संथाल काटा पोखर के इतिहास को लेकर दिगुली में जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन, शहीदों को श्रद्धांजलि
1855 के विद्रोह के नायकों को किया गया याद, मौके पर सांसद भी पहुंचे

रानीश्वर

बैठक में संथाल काटा पोखर के इतिहास को लेकर इतिहासकार गौतम ने विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 1855 के संथाल विद्रोह के 150 साल के बाद भी वह इतिहास दबा हुआ था। वर्ष 2000 में झारखंड बंग भाषी जागरण पत्रिका में सर्वप्रथम उस पोखर के इतिहास को प्रकाशित किया गया। दो दशक से उस इतिहास को बांग्ला एवं हिंदी पत्र पत्रिका में प्रकाशित किया जाता रहा है।
दुमका के पूर्व उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने उस इतिहास को संज्ञान में लेकर पोखर को धरोहर के रूप में चिह्नित करवाया। कार्यक्रम में फादर सोलेमान, सच्चिदानंद सोरेन, इनोसेंट सोरेन, सुलेमान मरांडी, शिवधन सोरेन, डॉ असीम लायेक, दिगुली ग्राम सभा के अध्यक्ष श्याम राय, स्नेह लता सोरेन, सिदो कान्हू बिरसा विश्वविद्यालय के लाइब्रेरियन बेल टुडू ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। मौके पर सांसद नलिन सोरेन अपने समर्थक सिद्धार्थ लाहा, डा अब्दुल रईस खान, एबख़्सिस हुसैन खान एवं अन्य कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे और राष्ट्र सपूत शहीदों को श्रद्धांजिल अर्पित की।