नौकरी के मोर्चे पर फेल साबित हुई हेमंत सरकार: आजसू

युवाओं के सपनों को कुचल रही है सरकार

नौकरी के मोर्चे पर फेल साबित हुई हेमंत सरकार: आजसू
प्रेसवार्ता में संजय मेहता

आजसू पार्टी ने हेमंत सरकार पर बेरोज़गारी के मुद्दे पर वादा खिलाफी और युवाओं के साथ छल करने का गंभीर आरोप लगाया है। पार्टी के महासचिव सह प्रवक्ता संजय मेहता ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि सरकार न तो पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया करवा पा रही है और न ही अपने चुनावी वादों को पूरा कर रही।

रांची: आजसू ने सरकार की वादख़िलाफ़ी को लेकर सरकार पर हमला बोला है। आजसू पार्टी के महासचिव सह प्रवक्ता संजय मेहता ने आजसू पार्टी मुख्यालय, रांची में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में सरकार को आँकड़ों के आधार पर आईना दिखाया। उन्होंने सरकार को नौकरी देने में विफल होने पर जमकर कोसा। उन्होंने कहा की हेमंत सोरेन की सरकार नौकरी देने में फेल साबित हुई है। सरकार के द्वारा युवाओं के सपनों का क़त्ल किया जा रहा है। सरकार अपने वादे अनुसार नौकरी देने में असफल रही है। युवाओं को हर मामले को लेकर कोर्ट जाना पड़ रहा है। 

पिछली बार भी सरकार ने यह वादा किया था की हम प्रत्येक साल 5 लाख रोजगार देंगे। 5 साल में 25 लाख नौकरी और बेरोजगारी भत्ता देने का झूठ बोलकर युवाओं के भविष्य और सपनों को मारा गया। सरकार पिछले कार्यकाल में भी नौकरी देने में विफल रही। दूसरे कार्यकाल में भी सरकार नौकरी के सवाल पर झारखंड के युवाओं को ठग रही है। 

दूसरे कार्यकाल में चुनाव से पूर्व घोषणा में मुख्यमंत्री जी ने कहा था की दस लाख सरकारी नौकरी देंगे। सरकार का यह दावा भी फेल होता जा रहा है। सरकार किसी भी परीक्षा का पारदर्शी तरीके से आयोजन नहीं करवा पायी है। सरकार द्वारा आयोजित हर परीक्षा विवादित हो जाती है। राज्य में परीक्षा माफिया सक्रिय हैं। पेपर लीक से युवा परेशान हैं। जेएसएससी सीजीएल के अंतिम परिणाम का प्रकाशन सरकार नहीं कर पा रही है। क्योंकि सरकार की सीआईडी जाँच में विलंब हो रहा है। 

2025 पदों में 2231 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए। 3,04,769 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। सरकार सीजीएल की निष्पक्ष जाँच कर नियुक्ति प्रक्रिया को जल्द पूर्ण करे। यह बड़ा विषय है। 

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सहायक आचार्य नियुक्ति मामले में 15,409 पद खाली रह गए हैं। सरकार ने सभी 26,001 पदों के लिए डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन नहीं किया है। अभ्यर्थियों ने रॉ मार्क्स के आधार पर मेघा सूची जारी करने की माँग की है। नॉर्मलाइजेशन की पद्धति पर अभ्यर्थियों ने सवाल खड़े किए हैं। सरकार को अभ्यर्थियों की माँगों को सुनना चाहिए। 

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उत्पाद सिपाही दौड़ में 17 युवाओं की मौत, नौकरी का पता नहीं

उत्पाद सिपाही की भर्ती के नाम पर सरकार ने युवाओं को दौड़ा दिया। जिसमें 17 नौजवानों की मौत हो गयी। उत्पाद सिपाही की भर्ती कब पूरी होगी आज तक इस विषय को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। 

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1 लाख 58 हज़ार 846 पद खाली
2 लाख 7 हज़ार स्वीकृत पद हो गए समाप्त

