सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार सभी महिलाएं : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अविवाहित महिलाएं भी आपसी सहमति से 20-24 सप्ताह की अवधि में गर्भपात कराने की हकदार हैं। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सभी महिलाएं सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं। विवाहित, अविवाहित महिलाओं के बीच का अंतर असंवैधानिक है। न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप से गर्भधारण करने वाली अविवाहित महिलाओं को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रूल्स से बाहर करना असंवैधानिक है। शीर्ष अदालत ने कहा, सभी महिलाएं सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं।
SC holds that all women are entitled to safe&legal abortion
SC says,marital status of a woman can’t be ground to deprive her right to abort unwanted pregnancy. Single&unmarried women have right to abort under Medical Termination of Pregnancy Act &rules till 24 weeks of pregnancy pic.twitter.com/jrQcQWTTbT
— ANI (@ANI) September 29, 2022
कोर्ट ने कहा कि प्रजनन स्वायत्तता के अधिकार अविवाहित महिला को विवाहित महिला के समान अधिकार देते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में 2021 का संशोधन विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच अंतर नहीं करता है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच अंतर को कायम नहीं रखा जा सकता। पीठ ने कहा, महिलाओं को स्वतंत्र रूप से अधिकारों का प्रयोग करने की स्वायत्तता होनी चाहिए।
23 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम और 24 सप्ताह की गर्भावस्था तक गर्भपात की अनुमति देने के लिए विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव को खत्म करने के नियमों की व्याख्या करेगा।
शीर्ष अदालत ने 21 जुलाई को 25 वर्षीय लड़की को 24 सप्ताह के गर्भ को गिराने की मंजूरी दी थी।