उम्र का चक्र और रामटहल की ज़िद्द, भाजपा के लिये चुनौती

उम्र का चक्र और रामटहल की ज़िद्द, भाजपा के लिये चुनौती

-अविनाश मिश्रा

रांची : जब भाजपा ने ये स्पष्ट किया कि 75 वर्ष पार किये हुए सांसदों को इस बार प्रत्याशी नहीं बनाया जायेगा तो, झारखण्ड के 14 सीटों में से रांची लोकसभा का सीट सबसे अधिक चर्चा का केंद्र रहा। क्योंकि इस हिसाब से रांची के सांसद रामटहल चौधरी का टिकट कटना तय माना गया।
आज भाजपा ने रांची लोकसभा के लिए प्रत्याशी भी तय कर लिया। रामटहल चौधरी को टिकट नही मिला। झारखण्ड प्रदेश के अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा के बातों से ये और भी साफ़ हो गया था कि रामटहल चौधरी का रिपोर्ट कार्ड तो सही है लेकिन उन्हें टिकट उम्र को देखते हुए नहीं मिलेगा। क्योंकि रामटहल आधिकारिक रूप से 77 वर्ष के हो चुके हैं।
ये जो उम्र की बात है न! ये रामटहल को खुद में ही भारी पड़ गया, अब वो बता रहें है कि उनकी उम्र 77 वर्ष नहीं बल्कि 74 वर्ष हुई है। पहली बार चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने अपनी उम्र 23 से बढ़ा कर 25 कर ली थी, इस हिसाब से देखे तो खुद के ही बनाये चक्रभ्यू में खुद ही फंस गये है सांसद महोदय। वैसे तो उम्र की बात कहते हुए खूंटी के वर्तमान सांसद कडिया मुंडा का टिकट भी काट दिया गया। लेकिन उन्होंने इसे पार्टी का फैसला मानते हुए जहाँ बहुत ही शालीनता से इस फैसले का स्वागत किया। वहीं वहाँ से टिकट प्राप्त करने वाले प्रत्याशी व झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को गले लगाते हुए जितने का आशीर्वाद दिया। उनके इस विचार से पूरे भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच उनके लिए आदर- सम्मान और भी बेतहासा बढ़ गई।

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लेकिन रामटहल चौधरी ने बगावती तेवर अपनाते हुए, अपनी टिकट कटने के अंदेशा से ही, प्रत्याशी के नाम की घोषणा के पूर्व ही निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया, शुरुआत में तो उन्होंने अपनी जीत की नहीं बल्कि भाजपा की हार की बात भी कर डाली। अब वो स्पष्ट रूप से जीत के लिए लड़ने की बात कर रहे हैं। खैर उनको जीत का भरोसा है। बीजेपी से प्रत्याशी के नाम की घोषणा के बाद रामटहल के समर्थक चुनावी जंग से भाजपा को बाहर बताते हुए रामटहल और कांग्रेस के बीच की लड़ाई बता रहे हैं।
राज्य खादी ग्राम बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ को रांची लोकसभा से प्रत्याशी बनाया गया है, प्रत्याशी के घोषणा से जहाँ कार्यकर्ताओं के बीच बीते कई दिनों से जो भ्रामक स्थिति थी वो खत्म हुई है। वहीं कार्यकर्ता इस सीट को जीतने के लिए पहले से ज्यादा मेहनत करने की बात कर रहें हैं। क्योंकि रांची लोकसभा में शहरी मतदाताओं की तुलना में ग्रामीण मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। शहरी मतदाता संजय सेठ से रूबरू है और वो खुश भी हो रहे हैं। अगर भाजपा की जीत होती है तो रांची शहर का भी विकास हो पायेगा। रांची शहर के जनता को लगता है कि प्रत्याशी शहर से हो तो शहर का विकास ज्यादा बेहतर से हो पायेगा।
जनता का कहना है कि रामटहल चौधरी और सुबोधकान्त सहाय दोनों का ही कार्यकाल देखा है। लेकिन सांसदों के द्वारा कोई भी बेहतर प्रयास शहर के मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति के लिए नहीं किया गया है। जिससे वो नाखुश भी हैं। लेकिन गर ग्रामीण मतदाता की बात हो तो ज्यदातर बुजुर्ग और महिलाओं के लिए संजय सेठ निश्चित रूप से नए चेहरे होंगे। रामटहल चौधरी हो या सुबोधकान्त सहाय दोनों ही चेहरे ग्रामीण मतदाताओं के लिए परिचित हैं। जिसका फायदा दोनों को ही मिलेगा। लोगों का मानना है रामटहल चौधरी ग्रामीण क्षेत्र में ही सबसे ज्यादा भाजपा का वोट काटेंगे। भाजपा कार्यकर्ता भी मोदी का नाम पूरे जोर शोर से भांजने की कोशिश करते हुए हर प्रकार की खाई को पाटने की कोशिश करेंगे।
भाजपा को रांची के लिए प्रत्याशी खोजने में बहुत मेहनत करनी पड़ी। क्योंकि रामटहल चौधरी का निर्दलीय चुनाव लड़ना, सीधे कांग्रेस को फायदा पहुंचाएगा। संजय सेठ का चेहरा ग्रामीणों के बीच नया होना भी भाजपा के लिए एक चुनौती होगा। लोगों का अब मानना है कि कम मेहनत से जीतने वाली सीट में भी भाजपा के लिए कॉम्पिटिशन बहुत कड़ी और कांटे की हो गयी है।
Edited By: Samridh Jharkhand

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