सरकार ने अपने वादे में कहा था की हम संविदा और अनुबंध शब्द को समाप्त करते हुए सरकारी नौकरी देंगे। यह सरकार सरकारी नौकरी, संविदा/अनुबंध आधारित रोजगार, निजी क्षेत्र में नौकरियां, निजी क्षेत्र एवं आउटसोर्सिंग में आरक्षण प्रदान करने में पूरी तरह विफल रही है। सरकार अपने वादे पूरे करने में फेल हो गयी है। युवाओं को नौकरी न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता देने का वादा भी झूठा निकला है। 

मेहता ने आंकड़ों के साथ सरकार की पोल खोलते हुए कहा, “मुख्यमंत्री ने वर्ष 2025 तक सरकारी विभागों में 1 लाख से अधिक रिक्त पदों को भरने का भरोसा दिलाया था, लेकिन पिछले दो वर्षों में 2.07 लाख से अधिक स्वीकृत पद समाप्त हो गए। यह युवाओं के साथ धोखा है।” 2025 में अब तक सरकार नौकरी के नाम पर ठगती रही है। सरकार स्वीकृत पदों को घटा रही है। 

स्वीकृत पदों में भारी कमी: 

शिक्षा विभाग का हाल 

वित्त विभाग के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 में विभिन्न सरकारी विभागों में स्वीकृत पदों की संख्या 5,33,737 थी। जो 2024-25 में घटकर 3,26,049 रह गई। इस प्रकार, मात्र दो वर्षों में 2,07,688 स्वीकृत पद समाप्त हो गए। मुख्य रूप से शिक्षा और गृह विभाग प्रभावित हुए। इससे शिक्षा और क़ानून व्यवस्था के प्रति सरकार की उदासीनता प्रदर्शित होती है। 

पदों को लेकर सबसे ज़्यादा कटौती शिक्षा विभाग में हुई। प्राथमिक शिक्षा में 2022-23 में 1,81,706 पद थे। इसे 2024-25 में 65,187 पद कर दिया गया। 1,16,519 पद कम कर दिए गए। माध्यमिक शिक्षा में 2022-23 में 82,841 पद थे। 2024-25 में 17,137 पद कर दिया गया। इस तरह 65,704 पद कम कर दिए गए। कुल शिक्षा विभाग में 1,82,223 पद कम कर दिए गए। 

* गृह विभाग में कमी: 2022-23 में 1,39,734 पद → 2024-25 में 1,00,192 पद (कमी: 39,542 पद)। पुलिस सेवा में 39 हजार से अधिक पद कम हुए। सरकार लगातार पदों को कम कर रही है। 

* रिक्त पदों की स्थिति:

    * 2022-23: कुल स्वीकृत पद 5,33,737 में से 3,50,721 रिक्त (कार्यरत: 1,83,016)।
    * 2023-24: कुल स्वीकृत पद 4,66,494 में से 2,87,129 रिक्त (कार्यरत: 1,79,365)।
    * 2024-25: कुल स्वीकृत पद 3,26,049 में से 1,58,846 रिक्त (कार्यरत: 1,67,203)। अब राज्यभर में सिर्फ 1.59 लाख पद ही खाली हैं।

हमारी माँग है की सरकार ख़ाली पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया को जल्द पूर्ण करे। सरकार वादा करके भूल जाती है। युवा परेशान हैं। 

ओबीसी आरक्षण का नहीं हो रहा पालन

सरकार ने ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण अब तक नहीं दिया है। निजी क्षेत्र में और आउटसोर्सिंग में 75 प्रतिशत आरक्षण का नियम कागजों में दबकर रह गया है। सरकार ने सहायक पुलिसकर्मियों का अनुबंध सिर्फ एक साल बढ़ाया है। सरकार इन्हें स्थायी नियुक्ति देकर समायोजित करे। इन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन दे। 

तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरी में शत- प्रतिशत आरक्षण स्थानीय झारखंडी को मिले। सरकार ने खतियान के आधार पर स्थानीयता को परिभाषित करने का वादा किया था उस वादे का भी कुछ नहीं हो पाया। 

