आरजी कर अस्पताल मामला: ऑल इंडिया फेमिनिस्ट अलायंस ने जारी किया विस्तृत बयान, सख्त कार्रवाई की उठाई मांग
एआइएफए ने अपने बयान में राजनीतिक दलों, अस्पताल प्रबंधन के रुख की निंदा की और विरोध प्रदर्शन के दौरान अस्पताल में तोड़-फोड़ को प्रतिरोध की आवाज दबाने की कोशिश बताया
नई दिल्ली/कोलकाता: ऑल इंडिया फेमिनिस्ट अलायंस (एआइएफए) ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार व हत्या के मामले में एक विस्तृत बयान जारी कर अपनी मांग रखी है। फेमिनिस्ट अलायंस ने आरजी कर अस्पताल में जारी अवैध गतिविधियों, अस्पताल के प्रिंसिपल व प्रबंधन द्वारा घटना के बाद की गई गड़बड़ियों का मामला उठाया है और इस मुद्दे पर राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिशों की निंदा की है।
एआइएफए ने अपने विस्तृत वक्तव्य में मांग की है कि सीबीआई द्वारा मामले की निष्पक्ष और न्यायोचित जांच कर सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाये। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल सहित कॉलेज के अधिकारियों द्वारा साक्ष्य नष्ट करने के तरीके की जांच की जाये। इस मामले की प्राथमिकता के स्तर पर जांच कर अपराध स्थलों पर साक्ष्य को नष्ट करने के लिए उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू की जारी चाहिए। जांच के आरंभिक चरण में गंभीर कानूनी उल्लंधन व अनियमितताएं करने के लिए कोलकाता पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ निलंबन व अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। एएआइएफए के अनुसार, इन अनियमितताओं में हत्या के मामले को आत्महत्या के रूप में प्रस्तुत करना और वास्तविक अपराधी को बचाने का प्रयास भी शामिल है। आरजी कर अस्पताल व विरोध स्थल पर हंगामा करने व तोड़फोड़ करने वालों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए और हमले की साजिश का पर्दाफाश किया जाए। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न रोकधाम, निषेध और निवाराण अधिनियम 2013 का अक्षरशः पालन किया जाए। उनके लिए उचित बाथरूम के साथ ऑन कॉल और रेस्ट रूम और सभी स्थानों पर उचित प्रकाश की व्यवस्था होनी चाहिए।
महिलाओं के अलावा ट्रांस व क्वीर कर्मियों के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उचित क्रियान्वयन किया जाए, जिसमें रेस्ट रूम, शौचायल और ऑन कॉल रूम का प्रावधान हो। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के उस समय के प्रिंसिपल के खिलाफ कार्रवाई की जाए और उन्हें सभी शैक्षणिक संस्थानों के प्रिंसिपल पद से अयोग्य घोषित किया जाए। सोशल मीडिया पर फर्जी, घृणित और लैंगिकवादी पोस्ट साझा करने वालों के साथ-साथ मृतका की पहचान उजागर करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।