झारखंड: प्रदेश के निजी स्कूलों की बैलेंस शीट की जांच हो: अजय राय
रांची: ऑल स्कूल पेरेन्ट्स एसोसिएशन झारखंड की ओर से अध्यक्ष अजय राय के नेतृत्व में राजधानी रांची के मोराबादी मैदान इस्थित महात्मा गांधी के प्रतिमा के समक्ष 14 जून को अभिभावकों ने साइलेंट प्रोटेस्ट किया तथा ज्ञापन के माध्यम से अपनी मांग देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, एचआरडी मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल, निशंक, प्रियंक कानूनगो चेयरमैन एनसीपीसीआर और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम ज्ञापन सौंपा।

अजय राय ने कहा कि पिछले 9 जून को शिक्षा मंत्री मीटिंग के बाद आदेश नहीं निकाल पा रहे है आखिर क्या कारण है? हमलोगों ने पूर्व में ही 9 जून के मीटिंग के उपरांत यह घोषणा की थी की शिक्षा मंत्री के प्राइवेट स्कूलों के पक्ष में आदेश निकालते ही हम कोर्ट जाएंगे। आज लगभग 1 सप्ताह होने को है सरकार आदेश नहीं निकाल पा रही है जो कहीं ना कहीं हेमंत सोरेन सरकार को कटघरे में खड़ा करने का काम कर रही है।
झारखंड प्रदेश सहित देश के अभिभावक आज 14जून 20 को अपने साइलेंट प्रोटेस्ट के माध्य्म से अपनी पीड़ा रखते हुये न्याय की मांग करते हैं। देश में कोरोना की महामारी के कारण लॉकडाउन लगाए जाने के कारण अभिभावक़ गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। झारखंड प्रदेश में 21 मार्च के पूर्व से स्कूल बंद हुए लगभग तीन महीने से भी ज्यादा का समय हो गया है। बंद स्कूलों द्वारा अभिभावको से लगातार फीस की मांग की जा रही है और फीस ना देने पर बच्चों की ऑनलाइन क्लास से बाधित की जा रही है।
पिछले तीन महीने से निजी स्कूलों से कोई सुविधा अभिभावकों द्वारा नहीं ली गई है जैसे क्लास रूम स्टडी , लेब , ग्राउंड, बिजली आदि स्कूलों द्वारा बच्चों को बिना अनुमति के ऑन-लाइन क्लास दी गई है वो भी आधी अधूरी तैयारी के साथ जैसा कि आप सभी जानते है ऑनलाइन क्लास डिस्टेंस लैर्निंग एजुकेशन जैसी होती है जिसका खर्चा बहुत ही कम होता है ऑनलाइन क्लास के माध्यम से अभिभावकों को लगातार फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है और राज्य सरकार के शिक्षा मंत्री जगन्नाथ जगन्नाथ महतो द्वारा जो खुद अप्रैल से जून तक फीस माफ करने की बात कर रहे थे उन्होंने खुद 9 जून 20 की मीटिंग में अभिभावकों की मांग को दर किनार कर स्कूल के पक्ष में फैसला लिया है। उनके इस कदम से पूरे राज्य के लाखों अभिभावक दुखी है।
जिस राज्य सरकार की NOC के आधार पर प्रदेश के निजी स्कूलों को मान्यता मिलती है। झारखण्ड राज्य सरकार ने प्रदेश के निजी स्कूलों की फीस पर लगाम लगाने के लिए झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 बनाया था जिसके अनुसार प्रदेश के सभी जिलों में जिला शुल्क नियामक समिति बनने का आदेश जारी किया गया था जिसका अनुपालन स्कूल से लेकर जिला स्तर पर नहीं हो पाई है। स्कूलों के पास पर्याप्त मात्रा में करोडो रुपये अलग- अलग मद में सरप्लस-फंड मौजूद है जिसके माध्यम से अभिभावको की लॉक डाउन अवधि की फीस माफ की जा सकती है साथ ही टीचर और स्टाफ की सैलरी दी जा सकती है।
कोविड-19 के चलते स्कूलों द्वारा बिना किसी तैयारी बिना किसी इंफ्रास्ट्रक्चर के बच्चों की ऑनलाइन क्लास को शुरू कर दिया गया जिसका अतिरिक्त भार उस अभिभावक पर पड़ा जो कोविड19 के चलते वर्क फ़ॉर होम द्वारा अपना कार्य कर रहा था क्योंकि ऑनलाइन क्लास के लिए संसाधन जैसे की मोबाइल, लैपटॉप एवं इंटरनेट कनेक्शन को जुटाने का कार्य सिर्फ़ अभिभावकों को करना था स्कूलों को नहीं औऱ समस्या तब ओर जटिल हो गयी जब घर में दो-दो बच्चों को एक साथ ऑनलाइन क्लास लेनी होती है क्या इस तरह की पढ़ाई का कोई औचित्य है जो शिक्षा के समान अधिकार का उल्लंघन करता हो क्योंकि धनाड्य परिवार के लोग शायद सब संसाधन ओफ्फोर्ड कर लें लेकिन क्या EWS श्रेणी के बच्चों को इन सब संसाधनों को जुटा पाना संभव है? शिक्षा देने के वाले ये संस्थान जो अभिभावकों को बच्चों से इलेट्रॉनिक गैजेट्स मोबाइल एवं लैपटॉप से दूर रखने की शिक्षा देते थे आज वही स्कूल बच्चों को इलेट्रॉनिक गैजट्स की तरफ़ धकेल रहे हैं जिसका दूरगामी परिणाम बच्चों के हेल्थ के साथ साथ उन्हें गलत दिसा में ले जा रहा है।