अनुबंध कर्मियों को नियमित नहीं कर पायी सरकार

राज्य सरकार के कार्यालयों में करीब 1 लाख 60 हज़ार ऐसे कर्मचारी हैं जो या तो संविदा पर हैं या दैनिक भत्ता या आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे हैं। इनकी सेवा सचिवालय से लेकर प्रखंड एवं पंचायत स्तर पर स्थित सरकारी कार्यालय में ली जाती है। इन नियुक्तियों में आरक्षण रोस्टर का पालन हुआ है या नहीं सरकार इसको स्पष्ट करे। क्योंकि निजी क्षेत्र की आउटसोर्सिंग कंपनी आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं करती है। इस मामले में सरकार आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए अनुबंध कर्मियों को स्थाई करे। 

39 डीएसपी का पदस्थापन अब तक नहीं

सातवीं से दसवीं जेपीएससी में चयनित 39 डीएसपी का पदस्थापन अब तक नहीं किया गया है। जबकि इन्होंने अपना प्रोबेशन पीरियड और प्रशिक्षण पूर्ण कर लिया है। राज्य में क़ानून व्यवस्था की हालत ख़राब है। लगातार अपराध की घटनाएँ बढ़ी है। ऐसे में सरकार द्वारा डीएसपी का पदस्थापन नहीं किया जाना निराशाजनक है।

सीडीपीओ नियुक्ति मुख्य परीक्षा के 10 माह बाद भी नहीं जारी हुआ रिजल्ट

झारखंड में नियुक्ति और परीक्षा प्रक्रियाएँ वर्षों से लटकी हुई हैं। सीडीपीओ मुख्य परीक्षा के 10 माह बाद भी रिजल्ट जारी नहीं हुआ। 2016 के बाद से जेटेट परीक्षा नहीं हुई, जिससे हजारों प्रशिक्षित अभ्यर्थी मायूस हैं। जेट 2024 की अधिसूचना में कई विषयों को शामिल नहीं किया गया है। नियुक्तियों में आउटसोर्सिंग प्रथा से कर्मियों का शोषण हो रहा है। सरकार अक्सर कोर्ट की फटकार के बाद ही कदम उठाती है। अभ्यर्थियों ने मांग की है कि सरकार यूपीएससी की तर्ज पर जेपीएससी को पारदर्शी और नियमित बनाए।

सीडीपीओ नियुक्ति के 64 पदों के लिए दो से चार अगस्त 2024 को मुख्य परीक्षा ली गयी थी। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने राज्य में सीडीपीओ के 64 पदों पर नियुक्ति के लिए आठ जून 2023 से प्रक्रिया शुरू की। 

10 जून 2024 को प्रारंभिक परीक्षा ली। आयोग द्वारा पहली बार 27 जून 2024 को मॉडल आंसर की जारी की गयी। इसके बाद संशोधित मॉडल आंसर को तीन जुलाई 2024 को जारी किया गया। पुन: पांच दिन बाद संशोधित मॉडल उत्तर जारी किया गया। 15 जुलाई 2024 को रिजल्ट जारी करने के बाद दो से चार अगस्त 2024 को मुख्य परीक्षा का भी आयोजन किया। लेकिन 10 माह बीत जाने के बाद भी आयोग ने रिजल्ट जारी नहीं किया है। कुल 64 पदों में 32 पद महिलाओं के लिए आरक्षित है। प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण 1590 अभ्यर्थियों में से 1511 अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में शामिल हुए। अभ्यर्थी 10 माह से रिजल्ट की आस में बैठे हुए हैं।

जेटेट का आयोजन अब तक नहीं

2016 के बाद से अब तक झारखंड में जेटेट का आयोजन नहीं किया गया है। राज्य गठन के बाद से महज 2 बार झारखंड में शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित की गई है। 2013 में पहली बार परीक्षा आयोजित किए गए जिसमें 68 हजार अभ्यर्थी सफल हुए थे। दूसरी बार साल 2016 में शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित हुई जिसमें 53 हजार अभ्यर्थी पास हुए थे। हजारों अभ्यर्थी शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, लेकिन परीक्षा नहीं होने से अभ्यर्थी मायूस हैं। झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (जेटेट) का आयोजन सरकार जल्द करे। 

