भूख से मरे भूखल घासी के तीन परिजनों की छह महीने में मौत पर सीएम हेमंत से अमर बाउरी ने मांगा इस्तीफा

भूख से मरे भूखल घासी के तीन परिजनों की छह महीने में मौत पर सीएम हेमंत से अमर बाउरी ने मांगा इस्तीफा

रांची : भाजपा विधायक व पार्टी के झारखंड प्रदेश अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अमर कुमार बाउरी ने भूखल घासी का चर्चित मामला उठाया है. भूखल घासी की मार्च महीने में कथित रूप से भूख से मौत हो गयी थी. वे बोकारो जिले के कसमार के एक गांव के रहने वाले थे.

इस मामले में अमर कुमार बाउरी ने कहा है कि बीते 7 मार्च को झारखंड के बोकारो जिले में भूखल घासी की मौत भूख से हो गयी थी. उनकी उम्र 42 साल थी. उस वक्त बताया गया था कि भूखल घासी के घर में चार दिनों से चूल्हा नहीं जला था. बाउरी ने कहा है कि उन्होंने विधानसभा से लेकर विभिन्न माध्यमों से इस मामले को उठाया और राज्य सरकार से उनके परिवार की मदद की मांग, लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगी. बाउरी ने कहा है कि इसका नतीजा यह हुआ कि पिछले छः महीने में भूखल घासी के तीन परिजन की मौत हो गयी है और आज उनकी बेटी की भी मौत हो गयी है. उक्त बातें चंदनकियारी विधायक सह पूर्व मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अमर कुमार बाउरी ने कही.

भूखल घासी के बेटी की मौत के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अमर कुमार बाउरी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग की. उन्होंने कहा कि राज्य के सबसे बड़े लोकतांत्रिक मंदिर में भी भूखल घासी की मौत का मामला आने के बाद भी सरकार की ओर से कोई गंभीरता नहीं दिखायी गयी जो राज्य के लिए शर्म की बात है. उन्होंने मुख्यमंत्री, मंत्री एवं अधिकारियों से पूछा कि क्या यह सरकार राज्य में दलितों, आदिवासियों को जीने का हक और अधिकार छीनना चाहती है.

बता दें कि भूखल घासी की मौत की खबर 6 मार्च 2020 की शाम को ही कसमार प्रखंड के बीडीओ राजेश कुमार सिन्हा को दी गई थी, लेकिन तीन चार घंटा बीत जाने के बाद भी कोई भी अधिकारी या कर्मी घटनास्थल पर नहीं पहुंचा था. दूसरी तरफ क्षेत्र के ही कुछ दबंग लोगों के दबाव में भूखल घासी के शव को जला दिया गया. बहाना यह बनाया गया कि स्थानीय श्मशान घाट नदी और जंगल किनारे है, इसलिए जंगली जानवरों के भय से शव को जलाना पड़ा. इस वजह से शव का पोस्र्टमार्टम नहीं हो सका.

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Edited By: Samridh Jharkhand

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