वेतन नहीं मिलने के कारण झारखंड के कोविड-19 नियंत्रण कक्ष के कर्मचारियों को हो रही परेशानी
- तीन माह से हेमंत सरकार ले रही मुफ्त काम
- झारखंड राज्य स्तरीय कोरोना नियंत्रण कक्ष का है मामला
रांची : कोरोना महामारी को लेकर झारखंड के स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी के आदेश से 24 मार्च 2020 से टॉल फ्री नंबर 181 को रातों-रात कोरोना हेल्पलाइन में तब्दील तो कर दिया गया। इसका संचालन सूचना भवन में पिछले तीन माह से किया जा रहा है। कोविड-19 नियंत्रण कक्ष का संचालन वही कंपनी कर रही है, जो कि पूर्व में मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र का संचालन कर रही थी। कोविड-19 नियंत्रण कक्ष में कार्यरत कर्मचारी भी वही हैं, जो कि पूर्व में मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में अपनी सेवा दे रहे थे।

मानवीय आधार पर ही सही लेकिन संबंधित विभाग को इन कोरोना योद्धाओं के बारे में सोचना चाहिए। यह मामला सिर्फ राज्य स्तरीय कोरोना नियंत्रण कक्ष और जिला शिकायत निवारण समन्वयकों का नहीं है। बल्कि इन पर निर्भर इनके परिवार के सदस्यों के पेट का भी सवाल है। वैसे तो सरकार गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों को समुचित खाद्यान्न उपलब्ध करा रही है, लेकिन ये मध्यमवर्गीय परिवार आखिर अपनी व्यथा व्यक्त कहें भी तो किनके पास।
#झारखंड में कोविड कंट्रोल रुम @jharkhand181 के कर्मचारियों को दो महीने से वेतन नहीं मिला है। इनके व्हाट्सएप ग्रुप में असंसदीय बातचीत के कई उदाहरण हैं। @HemantSorenJMM जी आपसे उम्मीदें हैं। इसकी जाँच कराइए और यह विश्वास बनाए रखिए। वरना, सत्ता के चरित्र से तो हम वाक़िफ़ हैं ही। https://t.co/ET2LFA4Qor
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आपको बताते चलें कि रघुवर सरकार ने 01 मई 2015 को झारखंड की जनता के शिकायतों के निवारण के लिए मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र की नींव सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सहयोग से रखी थी। इसके संचालन की जिम्मेदारी माइका एडुकेशन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक संजय जैन को दी गई थी। जबतक सत्ता में रघुवर दास रहे, तबतक यह केन्द्र सुचारू रूप से चला और कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान किया जाता था। लेकिन जब मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र को हेमंत सरकार ने कोविड-19 नियंत्रण कक्ष में तब्दील किया, तब से सरकार ने कंपनी को फंडिंग नहीं की है।
कंपनी ने झारखंड के 24 जिलों में चौबीस शिकायत निवारण समन्यकों को भी प्रतिनियुक्त किया है। जिनमें से करीब दस शिकायत निवारण समन्यक अपने गृह जिले से दूर अपनी सेवा दे रहे हैं। तीन माह से वेतन का भुगतान न होना और घर से दूर दूसरे जिले में सेवा देना, इससे इनकी आर्थिक तंगी को स्पष्ट समझा जा सकता है।
कोविड-19 नियंत्रण कक्ष में कार्यरत सौ से अधिक कर्मचारी सूचना भवन में निरंतर अपनी सेवा दे रहे हैं। इनकी सुरक्षा के मद्देनजर कंपनी ने इन्हें घर से ही काम करने की अनुमति दिलायी है। लेकिन इनमें से कई कर्मचारी ऐसे हैं, जो कि झारखंड की राजधानी रांची में किराए के मकान में रहते हैं और इनका पूरा परिवार भी इन्हीं पर निर्भर है। कुछ ऐसे कर्मचारी हैं, जिनकी कमाई से ही उनकी पढ़ाई और अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति हो पाती है।
ये वो कर्मचारी हैं, जो निःस्वार्थ भाव से झारखंड की जनता के समस्याओं का समाधान कराते हैं। लेकिन इन्हीं कर्मचारियों का सुध लेने वाला कोई नहीं।
वेतन तो नहीं मिला उलटे कोविड नियंत्रण केंद्र के एजेंसी ने नियमित वेतन व कार्यप्रणाली दुरस्त करने की मांग करने वाले का काम रोक दिया गया है, बिना किसी सूचना दिए। @HemantSorenJMM जी कम से कम नियमों का तो अनुपालन सुनिश्चित करवाएं। इस महामारी में कर्मी कैसे करेंगे अपना जीवन यापन! https://t.co/PTEMngg0yM
— siddhartha roy (@sraroy) June 23, 2020
कोविड-19 नियंत्रण कक्ष में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को अप्रैल 2020 में कंपनी की ओर से सेवा विस्तार का पत्र निर्गत किया गया है। इसमें कई कर्मचारियों के पत्र में स्पष्ट वर्णित है कि कोरोना नियंत्रण केंद्र में नियमित रूप से कार्यरत कर्मचारियों को कंपनी की ओर से सम्मान स्वरूप पांच हजार रुपए अतिरिक्त राशि प्रोत्साहन के तौर पर दिया जाएगा। लेकिन कर्मचारियों को अप्रैल माह के वेतन के रूप में सात हजार रुपए और मई माह के वेतन के रूप में सिर्फ पांच हजार रुपए प्रति कर्मचारी दिया गया है।
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि इस स्थिति से हेमंत सरकार अवगत नहीं है। लेकिन उनके उदासीन रवैया से करीब 150 लोगों के परिजनों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।
