Opinion: नगर निगम का वर्क फ्रॉम होम, पानी में डूबा शहर

कैसे करें घरेलू कचरो का निपटान?

Opinion: नगर निगम का वर्क फ्रॉम होम, पानी में डूबा शहर
नवेंदु उमेष (फाइल फोटो)

अधिकारी ने सूचना देने वाले से प्रश्न किया कि आखिर इतनी बारिश में आदमी घर से निकला क्यों? अगर उसे घर से निकलना ही था तो उसे पुलिस का सहारा लेना चाहिए था.

इस वर्ष शहर में काफी बारिश हुई. जो लोग पानी के लिए तरस रहे थे वे पानी में डूबने लगे. सड़कों पर पानी, नालों में पानी, खेत खलियान में पानी, मैदान में पानी. जहां देखो पानी ही पानी. आदमी पानी से त्रस्त हो चुका था. शहर की सड़क नाले में तब्दील हो चुकी थी. इसी बीच एक आदमी बहती धार में बह गया. लोगों ने इसकी जानकारी तुरंत नगर निगम प्रशासन को दी. उधर से जवाब आया पूरा नगर निगम वर्क फ्रॉम होम पर है. लोगों को भी घरों में रहना चाहिए और वर्क फ्रॉम होम पर काम करना चाहिए. अगर घरों में कूडा कचरा हो तो स्वच्छ भारत अभियान से संपर्क करना चाहिए. 

स्वच्छ भारत अभियान यह बतलायेगा कि घरेलू कचरो का निपटान घर में ही कैसे किया जाएगा: इसी बीच एक आदमी सड़क पर बह रहे पानी में बह गया. इसकी जानकारी नगर निगम के अधिकारियों को दी गई. उत्तर आया हम वर्क फ्रॉम होम पर हैं. अधिकारी ने सूचना देने वाले से प्रश्न किया कि आखिर इतनी बारिश में आदमी घर से निकला क्यों? अगर उसे घर से निकलना ही था तो उसे पुलिस का सहारा लेना चाहिए था. आदमी को सुरक्षा देने का काम पुलिस का है नगर निगम का नहीं. नगर निगम के अधिकारी ने आगे कहा अगर आदमी सड़क पर बहते पानी में बह गया है तो उसके परिजनों से कहो उसे गूगल में सर्च करें. वह गूगल पर जरूर मिल जाएगा. मैंने शहर का सारा लोकेशन गूगल पर डाल दिया है. वह जहां भी होगा मिल जाएगा.

इसकी जानकारी जब निकट के थाने को हुई तो वहां के थानेदार ने कहा देखना यह होगाकि आदमी किस थाना से बहा और किस क्षेत्र के थाने में गिरा.  इसके बाद ही कार्रवाई की जायेगी. लोगों ने जब थानेदार पर दवाब बनाया तो उसने कहा बहे हुए आदमी का आधार कार्ड लेकर थाने में आए देखना होगा कि वह भारतीय या अवैध प्रवासी.

थक हारकर लोग नगर विकास मंत्री के पास पहुंचे. मंत्री ने पूरी कथा सुनने के बाद कहा नागरिक सुविधाओं एवं सुरक्षा में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों को फोन किया तो उधर से उत्तर आया. वर्क फ्रॉम होम पर हूं. इस की जानकारी नीचे के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को दे दिया हूं. 
 
इसी प्रकार वर्क फ्रॉम की दुहाई देकर जानकारी एक अधिकारी से दूसरे अधिकार तक पहुंचती रही. कई दिन बीत गये. कई दिनों के बाद बहा हुआ आदमी पांच किलोमीटर दूर एक बरसाती नदी में चट्टान पर अटका मिला.  

इसकी जानकारी जब नगर निगम अधिकारियों को हुई तो उन्होंने कहा यह क्षेत्र मेरे अधिकार में नहीं आता है. आप संबंधित क्षेत्र के प्रखंड विकास पदाधिकारी से मिले और उनसे पूछे जब नगर निगम क्षेत्र से आदमी बहा तो उन्होंने उसे अपने क्षेत्र में आने से क्यों नहीं रोका. अंत में प्रखंड विकास पदाधिकारी सस्पेंड कर दिए गए और आदमी पोस्टमार्टम के लिए कतर में लगा है.
नवेंदु उमेष

 

Edited By: Sujit Sinha
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सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।

'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।

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