केंद्र सरकार राज्य सरकार का पैसा विकास करने के लिए देगी, फ़र्ज़ी अकाउंट में डालने के लिए नहीं: अजय साह
अजय साह ने की डीएमएफ़टी फण्ड का हिसाब सार्वजनिक करने की मांग
अजय साह ने कहा, झारखंड के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट बताती है कि हेमंत सरकार ने इस फंड का भारी दुरुपयोग किया है. खनिज पर रॉयल्टी के सवाल पर मुख्यमंत्री जी को स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी सरकार ने डीएमएफटी फंड का किस तरह उपयोग किया है.
रांची: झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा केंद्र से 1 लाख 36 हज़ार करोड़ रुपये की बकाया राशि मांगने पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है. अजय साह ने कहा कि मुख्यमंत्री राज्य को प्रभावी ढंग से चलाने में असफल रहे हैं. उनके पास कोई भी ऐसी योजना नहीं है, जिसे उन्होंने पाँच साल पहले शुरू किया हो और जिसका लाभ अब राज्य की जनता को मिल रहा हो. वे केवल हाल के महीनों में जल्दबाजी में लागू की गई योजनाओं के आधार पर वोट मांग रहे हैं. अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में श्री सोरेन अपनी विफलताओं का दोष केंद्र सरकार पर मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.

अजय साह ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला जुलाई 2024 में आया है, जबकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इससे महीनों पहले ही क़ानूनी प्रक्रिया के तहत जेल जा चुके थे. ऐसे में यह कहना कि बकाया राशि मांगने पर उन्हें जेल भेजा गया, हास्यास्पद है. जहां तक भाजपा सांसदों का सवाल है, तो भाजपा के सांसद ही थे जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर झारखंड को अलग राज्य बनाया था. भाजपा ने झारखंड को बनाया था और आगे भी भाजपा ही झारखंड का विकास करेगी.इसके विपरीत झारखंड बनने के सबसे बड़े दुश्मन लालू प्रसाद यादव के पास में आज हेमंत सरकार की मास्टर चाभी है .
केंद्र से झारखंड को मिलने वाले फंड के संदर्भ में अजय साह ने कहा कि केंद्र सरकार ने हमेशा झारखंड को उसकी मांग से अधिक वित्तीय सहायता दी है. नितिन गडकरी जी ने भी सार्वजनिक रूप से कहा था कि केंद्र झारखंड को धन देने के लिए तैयार है, लेकिन हेमंत सोरेन सरकार के अधिकारी सड़क बनाने के बजाए पैसे बनाने में अधिक दिलचस्पी ले रहे है. खनिज पर रॉयल्टी के सवाल पर मुख्यमंत्री जी को स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी सरकार ने डीएमएफटी फंड का किस तरह उपयोग किया है. झारखंड के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट बताती है कि हेमंत सरकार ने इस फंड का भारी दुरुपयोग किया है.
इसे जनता के कल्याण के बजाय अधिकारियों और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं के व्यक्तिगत लाभ और सुख सुविधा के लिए खर्च किया गया है . राज्य सरकार के कुछ विभागों से पैसे फर्जी खातों में ट्रांसफर किए जाने की पुख्ता खबरें भी सामने आई हैं. क्या राज्य सरकार को पैसे इसी फर्ज़ीवाड़ा के लिए चाहिए? केंद्र सरकार द्वारा राज्य को किसी भी प्रकार के फंड देने के लिए एक संवैधानिक प्रक्रिया होती है, और निस्संदेह झारखंड को उसका हक़ सही समय पर उचित प्रक्रिया से मिलेगा. जहां तक रॉयल्टी पर ब्याज की बात है तो यह ब्याज राज्य सरकार को कांग्रेस के पार्टी फण्ड से माँगना चाहिए क्योंकि यह बकाया उसी वक़्त का है.
