बिहार चुनाव 2020: राजनीति से दूर हैं बिहार के ये तीनों चर्चित चेहरे
पटना: अब तक युवाओं ने राजनीति के क्षेत्र में ख़ास दिलचस्पी नहीं दिखाई और उसे एक करियर के तौर पर नहीं चुना, चाहे कारण सामाजिक सुरक्षा हो, राजनीति का अपराधीकरण हो, सामाजिक दबाव हो या फिर आरामदेह ज़िंदगी को त्याग कर संघर्षपूर्ण जीवन अपनाने की अनिच्छा, ऐसे में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में ‘आ रहा बदलाव’ क्या युवाओं को प्रेरित करेगा राजनीति को एक करियर के रूप में अपनाने की, इसका जवाब ढूंढ पाना अभी तो मुश्किल लग रहा है।

ये तीनों बिहार के अनमोल रत्न राजनीती से रहते हैं काफी दूर। जब-जब बिहार में चुनाव आता है तो लोगों के बीच ये चर्चा जरूर होता है की बिहार के ये तीनों चर्चित चेहरे भी चुनाव लड़ सकते हैं, परन्तु ये सभी शिक्षक राजनीती से हमेशा दुरी बनाये रखते है, इनका कहना है की समाज सेवा बिना राजनीती में आए हुए भी किया जा सकता है, ये सभी शिक्षक ने आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई ,एनडीए प्रवेश परीक्षा सफ़लता दिलाकर बेहतर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं।
बिहार देशभर में अनूठे एकेडमिक्स की वजह से भी चर्चित है। अभयानंद और आनंद कुमार (Anand Kumar) ने गरीब बच्चों को आईआईटी (IIT) जैसे संस्थानों में भेजकर ऐसी लकीर खींच दी है कि पूरी दुनिया उनके काम को सलाम करती है।
एक मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव (RK Srivastava) भी गज़ब तरीके से बच्चों को पढ़ाते हैं। आरके चुटकले और कबाड़ों के जरिए से खेल-खेल में बच्चों को गणित की मुश्किल पढ़ाई करवाते हैं। कबाड़ को जुगाड़ से खिलौने बनाकर प्रैक्टिकल में यूज करते हैं। वो सामाजिक सरोकार से गणित को जोड़कर, सवाल हल करना बताते हैं। आरके 52 तरीके से पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras theorem) को सिद्ध कर दुनिया को हैरान कर चुके हैं।
वो 450 से ज्यादा बार फ्री नाईट क्लासेज चलाकर भी सुर्खियां बटोर चुके हैं। उनकी क्लास में स्टूडेंट पूरी रात 12 घंटे गणित की पढ़ाई कर चुके हैं। जो खुद में हैरान करने वाली बात है। लोग बताते हैं कि वह भी सुपर 30 की तरह भी गरीब स्टूडेंट को इंजीनियर बनाते हैं। इसके बदले में मात्र एक रुपए गुरुदक्षिणा लेते हैं। कई लोग दावा करते हैं कि आरके, सुपर 30 के आनंद कुमार की परंपरा के टीचर हैं।
गरीब परिवार में जन्में बिक्रमगंज रोहतास के आरके श्रीवास्तव का जीवन काफी संघर्ष से भरा रहा। जिससे लड़ते हुए वह अपनी पढ़ाई पूरी की। लेकिन, टीबी की बीमारी के कारण आईआईटी की प्रवेश परक्षा नहीं दे पाए। बाद में ऑटो चलने से होने वाले इनकम से परिवार का भरण-पोषण होने लगे।
रामानुजन और वशिष्ठ नारायण सिंह को आदर्श मानने वाले आरके श्रीवास्तव बाद में कोचिंग पढ़ाने लगे। गणित के लिए इनके द्वारा चलाया जा रहा निःशुल्क नाईट क्लासेज अभियान पूरे देश मे चर्चा का विषय बना हुआ है। इस क्लास को देखने और उनका शैक्षणिक कार्यशैली को समझने के लिए कई विद्वान उनके इंस्टीट्यूट आ चुके हैं।