जेट नोटिफिकेशन को संशोधित करे सरकार

झारखंड लोक सेवा आयोग ने जेट 2024 के लिए आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है। इस परीक्षा के माध्यम से योग्य उम्मीदवार सहायक प्रोफेसर पदों और झारखंड के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवेदन कर सकते हैं। लेकिन इसमें सरकार ने कुछ विषयों को सम्मिलित नहीं किया है। बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी,बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोलॉजी, फाइन आर्ट्स, फिजिकल एजुकेशन, एमबीए (एग्रीबिजनेस) जैसे विषयों को जेट के अधिसूचना में सम्मिलित नहीं किया गया है। सरकार इन विषयों को अधिसूचना में सम्मिलित करे। 

हर मामले में कोर्ट से फटकार के बाद सरकार कार्य करती है

सरकार कोई भी परीक्षा या कार्य बिना कोर्ट के फटकार के नहीं करती है। जेपीएससी, जेएसएससी, जेटेट, सहायक आचार्य, नगर निकाय, नियोजन, अनुबंध कर्मियों का नियमितीकरण सभी मसलों पर सरकार कोर्ट के फटकार के बाद ही कार्य करती है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे सरकार ने अपने लोकतांत्रिक कर्तव्यों की तिलांजलि दे दी है। 

आउटसोर्सिंग की ठेकेदारी प्रथा बंद हो, सरकार सीधी नियुक्ति करे

सरकार नियुक्तियों में आउटसोर्सिंग की ठेकेदारी प्रथा को बंद करे। यह निजी कंपनियाँ कर्मियों का शोषण करती हैं। समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं मिलता है। आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया जाता है। विस्थापित क्षेत्रों में स्थापित कंपनियाँ विस्थापितों को नौकरी दे।

यूपीएससी के तर्ज पर प्रतिभा सेतु का निर्माण करे जेपीएससी

आजसू ने माँग की है सरकार यूपीएससी के तर्ज पर प्रतिभा सेतु का निर्माण करे। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ यूपीएससी प्रतिभा सेतु के माध्यम से सत्यापित नियोक्ताओं को उन UPSC उम्मीदवारों से जोड़ता है जिन्होंने परीक्षा के सभी चरणों को पार कर लिया है। लेकिन अंतिम सूची में जगह नहीं बना पाए हैं। 

आजसू ने एक उदाहरण से स्पष्ट किया की जेपीएससी (झारखंड लोक सेवा आयोग) की 11वीं से 13वीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा 2023 में कुल 342 पदों के लिए 864 उम्मीदवारों ने इंटरव्यू दिया। मुख्य परीक्षा (मेन्स) पास करने वाले इन 864 उम्मीदवारों में से अंत में 342 सफल हुए। 522  अभ्यर्थी इंटरव्यू के बाद अंतिम सूची में स्थान नहीं बना पाए। उनके लिए सरकार को सोचना चाहिए। क्योंकि ये अभ्यर्थी राज्य के मेघावी छात्र हैं। 

ऐसे मेघावी छात्र के पास विकल्प होना चाहिए ताकि उनकी उपयोगिता किसी संस्था के अंदर सुनिश्चित हो सके। क्योंकि अंतिम सूची में स्थान नहीं बना पाने के बाद उन्हें पुनः तैयारी की शुरुआत शून्य से करनी पड़ती है। उनके पास पुनः तैयारी का विकल्प तो खुला है लेकिन उनके लिए सरकार एक वैकल्पिक व्यवस्था बनाए। सरकार एक पोर्टल बनाकर ऐसे सभी अभ्यर्थियों को बड़े संस्थाओं और सरकार की योजनाओं, संस्थाओं से जोड़कर अवसर दे। इनकी प्रतिभा का इस्तेमाल राज्य के विकास में किया जाए।

Edited By: Mohit Sinha
Mohit Sinha Picture

Mohit Sinha is a writer associated with Samridh Jharkhand. He regularly covers sports, crime, and social issues, with a focus on player statements, local incidents, and public interest stories. His writing reflects clarity, accuracy, and responsible journalism.

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