प्रदेश के निजी स्कूलों की बैलेंस शीट की हो जाँच: राज्य के सभी निजी स्कूलों की कम से कम 5 साल की इन्कम टैक्स रिटर्न और बैलेंस शीट की जाँच की जाये और जो स्कूल जाँच में सहयोग न करें उसपर त्वरित कार्यवाही की जाये एवं अधिक फंड होने के बाद उन स्कूलों पर तत्काल प्रभाव से फ़ीस बढ़ाने पर रोक लगाई जाये तथा साथ ही अधिक सरप्लस – फंड पाये जाने पर स्कूलो का सरप्लस-फंड प्रदेश के सरकारी विद्यालय के जीर्णोद्धार में खर्च किया जाये! क्योंकि सरकार द्वारा स्कूल को जिस NOC के अंर्तगत स्कूल खोलने की अनुमति दी जाती है वह एक सामाजिक संस्था के तौर पर NO प्रॉफिट NO LOSS के तहत दी जाती है ना की शिक्षा का व्यापार करने के लिए।
कोविड 19 से हालात सामान्य होने तक स्कूल बंद रखा जाय: शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर स्पष्ट मानना है कि स्कूलों के खुलने पर यह सुरक्षित दूरी बनीं नहीं रह सकती है, जिसके कारण हमारे बच्चों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। जीवन की शर्त पर अपने बच्चों को स्कूलों में ‘कोरोना के साथ’ पढने के लिए नहीं भेजा जा सकता है।
स्कूलों में बच्चों के आने के बाद, उनके बीच सोशल/फिजिकल दूरी को बनाये रखने के लिए किये जाने वाले हर तरह के प्रयास (यहाँ तक कि मनोवैज्ञानिक तौर पर उपलब्ध होने वाला सहयोग भी) अपने अंतिम परिणाम में स्कूल को एक ‘जेल’ में ही बदलने वाले साबित होंगे। अपने स्कूल में ही छात्र अपने साथियों से नैसर्गिक-सहज व्यवहार न करने के लिए बुरी तरह मजबूर होगा। स्कूल में एक रोबोट की तरह व्यवहार करने के बाद भी हमारे बच्चे कोरोना के खतरे से बच नहीं सकते हैं। इसलिए जब तक हालात सामान्य नहीं होते तब तक स्कूल ना खोले जाए।
यह है मांग
- आर्थिक संकट से जूझ रहे अभिभावको की लॉकडाउन अवधि की तिमाही फ़ीस माफ़ हो।
- देश में कोरोना के बढ़ते प्रभाव के कारण जब तक स्थिति सामान्य न हो या वैक्सीन न बने तब तक बच्चो के स्कूल न खुले।
- छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ते दुष्प्रभाव के कारण बच्चों की ऑनलाइन क्लास 1से 8 तक पर रोक लगे।
- संबद्धता प्राप्त राज्य के सभी प्राइवेट स्कूलों की पिछले पांच साल की इनकम टैक्स ,बैलेंस शीट की जांच हो और उन्हें पब्लिक पोर्टल पर अपलोड किया जाय।
- संबद्धता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में कार्य कर रहे टीचिंग नन-टीचिंग स्टाफ की सैलरी सातवें वेतनमान के अनुरूप मिल रही है कि नहीं इसकी जांच हो।
- संबद्धता प्राप्त राज्य के सभी प्राइवेट स्कूलों में जिला स्तर पर हर स्कूल में झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 के एक्ट के तहत कमेटी गठित की जाय।
- सभी सरकारी स्कूलों में गरीब बच्चों का नामांकन निशुल्क हो! एक देश, एक शिक्षा, एक बोर्ड औऱ एक ही पाट्यक्रम हो
आज के कार्यक्रम में अजय राय, ऋषी प्रकाश मिश्रा, विद्याकर कुँवर, आलोक झा, बिर बहादुर सिंह, देवानंद राय अशोक गुप्ता, विजय सिंह, मुकेश साहू, हरिओम राय, कृष्ण कुमार अग्रवाल, गुड़ु सिंह, विस्वजीत कुमार, सुधीर कुमार, गरिवन मांझी, विजय संकर शर्मा, पंकज कुमार, आकाश सिन्हा, रविंद्र कौर, अरविंद कुमार पटेल, धीरेंद्र मिश्र, उमेश यादव, संजय यादव, गोपाल सिंह, अरुण गुप्ता इत्यादि अभिवावक शामिल हुए।
