गिरिडीह में बाल विवाह पर सख्ती, जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
कम उम्र की शादी से बढ़ते सामाजिक और शारीरिक नुकसान पर चर्चा
प्रगतिशील समाज के विकास में एक बड़ी बाधक बनी सामाजिक कुरीति बाल विवाह को जड़ से समाप्त करने में सबकी सकारात्मक सहभागिता आवश्यक है इसके लिए प्रखंड परिसर बगोदर में बाल विवाह रोकथाम को रोकने के उद्देश्य से एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
गिरिडीह: उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी रामनिवास यादव के निर्देशानुसार सामाजिक सुरक्षा विभाग के द्वारा प्रखंड परिसर बगोदर में बाल विवाह रोकथाम को रोकने के उद्देश्य से एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
इस जागरूकता कार्यक्रम में निम्लिखित बिन्दुओ पर प्रकाश डाला गया

2) बाल विवाह से संबंधित शिकायत कहाँ एवं किसको कर सकते है ?
3) यदि बाल विवाह वर्त्तमान में हो रहा है या निकट भविस में होगा या हो चूका से संबंधित जानकारी
4) दंड प्रावधान
कार्यक्रम में प्रखंड विकास पदाधिकारी, बगोदर ने कहा कि बाल विवाह बच्चों के लिए एक अभिशाप है. लोग बच्चों की पढ़ाई छुड़वाकर शादी करवा देते है जिससे बच्चों का भविष्य खराब होता है. प्रगतिशील समाज के विकास में एक बड़ी बाधक बनी सामाजिक कुरीति बाल विवाह को जड़ से समाप्त करने में सबकी सकारात्मक सहभागिता आवश्यक है. सभी को आगे आना होगा ताकि बाल विवाह को जड़ से समाप्त किया जा सकें. बाल विवाह रोकने के लिए सरकार द्वारा सावित्री बाई फूले बालिका समृद्धि योजना, स्पॉन्सरशिप, छात्रवृति सहित कई योजनाएं चलाई जा रही है. आगे उन्होंने बाल विवाह की शिकायत करने हेतु निःशुल्क फोन सेवा, चाइल्ड हेल्फ लाइन 1098 के बारे में तथा शिकायत मिलने पर रेस्क्यू टीम का गठन, बाल कल्याण समिति की भूमिका, बच्चों से जुड़े पूनर्वास कार्यक्रम के बारे में बताया.
सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा, गिरिडीह ने बताया कि बाल विवाह एक सामाजिक बुराई और कानूनी अपराध है. इसके रोकथाम के लिए सभी को आगे आने की आवश्यकता है. बाल विवाह आधुनिक सती प्रथा है. जिस प्रकार सती प्रथा किसी महिला के शरीर को जला देती थी, उसी प्रकार आज बाल विवाह महिलाओं की चेतना को जला रहा है. हर महिला के भीतर एक चेतना है, जो अपनी पूर्ण संभावनाओं को खोज रही है. हर महिला को अच्छी किताबें पढ़नी हैं, उच्च शिक्षा प्राप्त करनी है, और अपनी मेहनत से कमाए गए पैसों से रोटी खानी है. लेकिन बाल विवाह महिलाओं की उस चेतना और संभावना को समाप्त कर देता है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि कम उम्र में लड़का या लड़की की शादी करने से कई प्रकार के सामाजिक, शारीरिक नुकसान देखने को मिलता है, जहां एक ओर उनका बचपन छिन जाता है, वहीं कम उम्र में शादी करने वाले लड़के और लड़कियां न तो ठीक से शिक्षित होते हैं और न ही परिवार, समाज और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से योग्य होते हैं. इसके लिए समाज के तमाम बुद्धिजीवी वर्ग, शिक्षक, जनप्रतिनिधि सहित सभी लोगों को आगे आने की आवश्यकता है.
सहायक निदेशक ने 'स्त्री 2' फिल्म का उदाहरण देते हुए समझाया कि किस प्रकार एक पितृप्रधान सोच वाला व्यक्ति/समाज, बाल विवाह और महिलाओं के शोषण को बढ़ावा देता है. आज उसी पितृप्रधान सोच से सभी को लड़ना होगा, बाल विवाह के खिलाफ लड़ना होगा, और महिलाओं की चेतना एवं जागृति के समर्थन में खड़ा होना होगा.
इस लड़ाई को लड़ने के लिए सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा, गिरिडीह द्वारा एक मंत्र दिया गया—
"आत्मज्ञान के प्रकाश में,
अंधे क्रम सब त्याग दो.
निराश हो, निर्मम बनो,
तापरहित बस युद्ध हो."
मौके पर महिला पर्यवेक्षिका, सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समेत अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे.
Mohit Sinha is a writer associated with Samridh Jharkhand. He regularly covers sports, crime, and social issues, with a focus on player statements, local incidents, and public interest stories. His writing reflects clarity, accuracy, and responsible journalism.
