क्लाइमेट रेसिलिएंट सिटीज के लिए नीतिगत हस्तक्षेपों की आवश्यकता : एके रस्तोगी
सस्टेनेबल अर्बन हैबिटेट के लिए जस्ट ट्रांजिशन विषय पर एक कंसल्टेशन का आयोजन
अरवा राजकमल, सचिव, शहरी विकास एवं आवास विभाग, झारखंड सरकार ने कहा कि हम ऐसे शहरी विकास को बढ़ावा देने के प्रति प्रतिबद्ध हैं जो भविष्यदर्शी और पर्यावरणीय रूप से सततशील हो। हमारी रणनीति का जोर अक्षय ऊर्जा, स्वच्छ आधारभूत संरचना और स्वच्छ परिवहन समाधानों को अधिकाधिक अपना कर सततशील विकास की ओर अग्रसर होना है।
रांची: सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन टास्क फोर्स झारखंड सरकार एवं सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के तत्वावधान में सस्टेनेबल अर्बन हैबिटेट के लिए जस्ट ट्रांजिशन विषय पर एक कंसल्टेशन का आयोजन सोमवार को शहरी विकास एवं आवास विभाग, झारखंड सरकार के साथ किया गया। इस कार्यक्रम में शहरी विकास एवं आवास विभाग, रांची नगर निगम, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वित्त विभाग और अन्य प्रमुख एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
इस कंसल्टेशन ने तेजी से बढ़ती शहरीकरण के बीच सततशील शहरी परिवेश की आवश्यकता को उजागर किया और हरित विकास के रणनीतिक उपायों पर ध्यान केंद्रित किया। मुख्य कदमों में अक्षय ऊर्जा अपनाना, ऊर्जा दक्षता लागू करना और ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना शामिल है, जिससे कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सके।इन प्रयासों का लक्ष्य न केवल क्लाइमेट रेसिलिएंट सिटीज को बढ़ावा देना है बल्कि समावेशी विकास और दीर्घकालिक सततशीलता को भी प्रोत्साहित करना है।
इस अवसर पर एके रस्तोगी, अध्यक्ष, सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन टास्क फोर्स, झारखंड सरकार ने कहा कि सततशील शहरी परिवेश बेहतर भविष्य की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। राज्य में सततशील विकास में स्वच्छ और क्लाइमेट रेसिलिएंट सिटीज के लिए नीतिगत हस्तक्षेपों की आवश्यकता है, जिनमें एक्शन प्लान के जरिए अक्षय ऊर्जा का विस्तार, ऊर्जा दक्षता क़दमों को लागू करना, ग्रीन कवर बढ़ाना, सस्टेनेबल मोबिलिटी आदि को लागू करना शामिल है।
अरवा राजकमल, सचिव, शहरी विकास एवं आवास विभाग, झारखंड सरकार ने कहा कि हम ऐसे शहरी विकास को बढ़ावा देने के प्रति प्रतिबद्ध हैं जो भविष्यदर्शी और पर्यावरणीय रूप से सततशील हो। हमारी रणनीति का जोर अक्षय ऊर्जा, स्वच्छ आधारभूत संरचना और स्वच्छ परिवहन समाधानों को अधिकाधिक अपना कर सततशील विकास की ओर अग्रसर होना है।
अमित कुमार, निदेशक, स्टेट अर्बन डेवलपमेंट एजेंसी, झारखंड सरकार ने बताया कि सस्टेनेबल हैबिटेट के निर्माण के लिए एक बहुपक्षीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो कार्बन उत्सर्जन, ऊर्जा खपत, वायु प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन और परिवहन की चुनौतियों का समाधान बेस्ट प्रैक्टिसेज एवं पायलट स्टडी पर आधारित हो।
इस मौके पर रमापति कुमार, सीईओ, सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट ने एक समग्र दृष्टिकोण के महत्व को रेखांकित किया, जिसमें अंतर्विभागीय सहयोग, बेस्ट प्रैक्टिसेज का झारखंड में अनुपालन, मल्टी स्टेक होल्डर एप्रोच और दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक नीतिगत पहल लेना आवश्यक है।
बैठक में जो प्रमुख विचारणीय बिंदु आये, उनमें जलवायु संवेदनशील अधिसंरचना का निर्माण, एनर्जी ट्रांजिशन को बढ़ावा देने के लिए अपशिष्टसे ऊर्जा और सोलर रूफटॉप परियोजनाओं को बढ़ावा देना सस्टेनेबल हैबिटेट के लिए एक्शन प्लान और वायुगुणवत्ता प्रबंधन रणनीतियों को अपनाना स्वच्छ प्रौद्योगिकियों एवं सततशील समाधानों के जरिए हरित जगहों का विस्तार करना और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना आदि प्रमुख थे।