखंड की 42.16 प्रतिशत आबादी गरीब है। बिहार की 51.91 प्रतिशत आबादी गरीब है। जबकि इन दोनों राज्यों के बाद उत्तरप्रदेश (37.79%) और मध्यप्रदेश (36.65%) का स्थान है। यह तथ्य नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक – एमपीआइ पर आधारित है।

Edited By: Samridh Jharkhand

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